कि बीएचयू मे फेर सऽ शुरु होयत मैथिलीक पढाइ

विशेष संपादकीय

maithili varanasiविगत किछु समय सँ मैथिल समाज – बनारस तथा एकर अगुआ – संयोजनकर्ता एडवोकेट निरसन झा बनारस मे फेर सँ मैथिली गतिविधि केँ पटरी पर अनबाक अथक प्रयास कय रहला अछि। हालहि किछु दिन पूर्व मे राज दरभंगाक महत्वपूर्ण योगदान सँ निर्मित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मे मैथिली पठन-पाठन लेल संघर्ष करबाक संग-संग काशीक्षेत्र मे दरभंगा महाराजाक अन्य-अन्य कृति पर माफियाक अतिक्रमण हंटेबाक लेल सेहो संघर्षक बात फेसबुक मार्फत संस्थागत रूप मे घोषणा कैल गेल छल।

एखनहि मैथिली जेआरएफ पंकज कुमार झा – हाल बीएचयू मे परियोजना पर कार्यरत फेसबुक मार्फत समाचार दैत कहलैन अछि जे “आइ मैथिल समाज, बनारसक एकटा अनौपचारिक बैसार हमर निवास पर आयोजित भेल। दू गोट महत्वपूर्ण विषय पर इ बैसार केन्द्रित रहल। पहिल जे काशी हिन्दु विश्वविद्यालय मे मैथिली भाषा साहित्यक अध्ययन पुन: प्रारम्भ करेबाक लेल फरबरीक प्रथम सप्ताह मे एगारह सदस्यक प्रतिनिधिमंडल माननीय कुलपति सँ भेंट करत आ एहि आशयक ज्ञापन सौंपत। दोसर ई जे मैथिल समाज, बनारस 1905 मे काशीसँ प्रकाशित ‘मिथिला मोद’क पुनर्प्रकाशन करबाक नियार सेहो कए रहल अछि। एहि सम्बन्धमे सेहो विचार भेल। उपर्युक्त दुनू महत्वपूर्ण कार्यक संपादन मे समाजक सभ वर्गक विचार अपेक्षित अछि। मैथिल समाज, बनारस सभ विचारक सम्मान करैत तद्नुसार कार्य करबाक प्रयत्न करत।”

पंकज कुमार झा जी केर देल जानकारी पर समर्थनक समाद सब आयब शुरु भऽ गेल अछि। एहि लेल अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक तरफ सँ आधिकारिक समर्थन दैत रत्नेश्वर झा उत्तर प्रदेश सरकार सँ सेहो प्रतिनिधिमंडल सहित भेंट करबाक लेल आश्वासन देलनि अछि। संगहि पूर्ववत् सकारात्मक सहयोग लेल वचन दैत ओ हाथों-हाथ १०० प्रति ‘मिथिला मोद’ लेल ग्राहक बनबाक स्वीकार कएलनि अछि। मैथिल समाज – बनारस केर एहि सक्रियता सँ दुइ महत्वपूर्ण कार्य होएबाक आशा बढि गेल अछि।

मैथिल समाज – बनारस द्वारा आयोजित पैछला विद्यापति स्मृति पर्व समारोह मे स्थानीय मैथिल समाजक उपस्थिति मे कमी देखल गेल छल। जे बनारस आइ सैकड़ों वर्ष सँ मैथिलक गढ मानल जाएत अछि, जतय मिथिलाक पैघ-पैघ जमीन्दार परिवार कइएक कीर्ति करबाक होड़ मे रहैत छलाह, ताहि ठामक मैथिल समाज आइ अपन भाषा-साहित्य आर समाजक मूल पहिचान विद्यापति केर स्मरण करबाक लेल पर्यन्त समय नहि निकालि पबैत छथि, तखन हुनका सब मे आजुक समय मे अपन भाषा प्रति कतेक लगाव बाँचल छन्हि ई एकटा प्रश्न छोड़ैत अछि। संभव ईहो छैक जे मैथिल समाज – बनारस केर आयोजन मे विभक्त मैथिल समाज ओतेक रुचि नहि लेने होइथ, मुदा जाहि तरहक चुनौतीपूर्ण डेग उठेबाक हिम्मत मैथिल समाज – बनारस कय रहल अछि ताहि मे वृहत् एकजुटताक आवश्यकता अछि।

