मिथिला राज्य लेल आन्दोलन होयत तीव्रः मिरानिसे

दरभंगा, अक्टुबर ३, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

mrns-darbhanga-meeting2मिथिला राज्य निर्माण सेना केर प्रस्तावित ८-९ नवंबर, २०१६ केँ दरभंगा मे द्विदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन एवं आमसभा केर तैयारी पर काल्हि २ अक्टुबर एकटा समीक्षा बैसार कैल गेल। एहि बैसार मे राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष श्याम सुन्दर झा ओ डा. रंगनाथ ठाकुर केर अलावे राष्ट्रीय महासचिव राजेश झा, सह-संयोजक अनिल झा, हेमन्त झा, टुनटुन भाइ, नवीन चौधरी, शंकर नाथ झा, संजय रिक्थ तथा सल्लाहकार अनिल झा (कानपुर), अजित आजाद (मधुबनी) एवं प्रवीण नारायण चौधरी (विराटनगर) भाग लेलनि। कोष व्यवस्थापन, जनसहभागिता, कार्यक्रम प्रारूप व कार्यभार वितरणक संग अधिवेशन लेल अन्य-अन्य बुंदा पर आपसी विमर्शक संग जनसम्पर्क पर जोर देबाक निर्णय लेल गेल।

mrns-darbhanga-meeting3प्रदेश सचिव नवीन चौधरी द्वारा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ निर्माण हेतु मिथिलाक कलाकार सबहक संग एकटा बैसारक प्रस्ताव सर्वसम्मति सँ पास कैल गेल। एहि वास्ते स्वयं नवीन चौधरीक संयोजन मे एकटा उपसमिति बनय तेकरा लेल अलग बैसार रखबाक निर्णय लेल गेल। विदित हो जे वर्तमान दशहरा, दिपावली ओ छैठिक समयान्तराल मे मिथिलाक कलाकार सब करोड़ों मैथिल जनमानस संग सोझाँसोझी भ अपन भाषा, भेषभुषा ओ संस्कार – सभ्यताक संरक्षणक संग-संग बिहारक उपेक्षा पर जनमानस केँ जागृति पेबाक अपील करता त निश्चिते मिथिला स्वराज्यक सपना पूरा होयबाक मार्ग प्रशस्त होयब – नवीन चौधरी प्रस्ताव रखैत कहलैन। सल्लाहकार अजित आजाद एकर अनुमोदन करैत मिथिलाक कलाकार सब सँ अपील जारी करबाक आ संगहि एकटा प्रकोष्ठ निर्माण करबाक बात कहलैन।

mrns-darbhanga-meeting4सह-संयोजक अनिल झा मिथिला राज्यक गंभीरता सँ आम-जनमानस केँ परिचित करेबाक आवश्यकता पर जोर दैत आगामी आमसभा मे विशाल जनसमूहक सहभागिता सुनिश्चित करबाक लेल ध्यानाकर्षण करबैत एकर विभिन्न आयाम ओ उपाय पर प्रकाश देलनि। दरभंगाक जनसभा मे कम सँ तीन-चारि जिलाक लोक केँ सहभागिता कोना हुअय ताहि लेल समुचित प्रचार-प्रसार ओ संगठन विस्तारक आवश्यकता अछि। एहि वास्ते कम सँ कम १०० पंचायत समिति पर भार दैत ई कार्य पूरा कैल जेबाक प्रयास होयत, ओ कहलैन। जनसहभागिता हेतु एकटा उप-समितिक गठन कैल गेल जेकर अगुवाई स्वयं अनिल झा द्वारा कैल जायत। सहयोग मे प्रदेश एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ महासचिव सहित रहता। ५-सदस्यीय जनसहभागिता उप-समिति द्वारा आगामी १५ सँ २० अक्टुबर बीच एहि विषय पर पुनः समीक्षा बैसार कैल जायत।

