विराटनगर मे ३ बजे सँ ५ बजे धरि, बान्हल समयक लाइव रेडियो साक्षात्कार कार्यक्रम अछि आइ। अहाँ सब सेहो www.skyfm.com.np पर आनलाइन ई कार्यक्रम सुनि सकब।
अजित आजाद अपन लेखनी कार्यक संग-संग यथार्थ धरातलपर सेहो कोनो विचार केँ कोना स्थापित कैल जाय ताहि वास्ते बखूबी परिचित व्यक्तित्व छथि। अपन निजी जीवनक सब किछु दाउ पर लगाकय भाषा-साहित्य आ संस्कृति लेल हिनकर योगदान केँ हमरा सब एहेन नव लोक अत्यन्त आदरक संग सदैव देखैत आ सिखैत रहल अछि।
मैथिली भाषा हमर मातृभाषा थीक। एकर बड गहिंर साहित्य अछि, ओतेक पढल-लिखल हम अपने नहि छी जे बात बुझि सकब। तैँ साहित्यक गहिंराई मे जायब आब एहि जनम मे हमरा लेल संभव नहि रहल। मुदा जाहि तरहें स्वयं मैथिलीभाषी केँ अपने सँ अपन भाषा केँ घृणा करैत – प्रयोग करय मे लजाएत आ अपन बेइज्जती बुझैत एकटा अत्यन्त दरिद्र वर्तमान हम देखि रहल छी ई हमरा भीतरी हृदय केँ छहोंछित कय दैत अछि। हम एहि मे आर केकरो दोख कि दी, बरु अपन दमखम पर मैथिली जिन्दाबाद करब से प्रण केने छी। विराटनगर मोरंग केर राजधानी थीक आर एहि भूमि पर हमर जीवनक लगभग तीन दसक पूरय जा रहल अछि। एहि ठामक समाज मे मैथिली भाषा प्रति जे आदर, सम्मान आ सत्कार देखलहुँ ताहि सँ हम बहुत प्रभावित भेलहुँ। धन्यवाद ओहि समस्त अग्रज विद्वान् अभिभावक आ सामाजिक संरक्षक केर जिनकर सान्निध्य हमरा भेटैत रहल आर अपन मातृभाषाक सेवा मे दिन-राति लागि जेबाक प्रेरणा, स्फुरणा आ शक्ति-सामर्थ्य सबटा भेटल। धन्यवाद स्वयं जानकी केँ जे अपना संग-संग राघव – भगवान् राम केर साक्षात्कार करौलनि, स्वयं गौरी आ शंकर संग भेटौली आर सब इष्टदेव – कुलदेवी काली – माय-बाप-गुरुजन आ संपूर्ण परिजन केँ कोटि-कोटि नमन जे एहि जीवन केँ पृथ्वीक सर्वदा सुन्दर सभ्यता मिथिला मे जन्म-पालन-पोषण दय मैथिली भाषीक रूप मे हमरो एकटा परिचय आ व्यक्तित्व प्रदान केलनि।
आर, गुरुजन केर जखन नाम लेल जाय तऽ साक्षात् अजित आजाद केर नाम सोझाँ अबैत अछि। २०११ मे ३ मार्च जहिया दहेज मुक्त मिथिला केर फेसबुक (सोसल मीडिया) पर निर्माण भेल आर भारत-नेपाल केर सब मैथिल युवजन हमरा पर ई भार सौंपलनि जे भाइ अहाँ एकर नारा केँ बुलंद करियौक, तऽ हम एकटा सूझ केँ अंग लगबैत कहने रहियैन जे अगबे दहेज हँटाओ, कूरीति दूर करू आदि अपन विवेकशील मिथिला समाज केँ कहबैन तऽ बताह-बेवकूफ मात्र बनब, ताहि हेतु एहि अत्यन्त संवेदनशील आ बौद्धिक सामर्थ्य सँ परिपूर्ण समाज केँ बुझेबाक वास्ते हमरा लोकनि अपन विगत केर समृद्ध इतिहास सँ चर्चा उठाबी, अपन धरोहर केर महत्ता पर सामाजिक विमर्श केँ आरम्भ करी, गाम-गाम जे पोखरि आ मन्दिर केर निर्माण भेल ओहि दिनक सामाजिक अवधारणा केँ पुनः उत्थान करी…. कारण ताहि दिन लोक-समाज मे आपसी हित आ परोपकार केर जेहेन सद्भावना छल ताहि मे आजुक परिवेश आ परिस्थिति मे बड पैघ अन्तर आबि गेल अछि, तैँ हम समस्त सोशल एक्टिविस्ट – सामाजिक अभियंता कोनो एहेन धरोहर केर संरक्षण सँ काज आरम्भ करी जाहि सँ सामाजिक संवेदना हमरा लोकनिक नारा संग स्वस्फूर्त जुड़त आर जे उद्देश्य लेल अपने लोकनि जिम्मेवारी दय रहल छी सेहो पूरा होयत।
