मिथिलाक्षेत्रक आन्तरिक विभाजनः राजनीति कि षड्यन्त्र

मिथिलाक्षेत्र केँ उपक्षेत्र मे विभाजनक उद्देश्य कि?

फोटोः खबर सीमांचल
फोटोः खबर सीमांचल

इतिहास प्रसिद्ध भौगोलिक क्षेत्र ‘मिथिला’ केँ विखंडित करबाक षड्यन्त्र भाषा केँ तोडिकय, आन्तरिक भौगोलिक विशिष्टता केँ मूल सँ विच्छेद कय केँ आर क्षुद्र राजनीतिक हित लेल करबाक बात देखल जाएत अछि। एहि क्रम मे अररिया, किसनगंज, पुर्णिया ओ कटिहार जिलाक क्षेत्र केँ सीमांचल कहिकय विगत किछु वर्ष सँ गोटेक नेता अपन मूल पहिचान केँ अपने सँ गरियाबैत नव-नव पहिचान केँ स्थापित करबा मे कोनो कसैर बाकी नहि रखैत छथि।

मिथिला वर्तमान मे दुइ देश मे विभाजित अछि, तैँ एकर मूल स्वरूप मे छेद करैत आरो विखंडित कय एकरा समाप्त करबाक नीति बनायब कतहु सँ उचित नहि अछि। दुइ देशक बीच बेटी-रोटीक सम्बन्ध कायम राखय मे, धार्मिक जुड़ाव कायम राखय मे आ सामरिक विकास लेल मित्रता कायम राखय मे मिथिलाक भूमिका महत्वपूर्ण अछि। दुनू देशक सीमा खूल्ला रखबाक कारण आपसी सौहार्द्र सेहो कायम अछि आर कतहु सँ ई प्रतीत नहि होएत अछि जे सीमाक्षेत्र मे रहनिहार दुइ देश मे अछि। ई देखल जाएत अछि जे सख्त बीमार केँ नीक इलाज हेतु एम्बुलेन्स सेहो एक-दोसर देश मे बिना रोकटोक आवरजात करैत अछि। हरेक आर्थिक गतिविधि सँ लैत सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधि लेल भारत-नेपाल केर सीमाक्षेत्र मे रहनिहार निर्बाध आवागमन करैत अछि। आबयवला समय मे आरो समृद्धि बढत आ आपसी सहयोग केर सीमा विस्तार होयत ई तय अछि।

पशुपतिनाथ आ जानकीजी केर दर्शन संग बराहक्षेत्र व हिमालयक दुर्गम भाग मे पूर्ववत् दुनू पारक लोक अपन तपस्या आ सिद्धि हासिल करबे करत, कारण ई जनकक सिद्ध मिथिलाक्षेत्र केर मूल आध्यात्मिक आत्मा थीक। तखन राजनीति केर विद्रूप सँ एकर नाम आ मर्म मे विकृति अनबाक कार्यकेँ षड्यन्त्र नहि तऽ दोसर कि कहल जाय?

दोसर सीमा बांग्लादेश सँ लगैत अछि। एहि क्षेत्र मे मुस्लिम आबादी लगभग २५ सँ ३० फीसदी अछि। बांग्लादेश सँ भारतक सीमा औपचारिक तौर पर बन्द अछि, भले घूसपैठिया बांग्लादेशीक समस्या सँ पूरा देश आक्रान्त अछि आर ई एकटा चुनौतीक रूप मे सोझाँ ठाढ देखाएत अछि। एहि सन्दर्भ सँ देखला पर अनुमान लगायल जा सकैत अछि जे सीमांचल नामकरण मे कतहु न कतहु मुस्लिम वोटबैंक केँ एकठाम रखबाक रणनीति हो।

pappu seemanchalकिसनगंज सँ सांसद तस्लीमुद्दीन द्वारा मुख्यरूप सँ अररिया व किसनगंज केँ सीमांचल केर संज्ञा पैछला किछु वर्ष सँ देल जा रहल अछि, आर क्रमशः अन्य नेता लोकनि सेहो एकरा दोहरबैत सहमति दैत देखाएत छथि। हालहि मधेपुरा सँ सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव बहादुरगंज प्रखंड मे आयोजित एक जनसभा केँ संबोधित करैत एहि नामकरण केँ पुष्टि करैत बजलाह जे सीमांचल देश केँ कइएक नेता देलक मुदा ओ नेता सीमांचल केँ किछुओ नहि देलक। हुनक ई उक्ति ओना तऽ राजनीतिक आधार स्थापित करबाक लेल तस्लीमुद्दीन साहेब केर घर मे जा कय हुनकहि देल नामक उपयोग करैत पटकनी देबाक क्रम मे एकटा नव शिगूफा छोड़लनि, परन्तु जाहि नेतागण केँ जनादेश दैत लोक बेहतर भविष्य निर्माण केर सपना देखैत अछि तिनका सबहक मुंहपर राजनीतिक स्वार्थपूर्ति हेतु गलत नाम स्थान पाओत तऽ भविष्यक विद्रूपता स्वतः बुझल जा सकैत छैक।

मिथिलाक्षेत्र केँ उपक्षेत्र मे विभाजनक स्वरूप अत्यन्त भयावह देखाएछ। देशक आरो भाग सीमा सँ जुड़ल अछि, परन्तु ओहि ठाम सीमांचल नहि कहल जाएछ। कोसी सँ बड पैघ नदी सब समूचा भारत देश मे अछि, परन्तु अन्यत्र कतहु नदीक नाम पर क्षेत्रक नाम ‘कोसी’ जेकाँ नहि राखल देखाएछ। स्वयं हिन्दीक बोली अलग-अलग ठाम पर अलग-अलग रहितो एकरा मैथिलीक बोली अंगिका या बज्जिकाक नाम जेकाँ अलग-अलग नामकरण कैल गेल नहि देखाएछ। जे मैथिली भाषा जन-जन द्वारा बाजल जायवाला भाषा थीक आर एहि भाषाक सेवा मे किछु उच्च जातिक लोक अपन नीक लेखनशैली सँ प्रसिद्धि पबैत साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत होएत अछि तैँ ई भाषा ओहि उच्च जातिक बपौती भऽ गेल ई देशक कोनो हिस्सा मे कतहु चर्चा मे नहि देखाएत अछि सिवाये मिथिला केर। तऽ एतेक रास दृष्टिकोण एक्के बात इंगित करैत अछि जे मिथिलाक दुइ देश मे होयबाक सत्यतथ्य सँ निजात पेबाक लेल भारत मे विखंडित मिथिला क्षेत्र आर नेपाल मे सेहो मिथिला इतर मधेस केर राजनीति कय मिथिला केँ सदा-सदाक वास्ते मृत्युकेँ दान दऽ देल जाय। एहि गंभीर षड्यन्त्र केर विरुद्ध बुद्धिजीवी समाज केँ जागब आवश्यके टा नहि अनिवार्य सेहो अछि, मिथिलाक सनातन पहिचान केँ संरक्षित रखबाक लेल एहि उपक्षेत्रीय विभाजनक प्रतिकार सेहो ओतबे जरुरी अछि।