कोष व्यवस्थापन हेतु अनिल झा एवं प्रवीण नारायण चौधरी पर बहरिया सहयोग व्यवस्थापनक भार पहिने सँ देल गेल अछि। एहि वास्ते स्थानीय संरक्षक केर सूची निर्माणक संग तीसो जिला मे संगठन संयोजन कार्य मे लागल व्यक्ति ओ व्यक्तित्व सहितक एक परिचय पुस्तिका बनेबाक निर्णय करैत आगामी १५ अक्टुबर धरि एकर अन्तिम अवस्थापर पुनः समीक्षा करबाक निर्णय सेहो लेल गेल। मिरानिसे कोष व्यवस्थापन हेतु एकटा ठोस सदस्यता अभियानक संग आगू बढब आवश्यक अछि, जाहि लेल काल्हिक बैसार मे एकटा प्रस्तावना जाहि मे कुल ३ तरहक सदस्यता सँ सेनाक सांगठनिक सुदृढीकरण एवं भविष्य योजना निर्माण कैल जेबाक विषय पर विमर्श भेल। प्रस्ताव अनुरूप संरक्षक सदस्य, वैचारिक एवं आर्थिक सदस्य तथा सामान्य संगठन सदस्य बनेबाक निर्णय सर्वसम्मति सँ लेल गेल।

कार्यक्रमक प्रारूप – अतिथि आमंत्रण – अतिथिक प्रकार आदि विन्दु पर सेहो आपसी विमर्श कैल गेल छल जाहि मे निर्णय लेल गेल जे सदस्यता ग्रहण कएल व्यक्तिक अतिरिक्त केवल आमंत्रित अतिथि केँ अधिवेशन यानि ८ नवम्बर सहभागिता लेल जायत। कोनो आन संस्था, बैनर अथवा राजनीतिक दल आदिक सामूहिक सहभागिता वर्ज्य होयत, आमसभा मे सबहक खूल्ला स्वागत कैल जायत। अधिवेशनक उद्घाटन सत्र मे क्षेत्रक एमपी-एमएलए, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि मे सीमित सहभागिता लेबाक निर्णय भेल। आमसभा मे भाषण मात्र देबाक लेल मंच किनको सँ साझा नहि कैल जायत, व्यक्तिगत वा संस्थागत प्रचार सँ बचबाक लेल वक्ताक सूची पहिने सँ निर्धारित करैत केवल विषय पर संबोधन करबाक निर्णय लेल गेल अछि।

तहिना अतिथि स्वागत, भोजन ओ विश्राम सहित अन्य पूर्वाधार ओ वस्तुगत व्यवस्थापन हेतु विभिन्न कार्यभार संयोजन समिति द्वारा देल जेबाक निर्णय लेल गेल अछि।

आन्तरिक बैसार उपरान्त दरभंगाक अधिवेशनक संबंध मे एकटा प्रेस मिटींग सेहो राखल गेल छल। प्रेस केँ ब्रीफ करैत एक रिलीज देल गेल तेकर उतार निम्न रूप मे अछिः

पत्रकार मित्रों,

१४ अप्रैल २०१३ को स्थापित ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना’ एक राष्ट्रीय स्तरपर कार्य करनेवाली पंजीकृत सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था है जिसके मुख्य उद्देश्य हैं कि भारतीय गणराज्य में मिथिला राज्य को पुनर्स्थापित करने के लिये लोगों में जनजागरण के साथ-साथ वर्तमान राज्य तथा केन्द्र के द्वारा इस मांग को पूरा करने के लिये विभिन्न आन्दोलनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन समय-समय पर करे। पिछले ३-४ वर्षों मे इस संस्था के द्वारा विभिन्न चरणों में मिथिला राज्य निर्माण यात्रा के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी व सम्मेलन आदि के आयोजन भी होते आ रहे हैं। दिल्ली मुख्यालय तथा दरभंगा शाखा के अतिरिक्त मुम्बई, गुआहाटी, सहरसा, पटना, आदि स्थानोंपर भी कार्यकर्ता सम्मेलनों का आयोजन करते हुए मिथिला राज्य निर्माणार्थ हम विभिन्न सम्बन्धित विषयोंपर चर्चा के साथ-साथ सरोकारवालों को स्मारपत्र के माध्यम से हमारी मांगों को पूरा करने के लिये हम अनुरोध करते आ रहे हैं।

