मिसू – छात्र संगठन चीनी मिल लेल आन्दोलित कियैक?

 

विशेष सम्पादकीय

विगत किछु मास सँ मिथिलाक केन्द्र दरभंगा मे चीनी मिल आन्दोलन काफी चर्चा मे अछि। ई एकटा गंभीर मुद्दा जे लाखों लोकक रोजी-रोटी सँ जुड़ल विषय अछि, बन्द मिल केँ फेर सँ चालू केला सँ गन्ना कृषकक संग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगारक उपलब्धता सँ मिथिला जनमानस केँ लाभ भेटबाक मूल विषय थीक। संगहि मिथिलाक चीनी केर मिठास केँ फेर सँ दुनियाक बाजार मे अपन विशिष्ट स्थान केँ पुनर्स्थापित करबाक सोच अछि। आर एहि आन्दोलन मे सम्बन्धित मजदूर केर अलावा खुदरी-खुदरी एम्हर-ओम्हर राजनीतिक शिगूफा छोड़निहार द्वारा बाजल जेबाक गोटेक उदाहरण पहिने सँ देखल जाएत रहल अछि। मुदा अचानक ई मुद्दा काफी जोर-शोर सँ चर्चा मे अबैत अछि, कारण मिथिलाक अपन मुद्दाक संग छात्र राजनीति करबाक परिकल्पना सँ बनल ‘मिथिला स्टुडेन्ट युनियन’ अपन खास अन्दाज मे एहि मुद्दा पर आन्दोलन अपना हाथ मे लय जनजागृतिक संग-संग सूतल राजनेता आ सत्ता संचालक केँ सेहो ध्यानाकर्षण करा रहल अछि।

ई बात तय छैक जे मिथिला स्टुडेन्ट युनियन केर छात्र कार्यकर्ता व नेता सबहक पहिनुका अधिकांश अति-प्रदर्शनकारी भूमिका सँ शासन-प्रशासन व आम जनमानसक दृष्टि मे नेतागिरी चमकेबाक नौटंकीपूर्ण प्रस्तुतिक रूप मे बेसी देखल जाय लागल। वर्तमान चीनी मिल चालू करबाक आन्दोलन पर सेहो एकटा भ्रम केर स्थिति देखल जा रहल छल। हालहि मैथिल मंच केर एक प्रतिनिधि मंडल सकरी चीनी मिल केर चालू करबाक लेल अनुबंधित ‘तिरहुत इन्डस्ट्रीज, दिल्ली’ केर मालिक प्रदीप चौधरी संग भेंट कय आन्दोलनी समूह पर निराधार कार्य करबाक आरोप सेहो लगौलनि। प्रदीप चौधरी संग भेल साक्षात्कार मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित कैल जेबाक बाकिये अछि।

एहि बीच मैथिली जिन्दाबाद सँ मिसू कार्यकर्ता विद्याभूषण राय सम्पर्क करैत आग्रह कएलनि जे निष्पक्ष पत्रकारिता करैत मिसू केर उठायल मुद्दा केँ आवाज देल जाय। मुद्दाक गंभीरता आ बौद्धिक दृष्टिकोण स्थापित करबाक लेल हुनका सँ किछु जानकारी मांगल गेल। कोनो प्रदर्शनमान्य तौर-तरीका मे अपन बात राखबाक लेल कैल जेबाक चाही, मात्र गोल-मटोल बात बनाकय आन्दोलनक नामपर हौवा ठाढ केला सँ ओकर आवाज बनब संभव नहि छैक। मुद्दाक जैड़ मे जायब आवश्यक होएछ। प्राप्त अनुरोध पत्र मे किछु दाबी अतिश्योक्तिपूर्ण भाषा मे कैल गेल छल ताहि सँ विस्तृत चर्चाक आवश्यकता देखि गोटेक प्रश्न कैल गेल छल। समयाभावक कारणे पत्राचार केँ जहिनाक तहिना राखब जायज होयत।

