विशेष सम्पादकीय
– राम बाबू सिंह, प्रबन्ध सम्पादक, मैथिली जिन्दाबाद, दिल्ली
आइ मात्र किछु मास सँ मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा मिथिला राज्य आन्दोलन प्रति पुनः आवाज उठेबाक कार्य आरम्भ भेल अछि, आर एम्हर कतेको स्थापित मठाधीश जे कहय लेल आजन्म आन्दोलनिये बनिकय मिथिला लेल कार्य करैत आबि रहला अछि, एक सँ बढिकय एक काजक एल्बम बनाकय लोक सबकेँ देखौने फिरैत छथि, यों मारा, यों उखाड़ा आ कि नै किया कहनिहार – मिथिला आन्दोलनक भीष्म पितामह आ द्रोणाचार्य गुरुवर्ग सब युवा प्रयास मे फेर आवाज बुलन्द होएत देखि अपन स्थापित मठ केँ उजड़ैत देखि तिलमिला गेल छथि। एहि आन्दोलनक सब सँ पैघ कमजोरी जे एकनिष्ठ भाव सँ लक्ष्य संधान पूर्वहि लोकक अपन स्वार्थ आ महात्वाकांक्षाक हिलकोर एहेन बेतरतीब ढंग सँ लहैर मारय लगैत अछि जे कनिके टा सफलता भेटिते सब अपने मे मार-काट पर उतारू भऽ जाएत अछि।
“लड्डू लड़S त झिल्ली झरैय” एकटा अपना सबहक फकरा छैक जेकर सार्थकता आजुक परिपेक्ष्य में खूब भेटैए। निसन्देह स्वराज्य हमर अधिकार अछि आ तर्कसंगत ओ हमरा सभके भेटक चाहि। अपन अधिकारक संघर्ष करैत सात दशक होमय जा रहल अछि आ एखनहुँ वएह “ढाक के तीन पात” केँ चरितार्थ कय रहल छी।
मैथिली भाषाक संविधानक आठम अनुसूची मे स्थानक लड़ाई में विजयी प्राप्त कएला सेहो लगभग 13 साल बीत गेल जे पूर्वमे राज्य निर्माण में सेहो पेंच जेकाँ छलए। मुदा आब जखन सभ तरहें मिथिला राज्यक सन्दर्भ सब पक्ष में अछि तखन सभ अपने रायछित्ती भ रहल छी? एना छिड़ियाएत देखल जा रहल छी मानू जेना ई किनको कोनो व्यक्तिगत काज हुअय? आन्दोलन कोनो व्यक्ति विशेषक काज नहि अपितु समस्त जनताक हक केर लड़ाई होएत छैक से जरूर मोन राखब।
अजगुत लागैत अछि जखन मिथिला मैथिली लेल दसको सँ अभियानी संगहि राजनीतिक दल केर संस्थापक होयतो जँ ऐना चुल्हिपर चढल दूध जेकाँ उधिएबैक तखन केहेन राजनीति करबैक सेहो प्रश्नचिन्ह अछि। राजनीति धीर-गम्भीर बनि समाज केँ संग लयकेँ काज करबाक नाम थीक, नहि कि अकारण कनिको विरोध में चर्चा पर उछलि भगलहुँ। राजनेता बनबाक सौख राखय छी त बहुत किछु पक्ष आ विरोध में सुनय पड़त। अन्यथा जीवनपर्यन्त लागल रहु विशेष कोनो परिवर्तन नहि हएत?
हमर छोट मुँह पैघ बात हेतु क्षमा करब मुदा असलियत यएह अछि जे काज कएनिहार सभकेँ अभियान में अवरोध उत्पन्न करैत अछि आ अकारण काज में विलम्ब पर विलम्ब सेहो होएत रहैत अछि। विरोधी खेमा लेल सुखदायी जरूर होएत अछि कारण ओ चाहिते रहैछ जे ई सभ कुकुड़ बानर जेकाँ अपने में ओझराएल रहय आ हम मिथिलाक माटि-पानि सँ लSके सभटा संसाधन केँ “खोप सहित कबूतराय नमः” क दिऐक। ओना एखन धरि मिथिला मे लूट खसोट आ नष्ट नाबूत करबा में बिहार सरकार कोनो कसैर नहि छोड़लक अछि। अहाँ सभ छूछे मुंहपुरुख बनि अपने मियां मुँह मिट्ठू बनैत रहु मुदा सत्त में सभ पथभ्रष्ट भेल छी। उद्देश्य सँ भटकि गेल बुझना जाएत छी।
हमर आशय अछि लड्डू बनु बंगड़ सीमेंटक जोड़ जेकाँ जकर कोनो तोड़ नै छैक जे प्रचार में देखैत छी। जँ कियो तोड़S के प्रयास करत ओ स्वयँ क्षत विक्षत भ जाएत। एकजुटताक प्रदर्शन देखि विरोधी खेमा में सेहो माथ पर चिन्ताक रेखा उभरि जाए या ओ नतमस्तक भ अपन सबहक आन्दोलन के सहर्ष स्वीकार कय सरकार केँ कैबिनेट में चर्चा पर विवश भ जाए, तेहन काज करू। यैह एकगोट माध्यम अछि जाहि सँ विरोधीक निन परा सकैछ आ जानकीक सेनाक दिव्य स्वप्न साकार होमय में बेसी दिन नहि लागत। सभक मंगलकामना अपने समस्त मैथिलपुत्र अभियानी सँग अछि। आन्दोलन हेतु एकजुटताक दान सर्वप्रथम महादान, जुनि करू लाथ, आउ सेनाक साथ। जय मिथिला जय जानकी।