हाल ही १२ जून, २०१६ को पटना के चिन्तन शिविर में आन्दोलन को तीव्र गति से आगे बढाने का निर्णय किया गया था। साथ ही भारत के महामहिम राष्ट्रपति के नाम मिथिला राज्य स्थापित करने के लिये बिहार के महामहिम राज्यपाल के मार्फत हमने स्मारपत्र सौंपा था। इसी चिन्तन शिविर में आन्दोलनका स्वरूप व आगामी रणनीति बनाने को लेकर एक राष्ट्रीय अधिवेशन अगले महीने नवम्बर ८ एवं ९ तारीख को दरभंगा में करने का निर्णय लिया गया था। हम इसकी तैयारी में पूरे मनोयोग से लगकर इन दिनों में प्रदेश कार्यकारिणी का गठन से लेकर प्रस्तावित ३० जिलों – २४ बिहार के व ६ झारखंड के जिलों में सम्पर्क अभियान संचालित कर अधिवेशन के लिये प्रतिनिधि जुटाने का कार्य पूरा कर लिये हैं। प्रदेश कार्यकारिणी के अध्यक्ष डा. रंगनाथ ठाकुर के अध्यक्षता में आगामी अधिवेशन की तैयारी सम्बन्धी अन्तिम समीक्षा बैठक आज पूरा किया गया है।

आज के बैठक में ८ नवंबर को अधिवेशन सम्बन्धी कार्यक्रम कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के अन्तर्गत ऐतिहासिक दरबार हौल में करने का निर्णय लिया गया है। अतिथियों-प्रतिनिधियों को ठहराने का व्यवस्था वहीं पर स्थित मनोरंजन भवन में तथा ९ नवम्बर को विशाल आमसभा विश्वविद्यालय का खेल मैदान में करने का निर्णय लिया गया है। इस अधिवेशन में तकरीबन ३०० प्रतिनिधि विभिन्न जिलों के अलावे भारतके विभिन्न राज्यों में प्रवास पर रह रहे मैथिल अभियानियों के साथ-साथ पड़ोसी मुल्क नेपाल के मिथिलाक्षेत्रों से भी विद्वानों-अभियानियों व राजनीतिकर्मियों के संयुक्त सहभागिता की अपेक्षा कर रहे हैं।

राजा जनक द्वारा स्थापित-पालित मिथिला का ऐसे तो सौभाग्य है कि यह जानकी की पवित्र भूमि बनकर सदा-सनातन जीबित रहेगी, परन्तु जिस भारतवर्ष में शास्त्र, पुराण, दर्शन, विज्ञान, शिक्षा, संस्कार व सभ्यता की बुनियादी ईंटें मिथिला के द्वारा ही निर्माण किया गया आज वही दो देश में बंट जाने से कहीं भी संविधान द्वारा राज्य रूप में भी सम्मानित नहीं की जा सकी है। हमारी मांग है कि भारतीय गणराज्य में मिथिला राज्य को स्थापित किया जाय। साथ ही, नेपाल में भी संघीयता को स्थापित करके वर्तमान संविधान के द्वारा निर्मित प्रदेश २ की सीमामें सुधार करते हुए मोरंग, सुनसरी एवं झापा सहित का क्षेत्र को जोड़कर मिथिला-मधेश का नामकरण करते हुए संघीय प्रदेश के रूप में स्थापित किया जाय। हम भारत व नेपाल की सरकारों से अपील करते हैं कि हमारे प्राचिन एवं ऐतिहासिक पहचान को अपने-अपने संविधान में ससम्मान स्थान दे। हम जनक-जानकी के अंश-वंशवालों को भी अपनी भाषा, संस्कृति, भेष-भूषा व सभ्यता के साथ दोनों मुल्कों में स्वायत्तशासी राज्य के रूप में स्थापित करके अधिकारसंपन्न नागरिक के रूप में जीने का हक दे।

