मैथिल ब्राह्मण समाज – हथियार आ अपराधिक गतिविधि
किछु दिन पूर्वे जखन दरभंगा मे दुइ जन इन्जिनियर केर हत्याक बात सोझाँ आयल तऽ राजनीति कएनिहार अपना तरहें ओकरा ‘जंगलराज’ केर वापसीक बात कहैत मुख्य मुद्दा सँ दोसरे दिशा मे लऽ जेबाक काज कएने छल। बाद मे छानबीन सँ उजागर तथ्य सँ पता चलल जे संतोष झा नाम्ना कोनो आपराधिक सरगना पर एहि हत्याक पाछाँ हाथ रहबाक संदेह व्यक्त कैल गेल छल।
काल्हि फेर दरभंगाक मब्बी ओपी क्षेत्र मे पूलिस द्वारा तलाशीक क्रम मे एकटा मोटरसाइकिल सँ जा रहल व्यक्ति राजेश बैठा (गाम डरहार) सँ दुइ टा देसी कट्टा पेस्तौल बरामद भेल आर पूलिस द्वारा पूछताछ मे ओ जाहि व्यक्ति सँ ओ हथियार कीनबाक बात केलक ओकर नाम पंकज कुमार झा केर रूप मे सोझाँ आयल, ओकरो पूलिस गिरफ्तार कए लेलल से समाचार जागरण मे छपल अछि। तेकर बाद आरो तीन लोक केँ अबैध हथियार रखबाक मामिला मे गिरफ्तारी होयबाक सेहो समाचार ओहि मे प्रकाशित अछि।
तहिना, किछु दिन पूर्व एकटा समाचार भेटल छल जे सहरसाक बघवा समान प्रसिद्ध गाम मे विद्यालयक कंप्युटर – जेनरेटर आदि चोरी भऽ गेल छल। बाद मे छानबीन भेला पर कोनो एकटा मैथिल ब्राह्मण परिवार केर घर सँ ओ समान सब बरामद कैल गेल। कहबा मे हर्ज नहि जे शिक्षा आ संस्कार मे सर्वथा अग्रसर मैथिल ब्राह्मण समाज मे अपराधिक प्रवृत्ति बढि रहल अछि आर ई सब मात्र किछुए उदाहरण सब थीक जेकर हम जिक्र कय रहल छी। कारण ई लेटेस्ट न्युज मे अछि, आर वर्तमान समाजक सोझाँ एकटा सोचनीय विषय प्रस्तुत कएने अछि जे आखिर शिक्षा, संस्कार, संघर्ष, सिद्धान्त आ समझदारीक बाट छोड़ि आइ मिथिलाक ब्राह्मण समाज मे पर्यन्त अपराधक गतिविधि प्रति झुकाव बनि रहल अछि। कि भऽ सकैत अछि एकर कारण?
युग मे परिवर्तन – भौतिकतावादी युग मे येन-केन-प्रकारेण धन संग्रहक उद्देश्य हर व्यक्ति पर हावी अछि। मिथिला मे मैथिल ब्राह्मण अयाची मिश्र समान भेटब आजुक समय संभव नहि अछि जे सवा कट्ठा मे जतेक उपजत ओतबे सँ पेट भरि लेब, परिवार सार-संभार कए लेब। आब सुदामा समान नीतिवान् कतहु नहि भेटत जे सहर्ष दरिद्री केँ स्वीकार कएलनि आ बस पाँच घर भिक्षाटन कय अपन दिन-दुनिया केँ चलबैत रहलाह। आब राजा हरिश्चन्द्र समान सत्यनिष्ठ आ वचनक पक्का दानवीर कतहु नहि अछि जे अपना व अपन परिवार केँ सेहो दान मे दय देलनि आर फलस्वरूप डोमक हाथे बिकेलाक बाद धर्मक रक्षा हेतु अपनहि बेटा रोहितक लहास जरेबाक लेल आयल अपनहि पत्नी सँ करदान केने बिना लहास जरेबाक अनुमति पर्यन्त नहि देलनि। आब परशुराम समान कर्मनिष्ठ आ दृढप्रतिज्ञ केओ नहि जे पिताक अपमान केर प्रतिशोध लेल पृथ्वी सँ एक्कैस बेर क्षत्रियविहीन करबाक कठोर संकल्प लेलनि आर अपन फरसा सँ ओ संकल्प केँ पूरा कएलनि। तखन आइ ब्राह्मण फेर परशुराम समान हथियार उठा रहल अछि आ कि ओकर लक्ष्य किछु आर छैक?