विद्याभूषण रायः सावधान मिथिलावासी ! कुछ मैथिल जो अपना अस्मिता मर्यादा बेचकर कुछ फक्कर दलाल, ठग के गलत सत्संग के प्रभाव से अपने मातृभूमि के हजारो युवकों के रोजगार, हजारो परिवार के मुँह निवाला के साथ सौदा कर बैठा । ज्ञात हो कि मिथिला स्टूडेंट यूनियन, मिथिला क्षेत्र मे बंद पड़े उद्योग धँधा को पुन: स्थापित करने के लिये अपनी जान की बाजी लगाकर आंदोलनरत हैं । ज्ञात हो कि बिहार सरकार शुगर कापरेशन ने ” तिरहूत इन्डस्ट्रीज ” के हाथों निबंध पर दिया ! मतलब बंद पड़े चीनी को फ़िर से जनहित के लिये चालू किया जाय । लेकिन एक पूरे आवाम के साथ छलावा बर्दाश्त करने लायक नही हैं, मित्रों । लोगों की करुण पुकार सुनकर, उनकी आत्मकथा, उनकी दुःख जानकर अपने मातृभूमि की प्रति जान न्यौछावर करने को ‘MSU’ के सेनानी आतुर हैं । जहाँ MSU सेनानी भर दिन धूप – वर्षा का परवाह किये बिना मिथिलावासी को सचेत करने का काम निरंतर प्रगतिशील हैं । लोगो द्वारा मिल रहे अपार समर्थन से MSU सेनानी पटना से दिल्ली तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं । जिन्होंने मिथिलावासी के साथ धोखा किया हैं, वो पूरे जनता देख रही हैं ।⁠⁠⁠⁠

अगर आप स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता करते हैं तो आशा हैं आप MSU का पक्ष रखेंगे । धन्यवाद । विद्या भूषण राय, राष्ट्रीय सचिव, मिथिला स्टूडेंट यूनियन।

हमः जरुर रखेंगे। मैथिली में इन प्रश्नों का उत्तर भेजेंः

१. चीनी मिल के बंद होने के पीछे का कारण क्या है?

२. सरकार के द्वारा इसे तिरहुत इन्डस्ट्रीज के हाथ में देने के पीछे का कारण क्या है?

३. क्या तिरहुत इण्डस्ट्रीज ने अनुबंध से अलग और कर्मचारियों, गन्ना उत्पादकों व आम मिथिलाजन के हितों के विरुद्ध कोई काम किया है? यदि हाँ, तो क्या-क्या? व्यौरा रखें।

४. आप मिसू सेनानी हल्ला करते हैं कि मिथिला क्षेत्र के बंद पड़े उद्योग-धंधों को पुनः स्थापित करने के आपकी जान की बाजी लगाकर आन्दोलनरत हैं। क्या आपके पास बंद पड़े उद्योग-धंधों का कोई पेपर है? कोई शोधपत्र या आधार पत्र है? या फिर खोखले फसादों से मिथिला हितों की बात करके पब्लिक को बेवकूफ बना रहे हैं?

५. क्या आपके पास बिहार सरकार शुगर कारपोरेशन का अनुबंध पत्र जो तिरहुत इन्डस्ट्रीज को दिया गया वो उपलब्ध भी है? यदि हाँ, तो किस अनुच्छेद के विरुद्ध क्या-क्या काम किये गये हैं, उसका विवरण रखें।

६. जनहित में चालू करनेवाली बात पूरा न होना मिथिला अवाम के साथ धोखा है, छलावा है, वर्दाश्त करने लायक नहीं है – हमें जानकारी चाहिये कि यह निर्णय आप छात्र या छात्रों का समूह किस आधार पर कह रहे हैं?

७. किन-किन लोगों का करुण पुकार, आत्मकथा, दुःख सुनने को मिला है? कुछ उदाहरण दें। और ऐसे कितने लोग हैं वह भी बतायें। या, फिर गोल-गोल भाषण देने जैसा और नेता बनने के लिये उन्मादी बातें करके छात्रका कर्तब्य भूलकर छात्रों के नामपर टंटा खड़ा कर रहे हैं, और मर-मिट जाने की बातें कर रहे हैं? मरने के लिये आतुरतावाली बात भी समझ में नहीं आयी, यह आतुरता क्यों? संघर्ष तो सरोकारवालों को सामने रखकर किया जाता है। किसानों, कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के हितों के लिये संघर्ष करना पड़ता है। आप लोगों ने ऐसा तो कभी करते नहीं दिखे? फिर आतुरता किस बात की?