फिलहाल मिथिला राज्य निर्माण सेना भारतीय गणराज्य में मिथिला राज्य निर्माणार्थ सभी घटकों को एक मंचपर जोड़कर राज्य एवं केन्द्र पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिये जोर देना जरुरी समझकर आन्दोलन की गतिको तीव्रता प्रदान करने के लिये निर्णीत है। मिथिलाक्षेत्रों की आर्थिक उपेक्षा, लिपि व भाषा का दमन एवं पहचान समाप्त करने के लिये सारा कूचक्र के विरुद्ध निर्णयात्मक आन्दोलन के लिये हम विवश हुए हैं। यहाँ न सिर्फ विकास नदारद है बल्कि ९०% जनमानस का शिक्षा आधार सरकारी शिक्षा को भी ध्वस्त करके निहायत मजदूर आपूर्ति क्षेत्र के रूप में परिणति दिया गया है जिसका हम भर्त्सना करते हैं, व यहाँ के लोगों को खुद के साथ हो रहे दमनात्मक कूचक्रों के विरुद्ध जागने का आह्वान करते हैं। यहाँ का प्राकृतिक संसाधन जमीन, जंगल व जल का समुचित उपयोग करने के लिये आजतक किसी भी प्रकारका कोई योजना न बना पाना यहाँ की सरकार की निकम्मापंथ को दर्शाता है। अफसोस कि इसके लिये हमारे यहाँ के जनप्रतिनिधियों की आवाज को पटना व दिल्ली में कोई सुननेवाला तक नहीं है। उद्योग, कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, सेतु, सभी का हाल बेहाल ही रहा है। इतने सारे पंचवर्षीय योजनाओं से उत्तर बिहार को केवल पटना का दमन ही नसीब हुआ है। केन्द्र की महात्वाकांक्षी योजनाओं को भी छल व बलपूर्वक दक्षिण बिहार को ही उपहार स्वरूप दे देना, यहाँ तक कि राज्य गीत में मिथिला व यहाँ की महत्वपूर्ण अस्मिता को नकार देना, हर तरह से हमें दूसरे दर्जेका नागरिक होनेका भान देना और सारे देश में बिहारी बनकर पिट जानेको मजबूर ही किया है। अतः हमने फैसला किया है कि संघीय गणराज्य में हमें भी राज्य के रूप में रहने का पूरा हक है, जिसके लिये हमने देशकी स्वाधीनताकाल से ही मांग करते आये हैं, उसे पूरा करने का सही वक्त अब आ गया है और हम इसके लिये मर-मिटने को तैयार हैं।

अगले ८ नवम्बर हम सांगठनिक संरचनाओं को सुदृढ बनाने के साथ आन्दोलन की प्रकृति पर बन्द सत्रों में चर्चा करेंगे। ९ नवम्बर हम आम जनसभा का आयोजन करेंगे जिसमें ‘जय मिथिला – जय जानकी’ का मूल नारा के साथ अपने दमन व शोषण का विस्तृत व्यौरा आमजनों के समक्ष रखेंगे। अपने जनप्रतिनिधियों को भी अन्तिम चेतावनी देंगे कि राजनीति करो तो मिथिला के लिये, वर्ना बिहार गंगा के उस पार है, वहाँ जाओ। अब आर या पार की लड़ाई होगी। या तो राज्य दो या फिर मौत दो! अब और दमन-शोषण और कपट को हम नहीं वर्दाश्त कर सकते, चाहे इसमें हमारे खुद के लोगों को बलिदान देना पड़े, हम सभी स्थिति के लिये तैयार हैं।

आशा है कि आप संचारक्षेत्र में कार्य कर रहे मित्र-बंधुगणोंका हमें भरपूर समर्थन व सहयोग मिलेगा। आपलोगों को इसी रिलीज के साथ आमंत्रित करते हैं, आप न केवल अधिवेशन के विभिन्न समाचारों का संकलन कर हमें सहयोग करेंगे, बल्कि इन दिनों हमारी तैयारियों व विषयों पर भी समाचार संकलन करते रहेंगे जिससे आमजनों का जुड़ना सहज हो सकेगा, हमारी बातों को वर्तमान राज्य व केन्द्र तथा प्रशासन, न्यायपालिका आदिका भी पूरा ध्यान रहे और मांग को पूरा होने में सहुलियत हो।

राजेश झा डा. रंगनाथ ठाकुर श्याम झा
राष्ट्रीय महासचिव संयोजक व प्रदेश अध्यक्ष रा. अध्यक्ष