जी! एहि क्रम मे हम सब “सौराठ सभागाछी” केर चुनाव कैल। किछु परिवर्तनक संग एहि सभागाछी केँ फेर सँ हरित-भरित उपवन समान सजेबाक सपना देखल। आर एहि अभियान केँ शुरु करबाक लेल सर्वप्रथम एकटा बैसार पटनाक प्रबुद्ध मैथिल समाज संग करबाक नियार कैल। ओहि समय दहेज मुक्त मिथिला मे जुड़ल युवक अभियंता सोनू मिश्रा केँ संयोजनक भार देल आर सोनू जी मैथिली लेखक संघ केर अध्यक्ष विनोद बाबु व आदरणीय अजित भाइ केर संग आगाँक बैसार लेल भेंट केलनि। ई बात पहिने निश्चित कय लेल गेल छल जे श्री अजित आजाद जे संयोगवश सौभाग्य मिथिला टीवी चैनेल मार्फत एक सँ एक गंभीर कार्य कय चुकल छलाह हुनकर अनुभव हमरा लोकनिक उद्देश्य परिपूर्ति मे बड काजक होयत। आर, ताहि क्रम मे गुरुवर अजित आजाद भेटलाह। कम्मे शब्द मे बहुत दूरगामी सीख भरल बात बाजब हिनकर विशेष कला बुझायल। बात भेल। रास्ता भेटल। सीधे सौराठ पहुँचि काज आरम्भ भऽ गेल आ अभियान बहुत दूर धरि पहुँचल, आइ धरि आगू बढिये रहल अछि, २३ अक्टुबर मुम्बई मे सौराठ सभाक परिकल्पना पर वर-वधू परिचय सम्मेलनक आयोजन ओहि ठामक मैथिल समन्वय समिति करय जा रहला अछि, आरो स्थान पर सौराठ सभा चलय आ फेर मैथिल सब जाति-समुदाय केर वैवाहिक सम्बन्ध हेतु सुनिश्चित प्रक्रिया आराम सँ पूरा होएक ई सपना पूरा हो, एहि सँ सुडौल संतान आ मिथिलाक रक्षक फेर सँ पैदा लेत। आजुक विपन्न अवस्था जे अपन भाषा अपने नहि बाजब आ दाँत खिसोरिकय हें-हें-हें ‘मैथिली बोलना नहीं आता है, मैथिली बोल्न आउंदैन’ एहि सँ मुक्ति जरुर भेटत। अपन मिथिला राज्य बनत, भारतो मे आ नेपालो मे आ मैथिली भाषाक संग-संग जनक-जानकीक समृद्धि फेर सँ वापस प्राप्त होयत। मिथिला जहिना सनातन पहिचान बनि आइ धरि कोनाहू जीबित अछि से अहिना अमर पहिचान संग जीबित रहत। लोक आओत-जाओत…. हम सब नहियो रहब… परन्तु जनक-जानकीक मिथिला सदा-सदा लेल बनल रहत।
तऽ आउ, परिचित होइ स्वयं स्थापित स्रष्टा अजित आजाद सँ – आजुक रेडियो वार्ता मार्फत आर किछु सीखी, किछु बुझी, किछु आगुओ लेल विमर्श करी – तऽ आनलाइन सुननिहार आ स्टुडियो मे उपस्थित सब मैथिलीप्रेमी सज्जन एवं महिलागण केँ प्रणाम करैत आजुक कार्यक्रम केँ आगू बढाबी!
साहित्यकार तऽ अपने छीहे, मुदा एकटा अभियानी आ अत्यन्त सक्रिय अभियन्ता – संचारकर्मी – विद्वान् – शोधकर्ता आ निरंतर अपन सकारात्मक योगदान सँ मैथिली-मिथिला केँ बढेबाक संग-संग अपन राष्ट्र आ संपूर्ण मानव समाज लेल साक्षात् अवतार छी “अजित आजाद”। स्वागत आ अभिनन्दन!!
हरिः हरः!!