आइ १८ जुलाई, २०१६ जन्तर-मन्तर पर मिथिला राज्य केर मांग लेल पुनः एक दिवसीय धरना प्रदर्शन राखल गेल। आयोजक संस्था पुनः अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा ईहो खानापूर्ति संभव भेल। कहबी छैक न जे पुराने चाउर पथ पड़ैत छैक, तहिना कतबो नवतुरिया सब एहि आन्दोलन मे सहभागिता देबाक धून मे लागल मुदा धधाकय आयल फूहाकय गेलवाली बात…. दिल्लीक दिलवाली भूमिपर मिथिला राज्य लेल आन्दोलन मे कियो नहि टिकि सकल, एकमात्र अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति टेक धेने अछि। निश्चित रूप सँ पहिने के अपेक्षा आब एहि मंच पर सर्वदलीय सहभागिता देखल जाएत अछि। लेकिन पिछला किछु वर्ष मे नवतुरिया धिया-पुता सब मिथिला लल लौल लय केँ अबैत अछि, ओकरा माइक चाही, ओहो बाजैत अछि आ बजिते-बजिते अपन बौद्धिक सामर्थ्य गुणे अपने मे शिकायत करब आरम्भ कय दैत अछि। ओकरा बजबाक एतबो होश नहि रहि जाएत छैक जे वर्तमान धरना-प्रदर्शन मिथिला राज्य केर मांग पर केन्द्र सरकार आ भारतीय राष्ट्रपति प्रति संबोधन होएत छैक। एहि संबोधन मे राज्य कियैक चाही ताहि विन्दु टा पर बाजल जाएत छैक। मुदा किछु बजक्कर लोक सब बात बिसैरिकय आपसे मे ढूइसबाजी शुरु कय दैत अछि।
हमरा याद अबैत अछि जे पहिल बेर २०१२ मे हमहुँ एहि मंच पर पहुँचल रही। बिहार गीत मे मिथिलाक उपेक्षा सँ जे भीतर लहैर मारने छल आ तेकरा बाद जाहि तरहें डा. धनाकर ठाकुर जी द्वारा अनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम केर आयोजन करैत नवतुरिया केँ मिथिला राज्य केर मुद्दा सँ परिचित करौने रही एहि सबहक असैर हमरो पर छल। मिथिला राज्य केर मुद्दा पर कियो लड़त, हम संग रहब; यैह संकल्प छल। दिल्ली गेले रही, धरना-प्रदर्शन मे भाग लेलहुँ आ संयोगवश पूर्वहि सँ परिचित नेता डा. बैजू हमरो अपन भावना रखबाक लेल मंच पर बजौलनि। अपन मनक बात – अन्तर्भावना रखैत अन्त मे एकटा बात मोन पड़ि गेल जे डा. धनाकर ठाकुर बेर-बेर आरोप लगबैत डा. बैजू केर नाम संस्था आ अभियान चोरी करबाक इल्जाम (आरोप) मे कहैत छलाह… ताहि बात केँ हम कनेक परिप्रेक्ष्य बदैलकय रखने रही, कहने रही सभा मे जे युवा तुरक कार्यकर्ता सब एहि मे शामिल होयत ताहि दिशा मे कार्य करब आ खूब नीक रहैत जँ डा. धनाकर ठाकुर सेहो एहि मंच पर संगहि धरना-प्रदर्शन पर बैसितैथ। हम केवल विषय टा छुऔने रही। बाद मे मंच संचालनकर्ता स्वयं डा. बैजू हमरा तरफ इशारा करैत बहुत शालीनताक संग कहने रहैथ जे हम सब तऽ लालायित छी जे डा. धनाकर बाबु संगहि अबितैथ, जरुर स्वागत अछि – सब मिलिकय लड़ब तखनहि हमरा सबहक मांग शीघ्रता सँ पूरा होयत। अलग-अलग मंच मिथिला आन्दोलन केँ कमजोर केने अछि।