८. मिसु सेनानी धूप-वर्ष का परवाह किये वगैत मिथिलावासी को सचेत करने का काम निरंतर कर रही है, यह बहुत जरुरी है कि अधिकार से वंचित लोगों को जगाया जाय। परन्तु चीनी मिल से बहुत ऊपर पंचायत में भ्रष्टाचार व्याप्त है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रखंड तथा जिला अधिकारी के बीच सांठ-गांठ से सरकारी सुविधाओं का वितरण मे बहुत बड़ा धांधली है, काले धंधे फल-फूल रहे हैं, अपराध फैल रहा है, विकास ठप्प है। क्या किया आपने मिथिलावासी को सचेत करने के लिये? केवल नगाड़ा पीटकर वगैर गन्ना उपजाये चीनी मिल चलायेंगे आपलोग? कुछ विजन भी है या फिर चले हैं नेतागिरीका शौक पूरा करने?

९. आप स्पष्ट बतायें कि किस-किस ने मिथिलावासी के साथ धोखा किया है? जनता कहाँ-कहाँ और क्या-क्या देख रही है? मिथिला कहने से सकरी चीनी मिल और रैयाम चीनी मिल के पास ही कब सिमट गया? मिथिला कहने से उसकी व्यापकता केवल एक-दो जिलौं मे सिमटानेका दुष्प्रयास आप किस विचारकों के इशारे पर कर रहे हैं?कौन-कौन हैं आपके विचारों को प्रेरित करनेवाले? वो मिथिला के दुश्मन बनकर क्यों बदनाम कर रहे हैं इसकी पवित्रता, व्यापकता व विशालता को?

विद्याभूषण रायः महोदय, आशा करते हैं हम आपके मन में उठे सवाल का जबाब दे पाएंगे ।

चीनी मिल ही क्यों :- मिथिला का ये एकमात्र ऐसा उद्योग है जिसने आजादी से 50 साल पहले मिथिला की सम्पनता की कहानी को गढ़ा, और आप खुद सोचें – क्या और कोई उद्योग यहाँ लगने की संभावना दूर दूर तक हैं । अकेला एक चीनी मिल 5 लाख लोगों के आय को प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष तरीके से बढ़ाएगा ।

हमरा काम बंद पड़ा चीनी मिल के इतिहास को खगालना नहीं हैं । एकमात्र मुद्दा है कि हम सरकार पर संगठन बना कर हजारो जनता के साथ दवाव बनायें ताकि सरकार हमारी बंद पड़ी उद्योग धंधे को फिर से खुलवाने का पहल करें ।

मिल कैसे बंद हुआ? किसने ख़रीदा ? किसने लुटा ? क्यों नहीं खुला ? ये सब सोचना सरकार का काम है हमारे प्रतिनिधि का काम है । जिन्हें हमने चुन कर भेजा है हमरा एक ही मकसद है कि मिल के चिमनी से धुआँ निकले – चाहे वो मिल सरकार लगाये या प्राइवेट कंपनी वालें, और हम उसके लिये दवाव बनाने का काम कर रहें हैं ।

मिथिला स्टूडेंट यूनियन की सोच हैं “क्षेत्र के विकास के बिना छात्र का विकास संभव नहीं है” अतः हम क्षेत्र की विकास के लिये मिथिला के तमाम बंद पड़े चीनी मिल एवं उद्योगों को खुलवाने की बात कर रहें हैं ।
मिथिला स्टूडेंट यूनियन ।

हमः महोदय, हम इन गोल-गप्पे वाली जबाबों को तरजीह देकर मिथिला के लिये संचारकर्म को गुनाह मानते हैं। आपको बहुत लोग मिलेंगे जो आपकी भावनाओं को समेटते रहेंगे। हम तभी समेटेंगे जब हमें तथ्य सहित जानकारी देंगे।

msu-lettrविद्याभूषण रायः कुछ लोग सकड़ी चीनी मिल के नाम पर दलाली कर रहे थे, हम चुप थे। कुछ मिथिला से जुड़े संगठन व उनके लोग नेता और राजनितिक पार्टी के साथ मिलकर #MSU को बदनाम कर रहे थे, मगर हम चुप थे। 30 सितम्बर को स्टे हमने ले लिया था मगर कॉपी मिलने की प्रतीक्षा में हम चुप थे। हम सब चुप है और चीनी मिल खुलवाने के बाद भी चुप ही रहेंगे। सकड़ी चीनी मिल से अब स्क्रेप नही जायेगा, इससे पहले स्क्रेप जा रहा था लोगो ने नेतागिरी करने के लिए अफवाह फैला दिया की हमने गाड़ी रोका। बहकावे में ना आएं, msu को बदनाम करने की साजिश पूरी रफ्तार के साथ चल रही है, चीनी मिल के नाम पर बीजेपी और जदयू के नेताओ ने जो गोरखधंधा किया है वो दुनियां जानती है और अब यही लोग अफवाह फैला रहे है और msu को बदनाम करने की कोसिस कर रहे है।
अब हम गर्व से कह सकते है कि कुछ दिनो के लिए msu ने सकड़ी चीनी मिल को बचा लिया है और हमारे साथ आएं MSU इसे हमेशा के लिए बचाएगी।⁠⁠⁠

