मिथिला आवाज सेहो भारत आवाज बनि हिन्दी मे चलत – कि कारण?

विशेष सन्दर्भः मिथिला आवाज ‘मैथिली दैनिक समाचारपत्र’ केर पुनर्संचालन

chandra mohan jhaसाभार मिथिमिडिया संपादक रूपेश त्योथ सामाजिक संजाल पर एकटा विशेष चर्चा प्रकाश मे आयल अछि। डा. चन्द्र मोहन झा – संस्थापक आ संरक्षक – मिथिला आवाज – मैथिली दैनिक समाचारपत्र केर नाम सँ एकटा सम्पादकीय स्तम्भ मे ‘अमित द्विवेदी’ नामक मिडिया विशेषज्ञ केर लेख छपल अछि। मार्च ४, २०१६ केर ई लेख मिथिला आवाज डट नेट पर प्रकाशित अछि। एकर शीर्षक आ संवाद मे डा. चन्द्र मोहन झा केर नाम केँ मुख्य मोहरा बनायल गेल स्पष्ट देखाएत अछि। कहल गेल अछि, क्षेत्र से बढकर देश केर भाषा होएछः डा. सीएम झा। विवरणी मे उल्लेख कैल गेल बात जहिनाक तहिना हिन्दी मे एतय राखि रहल छीः

“हम अपनों से प्यार करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि प्यार जाहिर करने के लिए हम वही भाषा बोलें या समझें जिसे एक क्षेत्र विशेष के लोग समझते हैं। मजा तब है जब हम एक क्षेत्र से निकलें विकास करें और एक ऐसी भाषा बोलें जिसे हर कोई समझे व पसंद करे। मैं मिथिला का हूं यह मेरी अपनी भाषा है, मुझे गर्व है कि मैं मैथिल हूं लेकिन मुझे उससे ज्यादा गर्व है कि मैं भारतीय हूं। भारत की भाषा हिंदी है। यह सिर्फ एक राज्य या प्रांत की भाषा नहीं है, यह हमारे राष्ट्र की भाषा है। हम जापानी सीखते हैं, अंग्रेजी सीखते हैं, चाइनीज सीखते हैं बाहर से आकर लोग हमारे यहां हिंदी सीखते हैं। हर देश को अपनी भाषा पर गर्व है तो हम सिर्फ क्षेत्रवादिता में ही क्यों सिमटे रहें। हम एक क्षेत्र के हैं लेकिन लोग हमें तब पहचानते हैं जब हम तरक्कीर करके देश के लिए कुछ करते हैं। मिथिला आवाज एक बार फिर से हम शुरू कर रहे हैं, इस बार यह आपकी भाषा में आपके सामने है। मिथिला आवाज अब हमेशा प्रखर रहेगी क्योंककि इसमें राष्ट्र भाषा का स्वमर्णिम मोती पिरोया हुआ है। हमें इस शुरुआत के लिए आप सभी का समर्थन चाहिए, आप पढते रहिए हम लिखते रहेंगे, आप सजेशन दीजिए हम स्वी कार करेंगे लेकिन भाषा के नाम पर क्षेत्रवादिता का पाठ पढाने वालों से हम दूरी बनाए रखना चाहते हैं। राष्ट्र वाद हमारे खून में क्षेत्रवादिता का समर्थन हम नहीं करते, लेकिन अपने क्षेत्र को आगे बढाने के लिए हम हमेशा तैयार हैं। पढें, पढाएं, शिक्षा की अलख जगाएं, विकास करें, मागदर्शन चाहिए हमसे पूछें या मिलें। बस मिथिला आवाज का यही ध्ये य है। जब राष्ट्रज आगे बढेगा तभी क्षेत्र का विकास होगा, इसलिए राष्ट्रल की सोचो। जय हिंद।
 
आपका अपना
डॉ. चंद्रमोहन झा
फाउंडर व संरक्षक, मिथिला आवाज”