मैथिली पत्रकारिता पर दिल्ली मे समीक्षात्मक प्रतिवेदन प्रकाशित

राम बाबु सिंह, दिल्ली। अगस्त ५, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

msm maithili patrakaaritaaभारतीय भाषा के उत्थान हेतु मिडिया स्कैन सँग मैथिली साहित्य महासभा के संयुक्त रुपे “मैथिली पत्रकारिता के लोकार्पण आ संगोष्टीक” आयोजन मैथिली पत्रकारित जगत के लेल एकटा अद्भुत प्रयास स्वरूप देखल जा रहल अछि।

चुकी मैथिली पत्रकारिता मुख्य विंदु छल ताहि हेतु अप्पन भाषाई वक्ता लोकनि मात्र मैथिली में अपन बात के राखि सभागार में उपस्थित मैथिल मिथिला आ मैथिली भाषा के उत्साहवर्धन केलथि जे अत्यंत सम्मानीय आ आत्मीय रहल। मैथिली पत्रकारिता के इतिहास सँग उत्थान पतन होयत कोना समय के साथ बहुते रास पत्रिका काल कल्पित होयत गेल चर्चाक मुख्य विंदु रहल।

किसलय कृष्ण जी केर संचालन में कार्यक्रम के प्रारम्भ बहुत सराहनीय प्रशंशनीय रहल। मैथिली पत्रकारिता सँग एखनहुँ कोनो ने कोनो रुपे जुड़ल छथि आ एकटा पूर्व में पत्रिका सेहो प्रकाशित कएने छलाह मुदा किये बन्द करय पड़लनि से अपन अनुभव साझा कएलाह।

फेर कार्यक्रम के संयोजक एवं मैथिली साहित्य महासभा केर महासचिव संजीव सिन्हा जी मैथिली पत्रकारिता के विशेषता सँग सामाजिक सरोकार सम्बंधित अपन बात पुरजोर तरीका सँ रखलाह। तकर बाद मैथिली पत्रकारिता विशेषज्ञ श्री विरेन्द्र मल्लिक जी 111 वरखक मैथिली पत्रकारिता केर इतिहास डाटा सहित तर्कपूर्ण आ तथ्यपूर्ण तरीका सँ रखलाह। एखनहुँ छोट पैघ सब मिलाकय 267 पत्रिका अबैत अछि। 1905 सँ लयक 2016 धरि मैथिली भाषायी पत्र पत्रिका के विमोचन सँग कहिया धरि सेवा में रहल ताहि पर चर्चा केलथि।

एहि अवसर पर जेनयू के प्रोफेसर डॉ देवशंकर नवीन जी कुन तरहे मैथिली भाषा के राजनितिक शिकार कएल गेल, बिहार में मैथिली के विरोध में अंगिका, बज्जिका आदि उपभाषा केँ कोना सोझाँ आनि तत्कालीन सरकार मैथिली भाषा केर विकास में अवरोधक काज कएलक, आर एखन जे दुर्दशा अछि ताहि पर सेहो विस्तार सँ चर्चा केलथि। सब सँ पैघ बात मिथिलाक विकास के लेल मैथिली केर विकास आवश्यक छैक ताहि पर जोर देलथि।

तहिना मैथिली पत्रकारिता समूह केर अध्यक्ष भाई नदीम अहमद काजमी जी अपन छात्र जीवन केर रोचक संस्मरण कहलाह जे हम जेनयू केर छात्रवास में एकटा मिश्रा जी के संगहि रहैत छलहुँ। ओतय कैंपस में सब छात्र अपन अपन क्षेत्रीय भाषा में बातचित करैत रहैत छलाह मुदा हमरा सब हिंदी में बाजैत छलहुँ किएक त हमरा मैथिली नै अबैत छल। तखन मिश्रा जी एक दिन कहलाह कि “रौ मियाँ देखै नै छहि एतय कैंपस में सब अपन अपन भाषा में बजैत छैक तोरा किये लाज होय छऊ, तहुँ बाज” आ तहिये सँ हम शुरू कएलहुँ जे आई धरि बजैत छी।

फेर आखिरी वक्ता श्री अतुल कोठारी जी छलाह जे गैर मैथिल छलैथ मुदा हिंदी भाषा केर विशेषज्ञ आ भारतीय भाषा केर प्रसार हेतु समर्पित कार्यकर्ता। भारतीय भाषा केर उत्थान तखने सम्भव हएत जखन अपन मातृभाषाक उत्थान यएह हिनकर मुख्य विंदु छलनि। कारण जे सरलता सँ बूझि सकी आ बुझा सकी वएह भाषा में बात करबाक चाहि।

एकटा वैज्ञानिक शोध केर चर्चा सेहो कोठारी जी कएलाह कि अंग्रेजी बुझ बाला के माथक बाम भाग सक्रिय रहैत छैक जखन कि हिंदी भाषाई के बाम दाहिन दुनु सक्रिय रहैत अछि। दोसर बात मातृभाषा आ मातृभूमि के कुनु पर्याय भए नै सकैत अछि। उदाहरण देलथि कि जँ कुनु सोनपरी अहाँक समक्ष आबि जाए त कि कियो हुनका माँ केर दर्जा द सकैए छथि? तहिना मातृभूमि चाहे कियो कोनो देश चलि जाए मुदा ओकर अपन माटि पानि सँ सुन्दर नै लागि सकैए अछि? मातृभमि आ मातृभाषा केर स्थान सर्वोपरि होयत रहल अछि आ होएते रहत।

भारतीय भाषा और साहित्य के विकास में मैथिली पत्रकारिता के योगदान आलेख श्री वीरेंद्र मल्लिक बहुत सुंदर, संजीव जी केर सम्पादकीय लेख मैथिली पत्रकारिता का परिदृश्य, मैथिली टीवी चैनल : इच्छा शक्ति और दूरदर्शिता की जरूरत आलेख मनोज पाठक, कन्त शरण जी केर आलेख अपार सम्भावना हाउ मैथिली टीवी पत्रकारिता, डॉ गंगेश गुंजन जी केर आलेख मैथिली रेडियो का करना होगा विस्तार, विनीत उप्पल जी केर विदेह ने रचा स्नानान्तर साहित्य आ संगहि भाष्कर झा केर मैथिली वेब पत्रकारिताक वर्तमान एवम भविष्य सब बहुत सुंदर आ सराहनीय अछि।

मूल सार यएह अभरैत रहल जे प्रदेश केर विकास हेतु भाषा केर विकास नितान्त आवश्यक अछि। जँ समृद्ध आ खुशहाल मिथिला देखक इच्छा अछि तखन पहिने अपन मातृभाषा केँ समृद्ध बनाबय पड़त। जे एखन कतौ अपन अस्तित्व बचेबा के लेल संघर्षरत अछि। हमरा निज भाषा पर गुमान अछि, मैथिल छी आ सदैव एकर उत्थान हेतु अग्रसर रहब – एहि भावनाक संग उपस्थित जनमानस स्वसंकल्पित होएत देखेलाह आर यैह मैथिली जिन्दाबाद केर मार्ग प्रशस्त करत ई स्पष्ट भेल। जय मिथिला जय जानकी।