मैथिल सेवा समिति – नीलकंठ पर आयोजन करैत छथि। साल मे सामूहिक जज्ञोपवित केर कार्यक्रम सेहो करैत छथि। सुनबा मे आयल जे ओहि मैथिल सेवा समिति मे सेहो दुइ फाड़ भऽ गेल। किनको किछु पसिन नहि पड़ल तऽ विभाजन होयब मैथिलक संस्था मे तय रहैत अछि। बस सब ठाम वर्चस्व आ महात्वाकांक्षी स्वत्वक झगड़ा सँ मैथिलीभाषी आर ताहू मे उच्चवर्गीय – विद्वत् मैथिल समाज किछु बेसिये उलझल रहैत छथि। आब मैथिलीभाषा प्रति हुनका मे कतेक रुचि बचल अछि, एना कहू जे हुनकर संतान आ नव पीढी मे मैथिली मे अध्ययन करबाक लेल कतेक चाहत अछि – ताहू पर बड पैघ प्रश्न चिह्न ठाढ अछि। तखन मैथिल समाज – बनारस केर संकल्प सँ उपलब्धि कतेक दूर धरि भेटत एहि पर एकटा प्रश्न चिह्न ठाढ अछि एखन। जँ वृहत् स्तर पर संपूर्ण मैथिल समाज एहि विन्दु पर निर्णय करैत डेग बढबैथ तऽ समाधान सोझें मे भेटत।

ओना नव युवा शक्ति जे बीएचयू मे कार्यरत छथि, ओतुका माहौल सँ परिचित छथि, ओहो सब जँ एतय अध्ययन लेल आबि रहल मैथिलीभाषी टा केँ खाली एहि लेल मना लैथ जे मैथिली पढबाक लेल कम सँ ५० टा छात्र आवेदन देबाक लेल तैयार हो, तऽ ई उपलब्धि सहजहि मैथिलीकेँ भेटत। वर्तमान केन्द्रीय शिक्षा मंत्रीक कहल ओ बात स्मृति मे आबि रहल अछि जे पढनिहार पहिने आवेदन तऽ दियौक जे हमरा मैथिली भाषा पढबाक अछि। संगहि, दिल्लीक नगर निगम द्वारा मैथिली भाषा मे पढेबाक मान्यता प्रदान करबा सँ पूर्व सर्वे करबाक आदेश देलक। आइ दोसर वर्ष बितयवला अछि। हम आइ धरि ई नहि सुनि पेलहुँ जे दिल्ली मे मैथिली मे पठन-पाठन विद्यालय स्तर पर शुरु कैल जा चुकल अछि। जखन कि सरकार एहि लेल लगभग हामी भैर देने अछि। एनसीईआरटी व देशक शिक्षा व्यवस्था केँ संचालन कएनिहार विभिन्न निकाय द्वारा मैथिलीक पक्ष मे माहौल बना देल जाएत अछि, मुदा स्वयं मैथिलीभाषी मे अपन भाषा सँ कोनो ललक नहि बाँचल अछि। तखन कुर्सी-टेबुल-बेन्च-डेस्क जँ मैथिली पढय तऽ जरुर ओ व्यवस्था कुलपति केँ मना लेला सँ पूरा भऽ सकैत अछि।

संस्था सब पर मूलरूप सँ ई जिम्मेवारी सेहो अछि जे अप्पन लोक केँ मैथिली पढबाक लाभ केर वर्णन करू आ तैयार करू। तखन सब किछु सहजहि भेटत।