विजय कुमार झा, उत्तमनगर, नई दिल्ली। अक्टुबर ३, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
काल्हि रवि दिन गाँधी जयन्तीक संग-संग मिथिलाक एक महान विभूति साहित्यकार काशीकान्त मिश्र ‘मधुप’ केर जन्म जयन्ती छल। एहि अवसर पर उत्तम नगर आर्य समाज रोड स्थित एक सभागार मे दिल्ली शहर मे प्रवासक जीवनपर रहि रहला गोटेक नामचीन व नवतुरिया मैथिली साहित्यकार ओ प्रेमी लोकनि द्वारा कवि चुड़ामणि काशीकान्त मिश्र “मधुप” केर जयंती मनाओल गेल।
कार्यक्रमक शुरुआत निर्धारित समय तीन बजे सँ आरम्भ भ संध्याक ७ बजे धरि चलल। साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित मैथिली कवि एवं लेखक गंगेश गुंजन द्वारा दीप प्रज्वलित करबाक संग-संग मधुप केर फोटो पर माल्यार्पण करैत उद्घाटन कैल गेल। पुनः उपस्थित अतिथि-आयोजक-दर्शक लोकनि सामूहिक रूप सँ विद्यापति रचित जय जय भैरवी केर गान केलनि आर कवि-चुड़ामणि केर तस्वीर पर पुष्प आदि भेंट केलनि।
मधुप जी केर व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा करैत मुख्य अतिथि गंगेश गुंजन द्वारा विस्तार सँ सुनाओल गेल, हुनका संग बितायल समय, कवि सम्मेलन, कवित शैली आदि पर ओ अपन विचार रखलैन। तहिना एहि सभा मे उपस्थित कवि मधुपजीक पौत्र शंकर कुमार मिश्र ‘मधुपांश’ बाबा संगक एक संस्मरण सभामे सुनबैत कहलनि जे बाबा जखन-जखन अस्वस्थ होएथ त दबाई खुएबाक कार्य हमहीं करैत रही, एक दिन ई काज बिसैरकय बहिनोइ संग कतहु घूमय लेल चलि गेल रही। बाद मे जखन आबिकय दबाइ देबय लेल गेलहुँ तखन बाबा एतबे कहलैन जे ई त जनैत छी अहाँ जे हम एहि हाथ सँ दबाई खाएत छी – अर्थात् क्रोध हुनका मे कतहु नहि रहनि, केवल मधुरवाणी आ भावना सँ ओतप्रोत रहनिहार महान् सर्जक छलाह, ताहि सँ हुनक रचना मे सेहो सदिखन मिठास आ शान्ति भाव केर दर्शन होएत अछि।
एहि सभा मे झंझारपुर (महरैल) सँ नवोदित चर्चित अवकाशप्राप्त कवि अमरनाथ झा अपन रचना पठौने छलाह जेकर पाठ मनीष झा बौआभाई द्वारा कैल गेल छल।
कोइलख जन्म, कोर्थु रहि जीवन मिथिला मध्य अनूप
मैथिलीक झंडा फहराबय आएल, बनि के भूप ।
लोक कंठ मे देल मैथिली रचि रचि सुमधुर गीत
चौंकल लोक, चुप्प भए ताकल, बिद्यापतिक अतीत ।
पंडित वेश आ नैष्ठिक जीवन, एक संग बहु रूप
लिखल गीत, कविता नवयुगिया, काशीकांत मधुप ।
प्रत्युत्पन्न आ आशुकवित्वक संगम रहथि,
ने जोड़ समकालीन कविक मध्य मे आदृत रहथि बेजोड़ ।
जन मजदूरक निर्मम शोषण, विचलित कएलक प्राण
कविक कलम सँ घसल अठन्नी, बुधनीक भेल निर्माण ।
भोजन ओ संगीत दुहू केर, मैथिल होइ छथि प्रेमी
रसगुल्ला, पँचमेरक संगमे झंकृत झंकारक बेणी ।
विरहो के सम्मान भेटै छै, तखने बुझलक लोक
राधाविरहक महाकाव्य सम्मानित भेल निश्शोक ।
आइ हुनक सम्मान मे, नमित हमर अछि सीर
मिथिला मे एखनो खगता छै, मधुप जी अबियौ फीड़ि ।
कवि चूड़ामणि लोक कंठ मे बसि जे गेला अनूप
आइ नमन आ अर्चन लऽ के चंदन, दीप आ धूप ।
एहि कार्यक्रम मे कैलाश मिश्र, कवि एकान्त, बौआभाई, श्याम झा, मुकुन्द मयंक, अमरनाथ झा, बिरबल यादव, रंजित लाल दास, निरज झा, नितिश कर्ण, कमलेश मिश्र एवं मैथिली जिन्दाबादक प्रतिनिधिक तौर पर विजय कुमार झा सहभागी भेलाह।
आयोजकवर्गक एक निरज झा कहलैन जे मधुपजी केर नाम मे टाइटिल विद्वत् परिषद् द्वारा देल गेल छल, आइ-काल्हि लोक अपने सँ अपन नाम मे टाइटिल रखबाक फैसन चलौलनि अछि। साहित्यिक व्यक्तित्वक ओज, प्रस्तुति, विद्वता व विचार केँ देखि जे निर्णय लेल जेबाक परंपरा छल से आब नहि भेटैत अछि।