बाद मे डा. धनाकर ठाकुर सँ एहि बात पर ध्यान देबाक अनुरोध कएल तऽ एकभग्गू लोक ओ उनटे हमरा दरभंगी खान केर चमचा आदि कहिकय अपना हिसाबे अमैप केर सदस्यता सँ सस्पेन्ड करबाक मैसेज पठा देलैन। हुनका शायद बुझबा मे भांगठ भेलैन जे हमहुँ एकटा क्रान्तिकारी आ कर्मठ निर्लोभी सुच्चा समाजवादी पिताक पुत्र रही – बस हमरा आ हुनका मे एहि बात लेल ठैन गेल जे अहाँ सब मिथिलाक नाम पर ठकैती कय रहल छी आ कनेक अपन सनक बात नहि बुझायल आ कि फेसबुक चैटलाइन पर केकरो शख सँ लेल सदस्यता पर्यन्त खारिज करबाक धौंस दैत छियैक। हम मजाके-मजाक मे हुनका पर महाभियोग लगेबाक बात कहैत विधानक प्रति आदि मंगलहुँ। बात खूब बढि गेल। ओहि बीच हुनका एना बुझाय लगलैन जे कहीं हुनकर गद्दी हम नहि छीन लेब। ओ पूर्णरूपेण भंगैठ गेला आ १९५० सँ १९९२ के बीच ‘मिथिला राज्य’ लेल कियो कतहु काजे नहि केलक, बस १९९२ मे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक स्थापना ओ केलैन आ ओत्तहि सँ राज्यक मुद्दा पर लोक सब कार्य करब शुरु केलक। हमरो वर्दाश्त नहि भेल, आवेश मे आबिकय गुरुद्वय डा. देवेन्द्र झा आ सियाराम सरस सर संग बात करैत १९५० सँ १९९२ धरिक पूरे व्योरेवार कार्य-विवरण पेश कय देल। कोन विभूति कतेक कार्य कएलनि ई सब बात राखि देल फेसबुक पर। पुनः डा. ठाकुर द्वारा हमर देल जबाब केर पैरावाइज जबाब आ तरह-तरह केर खंडन आदि प्रकाशित कैल गेल। हमरा आ हुनका मे खूब बहस भेल। शायद ओहो एकटा जरिया बनि गेल जे मिथिला राज्यक मुद्दा एक तरहें आम बहस केर विषय बनल सकारात्मक पक्ष मे, मुदा नकारात्मक पक्ष मे सेहो एकर कूचर्चा कतेक लोक केलैन। खैर! डा. धनाकर ठाकुर केर जे मान-मर्यादा रहबाक चाही ताहि मे कतहु कोनो कोताही कहियो नहि कैल गेल। मुदा एतेक हम ठानि लेलहुँ जे नवतुरिया केँ एहि बुढबा सब सँ अलगे अपना स्टाइल मे जोड़ब जरुरी अछि, नहि तऽ ई फट्ठाबाजी आ बहस – तर्क-कूतर्क मे नवतुरिया सब भटकले रहत। आर ताहि अनुरूपे मिरानिसे केर निर्माण सँ लैत रथयात्रा आ विभिन्न संगोष्ठी आदिक आयोजन युवातुर द्वारा होएत रहल।
लेकिन ओ बहसबाजीक रोग मैथिल अभियानी – मिथिला राज्य अभियानी मे आपस मे श्रेय लेबाक लिलसाक संग मानू जेना वायरल बनि गेल। आब एहेन कूतर्की बहस सब सेहो होमय लागल जाहि मे खुलिकय माइये-बहिने गाएर तक लिखल जाय लागल। लोक एक दोसर केँ व्यक्तिगत ओकादि तक मोन पारल लगलैक आ बुझू जेना बहसक कोनो दर्जे नहि हो, सौंसे घिनाय लागल। एकरा सँ प्रचार पूर्णरूपेण नकारात्मक होएत गेल आ बहुत नीक लोक बाजब छोड़ि देलनि। कतेक सुकुमार केँ तऽ आइ धरि त्रास पैसल