बिहारी राजनीति केँ रोकूः मिथिला मे सत्तारोहण लेल खूनी खेल

विशेष सम्पादकीय

murder-of-yadav-mukhiyaदरभंगाक कुशेश्वरस्थान समीप केवटगामा पंचायतक मुखिया रामचन्द्र यादव केँ काल्हि प्रतिद्वंद्वी अज्ञात अपराधी गोली मारिकय हत्याक दुखद समाचार आयल अछि। रामचन्द्र यादव पुरान कांग्रेसी कार्यकर्ता छलाह ई दावी दरभंगा कांग्रेसक उच्चाधिकारी राम नारायण झा केर फेसबुक स्टेटस सँ ज्ञात भेल अछि। ओ कहने छथि जे यादव एक लोकप्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता सेहो छलाह। एहि घटनाक प्रकृति कहि रहल अछि जे चुनाव मे जातीय समीकरण पर कैल जा रहल खतरनाक राजनीति सँ कतेको शक्तिशाली मुदा संख्या मे कम लोक आहत होएत अछि आर धीरे-धीरे समाज मे एकटा एहेन शक्ति गुपचुप एकत्रित होमय लागल अछि जे एहि तरहक तंत्र सँ ऊबिकय आपस मे प्रतिशोधक राजनीति केँ बल दैत अपन वर्चस्व स्थापित करबाक रणनीति बनबैत अछि। संख्याबलक दंभ सेहो एहेन खतरनाक अछि जे दोसराक संपत्ति आ अस्तित्वपर अपन वर्चस्वक झगड़ा लादय सँ पर्यन्त किछु राजनीतिक शक्ति पाछू नहि हंटैत अछि, थाना आ प्रशासन केँ अपन जेबी मे नेताक बले राखबाक हुंकार भरैत अछि। स्पष्ट रूप सँ बुद्धिजीवी आ सुसंस्कृत समाज आइ या त चुपचाप अपन जीवनयापन कय रहल अछि अथवा ओ अपन मूल स्थान सँ विस्थापित होएत प्रवासक जीवन जिबय लेल मजबूर भेल अछि। यैह थीक बिहारी सत्ताक राजनीति, जाति-पाति मे समाज केँ तोड़ू आ अपन सत्तारोहणक सपना पूरा करू।

अत्यन्त शर्मनाक आ निन्दनीय घटना सब घटय लागल अछि। सत्ताक मद मे चूर लोक जाहि शैली आ तर्ज पर राजनीति कय रहल अछि ओकर दुष्परिणाम किछु एहि तरहक खतरनाक हत्या, लूटपाट आ अराजकता संग होएत रहत, ई शाश्वत सत्य छैक। ईश्वर केर सत्ता सर्वोपरि छैक ताहि मे कोनो दुइ मत नहि, लेकिन ताहि सत्ताक बाद जे मानव समाज द्वारा शासन संचालन हेतु सत्ता स्थापित कैल जाएछ आर ताहू मे जेहेन प्रजातांत्रिक पद्धति पर भारत एहेन पैघ देश चलि रहल अछि ताहि मे आब संख्याबल केर आगाँ बौद्धिकता, विवेकशीलता, मानवता आदि सबटा तर पड़ि रहल अछि जाहि सँ सामाजिक समरसता आ आपसी सौहार्द्रक सब मर्म तार-तार भऽ रहल अछि। किछु एहने विद्रुपताक असैर थीक जे बिहार मे एक बेर फेर खूनी राजनैतिक खेल चरम पर पहुँचय लागल अछि।

सुशासन आ विकास लेल जानल जायवला नेतृत्वकर्ता नीतीश कुमार आइ एतेक निरीह भऽ गेला अछि जे कानून-प्रशासन हुनकर हाथ सँ निकैल चुकल अछि। अपवित्र गठबंधन केर अप्रतिम जीत केर रावणी अहंकार कहकहा लगा रहल अछि बिहार मे। मानवीय पक्ष केर रक्षा कएनिहार नुकाएत फिर रहल अछि, संख्याबल आर जातिवादी उन्माद समाज केँ छहोंछित कय रहल अछि। प्रशासन, न्यायपालिका आ सामाजिक अनुशासन – सब किछु एहि खतरनाक सत्तालोलूप राजनीति केर शिकार भऽ गेल अछि। भारतक स्वतंत्रताक बादहि सँ जाहि तरहक राजनीति करबाक कूप्रथा हावी भेल तेकर नंगा नाच हम सब आइ देखि रहलहुँ अछि।
 
मिथिलाक्षेत्र मे जनककाल सँ एक-दोसर केँ सम्हारबाक सामाजिक जीवन प्रणाली प्रचलित अछि। लेकिन आब एत्तहु हालत बद सँ बदतर होएत जा रहल अछि। मुखियाक चुनाव मे कनेक अन्तर सँ दोसर जीत हासिल कय लेलक तऽ ओकर जान खतरा मे रहत। यदि कियो स्वच्छ प्रतिस्पर्धी बनिकय केकरो मान-सम्मान सँ ऊपर बढि गेल तैयो ओकर जान खतरा मे अछि। स्वस्थ वातावरण केर घोर अकाल देखा पड़ि रहल अछि। जतय देखू गला-कट प्रतिस्पर्धा आ सब सँ अधिक जे गोली, बारूद आ हिंसक हथियारक खेला खुलेआम होमय लागल अछि। एहेन समय जँ मिथिलावादक सिद्धान्त पुनः लागू नहि होयत, फेरो यदि जनकक समरस सामाजिक परिकल्पना पर लोक आगू नहि बढत तऽ अहु सब घटना सँ बेसी दुर्दान्त घटना सब घटत ई नकारल नहि जा सकैत अछि।
 
हरिः हरः!!