अमल झा, सरिसवपाही। अप्रैल २१, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
बेर-बेर सुनबा लेल भेटैत अछि जे मिथिलाक ऐतिहासिकता ओ पौराणिकता केँ सिद्ध करयवला विभिन्न साक्ष्य केँ कोनो न कोनो स्तर पर अवहेलना करैत मेटायल जा रहल अछि। दरिभंगा एहि कूकृत्य लेल बड प्रसिद्ध स्थल बनि गेल अछि। कहियो एत्तहि स्थापित चन्द्रधारी मिथिला संग्रहालयक आलेख-अभिलेखक संग बेशकीमती प्राचीन मूर्ति आ शिलालेख आदि चोरी होएत अछि तऽ कहियो मिथिला विश्वविद्यालय मे संरक्षित अत्यन्त प्राचीन अभिलेख व ऐतिहासिक महत्वक दस्ताबेज सब चोरी होएत अछि। तहिना विभिन्न ऐतिहासिक कृति आदि मे लगाओल गेल शिलालेख सब केँ सेहो तोड़-फोड़-नष्ट करबाक कतेको उदाहरण सब सोझाँ अबैत रहल अछि।
एहि तरहक एकटा कूकृत्य दरिभंगा स्थित माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिरक शिलालेख केँ रंग सँ पोतिकय कैल गेल अछि। प्रशासनिक लापरवाही किंवा जानि-बुझिकय इतिहास मेटेबाक कुत्सित मानसिकता ई समय स्पष्ट करत। परन्तु कोनो ऐतिहासिक शिलालेख केँ एना नष्ट कएला सँ एकर खराब असैर एहि क्षेत्रक भविष्य पर पड़त। दरभंगा राज परिवारक इतिहास केँ मेटाओल जा रहल अछि, ई प्रतिक्रिया आब आम जनमानसक मुंह पर सेहो भेटि जाएत अछि। पता लगेला पर बुझय मे आयल जे ई कूकृत्य प्रशासनक विचार सँ कैल गेल अछि।