कुणाल किशोर, सहरसा। मार्च ३०, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
डॉ० मनोरंजन झा केर ७म पुण्य तिथि व विश्व रंगमंच दिवस पर समर्पित
नापाक इरादों से लड़ना, मुद्दत से मेरी आदत है।
सच को सच कहते रहना, तेरे लिए बगावत है॥
तुम जिसे बगावत कहते हो, वह मेरे लिए इबादत है।
देश के खातिर कुछ क्या है, छोटी सी चीज शहादत है॥
मैथिली, हिंदी सहित सम-सामयिक विषय पर बेवाकी सँ कलम चलौनिहार आ अपन एक-एक रचना लेल लोकप्रियता हासिल कएनिहार एक सफल कवि डॉ० मनोरंजन झा केर ७म पुण्य तिथि एकटा बैसार करैत मनाओल गेल अछि। कवि केँ स्मृति मे अनैत हुनक कालजयी रचना सब पर प्रकाश सेहो देल गेल छल।
कियो सहिये कहने अछि जे विश्व एकटा रंगमंच थीक और एतय रहनिहार सब केओ नाटकक पात्र। रंगमंच समाज केर दर्पण थीक जेकरा कलकार अभिनय करैत प्रस्तुत करैत अछि।
सहरसा मे सेहो रंगमंच बहुते रास स्वर्णकाल देखौलक अछि। एतय उच्चस्तरीय रंगकर्मी भेलाह, जे देश भैर मे ख्याति प्राप्त कएलनि और कय रहला अछि। समय चलैत रहल आर रंगमंच केर स्थिति मे बदलाव आयल। हलांकि रंगमंच फेर सँ जीवित अछि, शहर केर किछु लोक रंगमंच केर कमान सम्हारने छथि, एकरा आरो आगू बढा रहला अछि। अभय मनोज, अमित जयजय, संजय सारथि, बन्दन कुमार वर्मा, मुक्तेश्वर सिंह, सुमित वर्मा, सत्या झा सहित अनेकानेक सहयात्री केँ धन्यवाद!