Nepali Maithili Bhashik Ekta

नेपाली-मैथिली: भाषिक एकता-समीपता

समूचा भारतवर्षक उत्तरी-भागक क्षेत्र मे मैथिली अति-प्राचिन भाषा होएबाक बात भाषा वैज्ञानिक द्वारा विभिन्न शोधमूलक जानकारीक संग प्रमाणित कैल जा चुकल अछि। लेकिन वर्तमान राज्यविहीन मिथिलाक भाषा मैथिली मात्र अपन सृजनशीलताक एकमात्र आधार पर आइयो जीवन्त अछि, जखन कि एहि भाषा-परिवारक अन्य भाषा राज्य सँ पोषित आइ हृष्ट-पुष्ट अछि। नेपालक नेपाली भाषा सेहो आइ एकल राजभाषाक मान्यता पाबि शिक्षा, शासन, प्रशासन आदि लेल अनिवार्य भाषा बनि एक पूर्ण विकसित भाषाक रूप मे उभैर चुकल अछि। आब नेपाली भाषा केर हर क्षेत्र प्रगतिशीलताकेँ अपनबैत काफी विकसित बनि गेल अछि।

हालहि किछु वर्ष पूर्व भेल जनआन्दोलन सँ सृजित अवस्था मे नेपालक दोसर सब सँ बेसी बाजल जायवला भाषा आ राजतंत्रकाल मे सेहो भारतीय सीमा सँ जुड़ल क्षेत्र मे राज्यक आधारभाषाक रूप मे प्रचलित मैथिली भाषा प्रति नेपाली भाषा-भाषी आ स्रष्टा लोकनिक सौहार्द्र भेटब सहजहि न्यायोचित बुझाइत अछि। विगत कइएको कार्यक्रम आदि मे सहकार्यक संस्कृतिक संग नेपाली-मैथिली भाषिक एकता-समीपता केँ झलकाओल जा चुकल अछि। चाहे मैथिली महाकवि विद्यापति संग नेपाली आदकवि भानुभक्त आचार्य आ महाप्रसाद सापकोटा केर मूर्ति निर्माण सँ देशक एकमात्र भाषिक-एकता प्रतीकचिह्न त्रिमूर्ति चौक विराटनगर केर स्थापना हो या हिडिप्पा साहित्य परिषदक सहकार्य सँ मैथिली पुस्तकक प्रकाशन लेल सहयोग हो या फेर भानु कला केन्द्रक स्थापना कएनिहार महान नेपाली स्रष्टा चतुर्भुज आशावादी द्वारा कैल गेल एकीकृत सांस्कृतिक समारोह, रंगकर्म हो या चित्रकर्म लेल विराटनगर अवस्थिति अनेको नेपाली सामुदायिक संस्था द्वारा मिथिला चित्रकलाकेँ सम्मान दैत अंग लगेबाक अनुपम योगदान – आ विगत ५ वर्ष सँ निरन्तर कैल जा रहल समारोहपूर्वक सम्मेलन मे मैथिली सेवा समिति द्वारा नेपाली स्रष्टा, कवि, विद्वान्, बुद्धिजीवी संग सहकार्य – पोरकाँ सालक विशाल पुस्तक मेलाक दरम्यान आयोजित बहुभाषिक कवि गोष्ठी, मैथिली कवि गोष्ठी, व अनेको सत्र द्वारा भाषिक एकता-समीपता सहकार्यक प्रस्तुति – विराटनगर नेपालदेशक ओ क्रान्तिभूमि थीक जे वास्तव मे संघीयताक मर्म केँ मात्र बकथोथी मे नहि अपितु जीवनचर्या मे जिबैत अछि। यैह तऽ कारण छैक जे देशक आन भाग मे सांप्रदायिक सौहार्द्र सँ लोक केँ पहाड़ी-मधेशी अन्यान्य एथनीक आइडेन्टीटीक आधार पर बाँटल गेल वा बाँटय लेल कतेको खेल खेलल गेल, लेकिन विराटनगर मे भाषिक एकता सुदृढ आधार नेपाली-मैथिली एकताक बल सँ आइ धरि कोनो प्रकारक अप्रिय घटना कतहु नहि घटल। भले एहि लेल आइयो कतेको प्रकारक षड्यन्त्रकारी तत्त्व अपन कुत्सित योजना उफान पर रखने हो, लेकिन प्राकृतिक न्याय सँ ई दुइ भाषाक समीपता मात्र समाजकेँ जोड़ने राखि रहल अछि।