प्रश्न सँ प्रतिप्रश्न उठैत जा रहल अछि। गरीबी आजुक समाजक सब सँ पैघ अभिशाप थीक। असाक्षरता – अशिक्षा – अपसंस्कृति एकरा सब सँ पैघ चुनौती मानल जा सकैत अछि। परन्तु मैथिल ब्राह्मण तँ जन्महि सँ एहेन संस्कार प्राप्त करैत अछि जे ओकरा जीविकोपार्जन लेल आजीवन समस्या नहि भऽ सकैत छैक, भले समाज मे उपाति संग्रह करैत अपन जीवनयापन करय वा पुरोहिताइ कय केँ, पंडागिरी कय केँ, वा अन्य कोनो जातीय कर्म कय केँ ओ जेना-तेना विदेहक जीवन निर्वाह कय सकैत अछि। परन्तु काम आ क्रोध ब्राह्मण मे आइ कोनो अन्य जाति सँ कम नहि, कारण समाज मे आब ब्राह्मण प्रति श्रद्धा आ सम्मान ओ नहि रहि गेल अछि जे पूर्वक युग मे कहियो रहल। एना समाज मे ब्राह्मणवर्ग उपेक्षित भेलाक बाद शिक्षा सँ जँ वंचित रहि जाएत अछि तखन ओकरा मे आपराधिक गतिविधिक अलावे अन्य कोनो सहारा नहि रहि जाएछ जाहि सँ ओ गुजारा कय सकैछ। हमरा बुझने यैह मुख्य कारक तत्त्व थीक जे आइ ब्राह्मणवर्ग केँ सेहो हथियार उठेबाक लेल बाध्य कय देलक अछि।
राज्य द्वारा राजनीति मे आर्थिक रूप सँ कमजोर सबर्ण लेल सेहो आरक्षण केर बात तऽ कैल जाएछ, मुदा ओ ऊंटक मुंह मे जीराक फोरन प्रमाणित भऽ रहल अछि। बेरोजगारीक समस्या ओना सब वर्ग मे छैक, मुदा पढल-लिखल बेरोजगार सब सँ बेसी ब्राह्मणवर्ग मे छैक। ओकर जातीय संस्कार फेर एहेन छैक जे निम्न सँ निम्न स्तरक कार्य करय सँ सेहो ओ समाजक लाज सँ आगू नहि अबैत अछि। तखन एक्केटा बाट बचैत छैक जे गाम सँ पलायन करय। ओ परदेश मे जाय। ओतय ओ सुलभ शौचालय केर गेटो पर बैसि २ टाका आ ५ टाका संकलन करैत नियोक्ता सँ किछु पाइ कमा लेत, परिवारक पेट पोसि लेत। मुदा दुःखक बात छैक जे एहि तरहक हिम्मत बेसी जन मे रहितो किछु लोक हठी होएत अछि आर ओ गामहि-घर मे रहिकय वर्तमान माफिया वर्ल्ड सँ हाथ मिलबैय मे देरी नहि करैत अछि। आइ ब्राह्मणो परिवार केर संस्कार मे दुर्गंधित भोजनक सेवन बढि जेबाक कारण नशा माथ पर नंगटे नाचि रहल अछि। एहेन कमजोर संकल्पबल केर कारण ओकरा मे अपन जातीय संस्कारक अकाल होयब तय छैक। आर आपराधिक गतिविधि मे अग्रसर होयबाक एकमात्र विकल्प ओकरा लेल बचि जाएत छैक। ई दोसर कारक तत्त्वक रूप मे देखाय दैछ जे आइ मैथिल ब्राह्मण आखिर हथियार आर अपराध मे कियैक अग्रसर भऽ रहल अछि।
