छीटखोपड़ी सँ रहय जाउ सावधान, केवल सीखू करब अपन योगदान!!
सन्दर्भ अछि हालहि संपन्न पटनाक चिन्तन शिविर जाहि मे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक संस्थापक पक्ष – कार्यकारिणी पक्ष व विभिन्न पक्षक संङोर करैत आगाँ कोना-कि करबाक चाही तेकर आयोजन आर ताहि पर सामाजिक संजाल मार्फत ‘छीटखोपड़ी’ चर्चा। विदिते अछि जे छीटखोपड़ी ओकरा कहल जाएत अछि जेकर मस्तिष्क कहियो कोनो विषय पर गंभीर नहि रहि पबैत अछि। ओकर बौद्धिकता मे उठल्लूपना आ हल्लूक बनिकय अगबे कोढि समान भावना सब दैत रहबाक बात शामिल रहैत अछि। ओकरा अपन किरदानी पर समीक्षाक कहियो फुरसतियो नहि भेटैत छैक, धरि दोसरा केँ चरित्र प्रमाणपत्र केर स्वयंभू ठेकेदार ओ बनि जाएत अछि।
मिथिला आन्दोलन मे छीटखोपड़ी सँ सावधान रहय जाउ। ओकरा पता किछु नहि रहत आ गप लंबा-लंबा देत। पहिलुका जमाना मे लोक अखड़ा पर सूतब नीक मानय, मुदा गन्हायल सुजनी-केथरी के शख पहिनहु छीटखोपड़ीक बेसी होएत छल। कहबी छैक न जे जेहने अन्न खेबह तेहने मन हेतह…. तहिना जेहने रहन-सहन मे रहब, तेहने जीवन-मंथन करब। मिथिला आन्दोलन गन्हायल भावना सँ दूर पूर्ण समर्पणक संग निभेबाक अछि। अपन योगदान तय करबाक अछि। अनाहक टीका-टिप्पणी आ क्रियाकलाप सँ दूर रहय जाउ। बेकार आ ब्यर्थ मे समय बितौनिहार सँ मिथिला राज्य निर्माण सेनाक ओजन मापन आ कि ओकर विचारशक्ति पर विश्लेषण कय सकब संभव नहि अछि।
एक तरफ लोक दिन-राति एक केने अछि जे अपन मातृभूमि लेल किछु कय सकैत छी। ई जीवनक सार्थकता किछु करिते सिद्ध करब। अपन मिथिलाक मान-सम्मानवर्धन लेल अगबे फुस्टिक नहि छोड़ब। ठोर तर खैनी देने जथाभावी अक्कर-धक्कर भोजन चापि चौसर पर बैसिकय भुसभुस्सी सँ पीं-पाँ पाद छोड़ैत खेलाएत रहब तास, मुदा बात करब तेना जेना पटना पर रहय अपनहि अधिकार, ई सब प्रवृत्तिक लोक मिथिला आ कि मैथिलीक कहियो हित कय देत ई सोचनाइयो अपन उर्जा केँ नष्ट केनाय भेल। तखन सामाजिक संजाल पर फूसिये लटकल छी, मजा लऽ रहल छी आ बीच मे मिथिला-मैथिलीक नाम तेना दुरुपयोग कय रहल छी जेना सब सँ पैघ चिन्तक अहीं थिकहुँ…. ई पापाचार होयत।
एक बात ध्यान रहय – मिथिला आन्दोलनक सफलता लेल हरेक बेटा केँ तैयार हेबाक अछि। चाहे ओ १०० टाका महीनवारी दऽ सकय वा ५० टाका आ कि ५ हजार या स्वेच्छा सँ मातृभूमि प्रति ओकरा जैह देबाक इच्छा होइक ततबे दौक…. पाइ जमीन पर काज करबाक लेल चाही। कतेक बेटा एहनो अहि जे आइयो गाम-घर मे रहैत बोनि-मजदूरी सँ अपन जीवन निर्वहन करैत अछि। हमरा सब सँ बेसी ओकरे सँ सिनेह अछि। वैह असल वैदेह थीक। ओकरो स्वैच्छिक योगदान मिथिला निर्माण मे चाही। ओकर सदेह उपस्थिति सँ जमीन पर कार्यक्रम होइ आ बच्चा-बच्चा मे ई सन्देश जेबाक चाही जे कोना मिथिला सनातन पहिचान आ पूर्ण सिद्ध संस्कृति युगों-युगों सँ अपन स्वतंत्र अस्मिताक संग रहल। ई कियैक आइ विपन्न अछि। एकरा कोना हमर सब फेर संविधानसम्मत राज्य बना सकब आ कोना एकटा सफल आ संपन्न भूगोल मिथिला वास्ते निर्माण कय सकब। कि सब फायदा छैक जन-जन केँ ई सब बतेबाक अछि। एहि तरहें सबहक योगदान सँ मिथिला बनत।
मिथिला राज्य निर्माण सेना दोसर खेप जे फेर सँ टाइट भऽ कय ठाढ भेल अछि तेकर मूल शक्ति स्वैच्छिक योगदान छैक। अहाँक जे स्वेच्छा हो से मिथिला वास्ते निछाबड़ करू। जमीन पर छी – प्रवास मे छी – सब कियो मिलिजुलिकय अपन योगदान सँ अभियान आगू बढाउ। दरभंगा मे शीघ्रता सँ कार्यालय आ बैंक एकाउन्ट हो – सब स्वैच्छिक योगदान देनिहारक नाम सूचीबद्ध हो आर हम सब आगू बढैत रही।
हरिः हरः!!