लेकिन सच इहो छैक जे जाहि तरहें सहृदयतापूर्वक एहि गठगोड़केँ आरो मजबूती देबाक लेल खुइलकय एक-दोसराकेँ गला लगेबाक चाही, ताहि मे कतहु न कतहु हेपहा संस्कृति अपन कालादृष्टि सँ प्रभाव पाड़ैत अछि। ई हम व्यक्तिगत अनुभव आ अनुभूतिक आधार पर कहि सकैत छी जे आमंत्रणाक बावजूद एक-दोसरक कार्यक्रम मे नहि गेनाय, एबो केलहुँ तऽ मुह देखाकय भागि गेनाय, अपन प्रस्तुति भेल तऽ ओहि समाजक लोकक भावना केँ नहि सुननाय-गुननाय, कोना हमरा लोकनिक आपसी प्रेम आरो प्रगाढ बनत ताहि पर निरन्तर मनन नहि केनाय…. ई सब किछु त्रुटि देखबा मे आयल अछि। मैथिली लेल एक सँ बढि कय एक कार्यक्रम एहि विराटनगर मे कैल जाइछ, मुदा नेपालक शासनतंत्र मे एहि लेल एक छदामो सहयोगक भावना नहि देखि सकब हमरा शर्म सँ सिर झुका दैत अछि। कतबो विशाल हृदय रखने छी, मुदा एहि तरहक विभेदपूर्ण बात सँ हमरा हृदय केँ कचोट पहुँचैत अछि आ राजनीतिक आरोप लगेनिहारक विस्फोटक बात हमरो कहियो-कहियो माथा मे चित्कार उठा दैत अछि। हम कोनो प्रशासकीय निकायक नाम लेने बिना इशारा मे एतबे कहय चाहि रहल छी जे जाहि कार्यक्रम मे नेपाल आ भारतक दूर-दूर सँ कवि, विद्वान्, बुद्धिजीवी आदि भाग लैत अछि ताहि कार्यक्रम मे एहि विराटनगरक अगुआ प्रशासनवर्गकेँ आमंत्रणा अनुरूप उपस्थिति तक देबा मे कष्ट होइत छन्हि…. अन्ट-शन्ट कार्यक्रम मे लाखों रुपयाक अनुदान देबाक लेल नेता-चमचा आदि विभिन्न निकायक चारूकात माछी जेकाँ भिनकैत रहैत अछि, मुदा शान्त-सहिष्णु मैथिलीभाषीक आवेदन पर सदिखन ‘बजट प्रावधान’ नहि रहबाक बात कहि दुत्कारिकेँ भगा देल जाइछ। ऊफ! कतेक कहू! सामाजिक-सामुदायिक कार्य लेल निर्मित भवन आदि केँ उपलब्धता लेल सेहो कसाई जेकाँ उनटे पाइ असूलल जाइत अछि, सहयोगक तऽ बातहि छोड़ू। देल गेल भोगचलनक जमीन पर पर्यन्त अधिकार स्थापित करय लेल कोनो सहयोग नहि। गछल सहयोग देबाक लेल जुत्ता-चप्पल घिसि जायत, मुदा विभेदकारी मानसिकताक मारि मैथिली पर देल जाइछ।

एहन सन जरल मन केँ जुड़ि-शीतलक एहि पावन बेला मे बब्बर सिंह थापा स्मृति प्रतिष्ठान द्वारा मैथिली सहित नेपाली ओ हिन्दी साहित्य मे पर्यन्त अनेको प्रकारक साहित्यिक योगदान देनिहार महान मैथिल श्री धीरेन्द्र प्रेमर्षि केँ सम्मान देबाक निर्णय बहुत शीतलता प्रदान करैत अछि। हम सृजनशील लोकक योगदान पर पहिनहु अनेको प्रकरण लिखि देने छी, ताहि मे देव कुमारी थापा समान लोकप्रिय समाजसेविका-नेत्री द्वारा स्थापित नेपाली भाषाक बालकथाकार आ प्राज्ञ रूप मे प्रसिद्ध स्व. बब्बर सिंह केर स्मृति मे ई सम्मान मीलक पाथर समान काज करत। मैथिलीसेवी आ नेपाली समाजक शुभेच्छुक हम प्रवीण सदैव एहने एकताबद्ध बनि सहृदय प्रेम आ वार्ताक संस्कृति संग आगू बढैत रहबाक वचन दैत छी। सम्मानित प्रेमर्षि भाइजी केँ बेर-बेर बधाई दैत छियन्हि आ सम्मान देनिहार सहित संपूर्ण नेपाली भाषी स्रष्टा-सज्जन लोकनिकेँ सेहो धन्यवाद दैत छी।

मैथिली जिन्दाबाद – नेपाली जिन्दाबाद!

हरि: हर:!!