छन्हि आ गाइर केर डर सँ ओ घर धेने छथि। मिथिला आन्दोलन केँ अप्रत्यक्ष रूप सँ सहयोग देता, लेकिन ओ सोझाँ विभिन्न बहन्ने नहि रहय चाहि रहल छथि। एहेन सुकुमार लोक केँ हम आरो बेसी मानहीन आ पौरुषहीन मानैत छी। तथापि नव पीढीक लोक मे जोश कमी भेल देखि फेर सँ कार्य आरम्भ करबाक लेल प्रयास जारी कैल गेल अछि। आब लगभग २ महीना सँ युवा तुरक सेना सब फेर अपन राज्य लेल चर्चा आरम्भ कय देलनि अछि। ई देखि फेर कतेको दंभी आ कूतर्की सब केँ छटपटी लागल अछि।
पिछला किछेक वर्ष मे कतेको बेर धरना-प्रदर्शन मे भाग लेलहुँ। देखलहुँ जे युवा तुर केँ बजबाक होश नहि रहि जाएत अछि। गोटेक बुढवो तुर सब आपसी घोंघाउज विभिन्न बहन्ने शुरु कय दैत छथि। अहाँ हमरा आमंत्रित नहि केलहुँ, अहाँ हमरा सबहक बात नहि मानलहुँ, हमरा नाक मे खैंठी गैर गेल, हम रुसि गेल छी…. आदि… कोनो न कोनो बात लऽ कय आपसे मे बहस शुरु होएत देखलहुँ। हर बेर! हँसियो लागय, मुदा क्षोभ बेसी होएत छल। जखन कि मिथिला राज्यक मांग एकटा राजनीतिक मुद्दा थिकैक। लेकिन एहि मे नेतृत्ववर्गक लोक केँ बजबाक सबूर नहि देखि दुःखी होयब स्वाभाविक छल। युवातुर मे सेहो ई समस्या खूब घर केलक। एकर अन्तिम गवाह हम ५ दिसम्बर, २०१३ केँ बनलहुँ आ तेकर बाद आइ धरि मौका नहि लागल अछि। २०१४ मे चुनाव आ फेर २०१५ एवम् २०१६ मे दिल्ली यात्रा कम हेबाक कारण हम व्यक्तिगत तौर पर सहभागी नहि बनि पेलहुँ अछि। लेकिन ध्यान सब बेरुक धरना-प्रदर्शन पर ओत्तहि रहैत अछि। सब बेरक समाचार लैत प्रकाशित करैत आयल छी। आइयो ओहिठामक सब बातक समाचार समेटैत रही, ताबत मे खबैर भेटल जे फेर अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक युवा नेता रोहित यादव संग किछु दुर्व्यवहार जेकाँ भेल। तुरन्त जिज्ञासा जागल जे कि बात रहैक? फेर कहीं पहिने जेकाँ अलर-बलर-चुलर बजबाक कारण तऽ नहि? तऽ कहल गेल जे हँ, किछु तेहने। मुद्दा सँ हँटिकय अपन अलगे राग अलापय लगलाह ताहि पर आयोजक व अन्य गणमान्य लोकनि हुनका टोकि देलखिन जे मुद्दा पर बाजू!
हम एतेक वृत्तान्त केवल एहि लेल एतय रखलहुँ अछि जे जागरुकताक स्तर तऽ एक दिस बढि रहल अछि। मुदा बिना समुचित अध्ययन आ ज्ञान हमरा लोकनि आपसी बहसबाजी मे कियैक पड़ैत छी – ई एकटा सोचनीय विषय भेल। कृपया सरोकार बुझू। संबोधनक प्रकार बुझू। आपस मे फरिछेबाक हो तऽ ओहि लेल एकटा बन्द सत्र अधिवेशय बजाउ। सब बात लेल समय-समय पर आपसी पंचायती कय सकैत छी। मुदा एना सार्वजनिक स्थल पर घोंघाउजी बहस सँ आलोचक केँ हँसबाक आ मिथिला आन्दोलन प्रति लाँछणा लगेबाक मौका भेटैत छैक। कृपया एहि दिशा मे सब कियो ध्यान देबैक आगाँ।
हरिः हरः!!