दिल्ली सरकार द्वारा न्युनतम मजदूरी बढेबाक घोषणापर प्रश्न

दिल्ली, अगस्त ३१, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

ficci letter on minimum wagesस्वतंत्रता दिवसक उपलक्ष्य दिल्ली सरकार द्वारा बढायल गेल न्युनतम मजदूरी १० हजार सँ १४ हजार कैल गेलाक घोषणा होएत देरी उद्योगी-व्यवसायीक संघ फिक्की द्वारा श्रम मंत्री गोपाल राय केँ चिट्ठी लिखल गेल अछि। दिल्ली सरकारक मंत्री केँ अन्य पड़ोसी राज्य मे निर्धारित न्युनतम मजदूरीक ब्योरा रखैत अनुरोध कैल गेल अछि जे एक्के बेर करीब ४६% केर बढोत्तरी सँ छोट उद्योग पर खराब असैर पड़बाक खतरा अछि। सबसँ बेसी रोजगार छोटे स्तरक उद्योग द्वारा देल जाएत अछि, मुदा एहि तरहक बढोत्तरी केँ जायज नहि मानल जा सकैत अछि।

विस्तार सँ खबैर साभार आजतक 

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स एंड कॉमर्स ऑफ इंडिया (फिक्की) एक चिट्ठी लिखिकय दिल्लीक श्रम मंत्री गोपाल राय केँ एना नहि करबाक लेल आगाह केलक अछि। कारोबारी सभक ई संघक तरफ सँ सेक्रेटरी जेनरल डॉ ए दीदार सिंह ई चिट्ठी लिखलनि अछि। चिट्ठी मे एहि बातक चर्चा कैल गेल अछि जे ४६ फीसदी बढ़ोतरीक चलते दिल्ली मे अति लघु और लघु कारोबार केँ भयंकर नुकसान उठाबय पड़ि सकैत अछि, कियैक तऽ यैह ओ सेक्टर थीक जे दिल्ली मे सबसँ बेसी रोजगार उपलब्ध करबैत अछि।

पड़ोसी राज्य सभक तुलना मे पहिने सँ न्यूनतम मजदूरी बेसी

delhi labor ministerफिक्की केर एहि चिट्ठी मे ईहो कहल गेल अछि जे आखिरकार दिल्ली केर पड़ोसी राज्य में न्यूनतम मजदूरी कतेक अछि, अलग-अलग श्रेणी मे पहिने सँ पंजाबक तुलनामे एतय मजदूरी ३० सँ ३२ फीसदी बेसी अछि, ओत्तहि हरियाणाक तुलना मे सेहो पहिनहि सँ १९ सँ लैत लगभग २६ प्रतिशत मजदूरी बेसी राखल गेल अछि दिल्ली मे। उत्तर प्रदेश और राजस्थान मे त ई अंतर आरो बहुते बढि जाएत अछि। उत्तर प्रदेश केर तुलना मे दिल्ली मे अलग-अलग श्रेणीक मजदूर सबकेँ ३२ सँ ३५ फीसदी मजदूरी बेसी देल जाएत अछि आर राजस्थान और दिल्लीक न्यूनतम मजदूरीक अंतर त ६४ सँ ८४ प्रतिशत तक अछि। एकरा बाद आब दिल्ली मे ४६ फीसदी बढ़ोतरी और प्रस्तावित अछि। ई अंतर कई गुना आरो बढ़ि जायत। संगहि एहि प्रस्ताव केँ लागू करायब मुश्किल होयत कियैक तऽ नौकरी देनिहार कि न्यूनतम मजदूरी देबो करैत अछि आ कि नहि, एहि पर नजरि राखब आरो दिकदारी भरल होयत। भ्रष्टाचार केर गुंजाइश बनले रहत।

कि होयत एकर असर?

कारोबारी सभक संघ केर मानल जाय तऽ एहि सँ दिल्ली मे कारोबार करनिहार केँ एक आरो पैघ धक्का लागत। ओ अपन ब्यापार-बट्टा समेटिकय बाहर जेबाक लेल मजबूर होयत।

कहल जाएत अछि जे केजरीवालजीक ऐलान सँ पहिनहि कारोबारी द्वारा एहि प्रस्ताव केँ लाल झंडी देखायल गेल छल, तैयो नहि केवल केजरीवालजी स्वतंत्रता दिवसक मौका पर एहि योजनाक ऐलान केलनि बल्कि अही हफ्ता मे प्रस्ताव कैबिनेट सँ पास करबाक सेहो तैयारी अछि।

दिल्ली सरकार केर सूत्रक मानब त श्रम विभाग केर एहि प्रस्ताव पर सरकारेक कतेको विभाग केँ आपत्ति अछि। कैबिनेट मे प्रस्ताव पासो भ जायत तऽ उपराज्यपाल केर पास पहुंचिकय एहि प्रस्ताव पर ब्रेक लागि सकैत अछि। ई सब बात केँ जानितो केजरीवाल द्वारा ई प्रस्ताव केँ अनबाक रिस्क शायद एहि बात खातिर लेल गेल अछि जे मजदूर सभक बीच ओ एकटा संदेश दय सकैथ जे ओ हिनका लोकनि भलाई मे लागल छथि।