मंचीय भाषणक सार्थकता लेल व्यक्तिगत-संस्थागत प्रयास कतय?

सन्दर्भः मंच पर भाषण मुदा धरातल पर कोनो एक्सन प्लान नहि

abms-mithila-vibhutiएकटा प्रसंग अछि जे मैथिली सँ प्रशासनिक परीक्षा मे सफलता पेनिहाइर ‘रजनी झा’ हालहि अखिल भारतीय मिथिला संघ केर आयोजन मिथिला विभूति उत्सव – दिल्ली मे किछु अत्यन्त महत्वपूर्ण बात रखलीह। बकौल मैथिली गीतकार श्री विमलजी मिश्र, ओ कहली जे “मिथिला राज्य बिना बेटी केँ आगाँ बढेने नहि भऽ सकैत अछि ।” विमल भैयाजी कहैत छथि जे ओ समाज पर चोट सेहो केलथि जे “अष्टम अनुसुची मे मैथिली केँ स्थान भेटलाक बादो संघ लोक सेवा आयोग केर परीक्षा मे एखन धरि मात्र रजनी झा किऐक । जा धरि बेटी कें आगाँ नहि आनब, बेटी प्रति नजरिया नहि बदलत ता धरि हम सब पाछुवे रहब ।”

 
स्पष्ट छैक जे बखूबी यथार्थ आइना देखेलीह हमरा सब केँ। मंचीय प्रस्तुति मे ई सब अक्सर भेटैत रहल अछि। बेटी केँ आगू आनू। तखन पोती आ नातिनि सब केँ आ तखन मिथिला राज्य भेट सकैत अछि। 90% निरक्षर महिला केँ शिक्षा तखने भेटत। घरक भनसिया तखन राजनितिक हक बुझती। खूब वाहवाही भेटैत अछि ओहि वक्ता सब केँ। मुदा रजनीजी आ ओ वक्ता अपने सेहो एहि सब लेल किछु करता, तेहेन प्लान शेयर करब नगण्ये देखायल अछि। तखन त हुनकर सफलताक कहानी हमरा सब लेल अनुकरण योग्य अछि। तहिना, मंच सजेनिहार एहेन संस्था सेहो यदि विशिष्ट वक्ताक विशेष आह्वान लेल किछु ठोस घोषणा करत सेहो कतहु नहि अभरैत अछि। संस्था हुनकर बात अनुमोदन कय आगामी किछु मास में स्थिति सुधारय लेल किछु करत तेहेन कोनो कार्यक्रम नहि देखाएत अछि, तखन त पीठ ठोकाठोकी लेल आयोजन करू, खूब थोपड़ी बाजत आ अहाँ सब मिलिकय मिथिला राज्यक मुद्दे केँ ब्यर्थ कैल करू… खिखियैत दर्शक आ आयोजक सब एतबे करैत आबि रहल अछि एना प्रतीत होएत अछि।
 
विमलजी भैया कहैत छथि, “रजनी जी अपने त कहली जे हमरा सँ जे भऽ सकत करिते रहब ! संस्थागत लोग आ श्रोतागण कतेक आत्मसात करताह से त आबै वाला समय कहत । बाकी रजनी झा केंर जज्बा सँ मिथिलाक प्रति सुन्दर संदेश देखै मे आयल ।”
 
कतहु दुइ मत नहि जे रजनी झा हमरा समाजक लेल प्रेरणापुंज थिकी। हिनकर एक‍-एक बात सच अछि। आशा राखू जे मैथिल जनमानस सँ हिनका प्रत्यक्ष वार्ता हेतनि। किछु विश्वविद्यालय केर छात्र-छात्रा सब बीच सेहो बीच-बीच मे समय देथिन आर अपन संदेश जे यूपीएससी मे अहाँक मातृभाषा मैथिली केँ सम्मानजनक स्थान आ एहि सँ लाभ उठेबाक अवसर अछि, तखन पाछू रहैत छी त स्वयं अवसर केँ पानि मे बहबैत छी। तहिना राज्य, राजनीतिक अधिकार, संविधान द्वारा निजत्व केर सम्मान यानि मैथिल पहिचान स्थापना करबाक महत्व, राजकीय कोष, योजना, क्रियान्वयन, विकास आदि पर वृहत् सोच विकसीत करैत रजनी वा रजनी समान अन्य प्रेरणाक स्रोत सब केँ समाज सँ साक्षात्कार करैत संदेश देबय पड़तनि।
 
मंच जखन-जखन हमरा, अहाँ या रजनी केँ भेटैत अछि त पब्लिक मे फेस सेविंग करबाक लेल गछि लैत छी, जतेक सकब ततेक करब। धरि ई इन्तजार जे ई किछु करता – करती…. हे भगवान् बाजैत लाज होइयऽ भैयाजी…. कार्यरूप मे कोनो अभियान जमीन पर उतारब कतेक कठिन छैक, कतेक भरिगर छैक से केनिहारे सब बुझैत अछि।
 
मिथिलाक महिलाक सहभागिता सम्बन्ध मे अहाँ केँ बता दी – तथ्यांक कहि रहलैक अछिः
 
मिथिला केर महिला आइ सबसँ बेसी काज कय रहली अछि।
 
१-२% अल्हड़ नारी छोड़ि ९८% गृहस्थी सम्हारि रहली अछि।
 
शिक्षा मे बेटी बहुत आगाँ अछि, मैथिली प्रति आस्था २००४ के बाद सँ फेर धीरे-धीरे जागय लागल अछि। जतेक मिथिलाक बेटी एहि उच्चकोटिक प्रतियोगिता मे भाग लैत छथि हुनका मे मैथिलीक उपयोगिता प्रति श्रद्धा छन्हि। अफसोस जे रजनी समान पेशेंस आ फेमिली सपोर्ट ०.००२% मैथिली छात्रा मे छन्हि। बेसी रास तकनीकी क्षेत्र मे आ पिता-माताक कम पूँजी रहबाक कारणे आन-आन संकाय मे अधिकांश जाय रहली अछि। धरातलीय सत्य अपन स्वयं केर परिवार सँ देखी हमरा लोकनि। अपन पत्नी, बेटी, बहिन – यानि घरक महिलावर्गक योगदान सँ ई स्पष्ट होयत जे मिथिलाक मैथिलानी सब किनको सँ पाछू नहि छथि। तखन त जतेक विकसित सोच आ सामर्थ्य रहत ताहि हिसाबे सब काज करब।
 
मिथिला राज्य लेल सेहो आब जमीनी राजनीति केर अवस्था बनय लागल अछि। सफलता जल्दिये भेटत।
 
हरिः हरः!!