मिथिला स्टूडेंट यूनियन क्षेत्र और छात्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध एक गैर राजनितिक संस्था है. पिछले कई महीनो से संस्था बंद पड़े चीनी मिल को चालू करवाने के लिए आन्दोलनरत है और आगामी ५ नवम्बर से १० नवम्बर तक चीनी मिल क्रांति रथ यात्रा निकलने वाली है. लेकिन इसी बीच २९ सितम्बर को हमें पता चलता है की रैयाम की तरह सकरी चीनी मिल का स्क्रैप काट के ट्रक पे लाद के ले जाया जा रहा है. पता चलते मिथिला स्टूडेंट यूनियन के दर्जनभर से ज्यादा सेनानी घटना स्थल पर पहुँच के उसे रोकने के प्रयास किया थाना खबर किया लेकिन वो ३ घंटे बाद पहुंची वो भी डीएम और एसपी के दबाव पर. हमने पटना में कैन ऑफिसर से भी सम्पर्क साधा और इस पर रोक लगाने की मांग किया. जिसके परिणाम स्वरूप ३० सितम्बर को स्टे आर्डर लगा दिया गया. जिसके बारे में जिला प्रशासन इंकार करते रहे अंत में पटना कार्यलय से आज हमने स्टे आर्डर का कॉपी निकाला. जिसमे चीनी मिल से स्क्रैप निकलने पर रोक लगा दिया गया है. msu चीनी मिल को पुनः खुलवाने और उसे बचाने के लिए आखरी दम तक लड़ेगी.. “बहुत सहलिऔ आब नय सहबौ ल  क रहबौ चीनी मिल”⁠

⁠⁠⁠⁠हमः अब सही हो। अब आपकी आवाज को बुलन्दी देंगे। ऐसे आधार सहित बातें रखते रहो।

msu-letter1विद्याभूषण रायः धन्यवाद सर। (संलग्न – ईखायुक्तक ओ पत्र जे जिलाधिकारी केँ स्क्रैप रोकबाक लेल अनुरोध केने अछि।)

उपरोक्त वार्ता सँ आन्दोलनक पृष्ठभूमि, मिल केर यथार्थ स्थिति व अनुबंधित पक्ष द्वारा सरकार संग कैल गेल समझौताक विरुद्ध क्रियाकलाप – ई सब बात एतेक त सिद्ध करिते अछि जे उद्योग चालू करबाक स्थान पर अपन-अपन लाभ लेल लोक कार्य कय रहल अछि। तिरहुत इन्डस्ट्रीज केर पूरा पक्ष आयब बाकी अछि। परन्तु मिथिला स्टुडेन्ट युनियन केर सजगता एहि बातक प्रमाण थीक जे चीनी मिल मुद्दा आब जन-गण-मन केर समक्ष रहत। बेइमानी कोनो पक्षक होयत ओ सोझाँ एब्बे करत। छात्र संगठन द्वारा देल गेल हवा सँ ई आन्दोलन नव रंग पकड़त। परंपरावादी राजनीतिक दल व ओकर कार्यकर्ता सबहक दृष्टि मे सेहो ई मुद्दा स्थापित करय लेल मिसू केँ धन्यवाद देबाक चाही। आशा करैत छी जे मिसू एहि तरहें आधार व दृष्टिपत्रक संग मिथिलाक विभिन्न सरोकार पर छात्र राजनीति केँ मजबूती प्रदान करत। एहि सँ एबीविपी आ एआइएसयू आदि पैघ-पैघ दाबी कएनिहार छात्र राजनीतिक संगठन केँ सेहो एकटा जोरदार मैसेज गेल अछि जे खाली राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दा पर पैघ-पैघ नेताक पिछलग्गू बनिकय काज नहि चलत, बल्कि अपन जमीन आ जनताक सरोकारक बात केँ सेहो ध्यान देब आवश्यक अछि।