सामाजिक संस्कार मे पुरोहिताइ आइ ब्राह्मणवर्ग लेल रोजगारक अवसर नहि के बराबर उपलब्ध करबैत छैक। आब सवा टाका दछिना देमयवला युग नहि रहि गेलैक अछि। सवा टाकाक मूल्य नगण्य छैक। पण्डित-पुरोहित प्रति आस्था जे घटल छैक ओ मुख्य बात तऽ भेबे कैल, दोसर बात जे दान-दछिना देबा मे पर्यन्त महाकंजूसाइ आजुक समस्या ब्राह्मणवर्ग लेल चुनौती ठाढ कएने अछि। एक तऽ अवसर कम, दोसर जे पारिश्रमिक नगण्य, आब एगारह या एक्कैस या एकाबन आदि सँ कहू जे एको व्यक्ति केँ कि एक छाक भोजन भेट सकत कतहु? तखन पारिवारिक जिम्मेवारी कतय सँ निर्वाह कय सकत कियो? ब्राह्मण वर्ग मे सेहो खेतीपाती आ माल-मवेशी पालन-पोषण सँ जीवन-निर्वाह करबाक बाध्यता तऽ आयल मुदा वर्तमान पीढी मे कृषि प्रति आकर्षण कतेक अछि से स्वयं व्यावहारिक दुनिया मे देखल जा सकैत अछि। आब स्वरोजगार वास्ते बनियांगिरी बरु कैल जा सकैछ, लेकिन गृहस्थी प्रति जिम्मेवार बनिकय परिवारक भरण-पोषण नहि के बराबर। कम मेहनति मे बेसी पाइ कमेबाक फैसन सँ चूर आजुक पीढी मे ब्राह्मणवर्ग अछूत नहि, बरु आरो बेसी लोभ एहि वर्ग मे भेटैत अछि। ताहि पर सँ पड़ोसीक प्रगति – ओकर बच्चा एतेक कमाइ यऽ तऽ हमर बच्चा एतबी कियैक… हम केकरो सँ कम कोना… आर एहि प्रतिस्पर्धा मे अपराधिक गतिविधि सँ शीघ्र करोड़पति बनि जेबाक लिलसा आइ ब्राह्मणवर्ग केँ अपन जातीय धर्म सँ बहुत दूर चोरी-डकैती-लूटपाट आ हिंसक गतिविधि मे आगू करैत अछि जेना अनुमान लगबैत छी।
स्वरोजगारक शिल्प सँ प्रशिक्षण आजुक युग मे सबहक लेल अत्यावश्यक अछि। सामाजिक समरसताक पौराणिक पद्धति पर वापसी करब सेहो ओतबे आवश्यक अछि। ज्ञान प्रति श्रद्धा राखब स्वस्थ समाजक पहिचान थीक। जातीय व्यवस्था मे भले आब मिश्रण भेला सँ कोनो एक जाति प्रति सोचब ओतेक आवश्यक नहि, तथापि हम जाहि सनातन सिद्धान्तक प्रतिपालक छी आर जाहि तरहें मनुष्य मे विद्यमान संस्कार आ संस्कृतिक जाननिहार छी, ताहि अवस्था मे मैथिल ब्राह्मण प्रति हमर चिन्तन बस समय-सापेक्ष बुझल जाय। आर्थिक सबलता सबहक लक्ष्य अछि, लेकिन ताहि केर प्राप्ति सेहो स्वस्थ आ सुडौल अर्थ व्यवस्था अनुरूप होयब जरुरी मानैत छी। जाहि मिथिला मे गैर पढनाय सेहो एकटा सामाजिक व्यवहार मानल जाएछ ताहि ठाम हिंसाक बढैत मात्रा प्रति हमर चिन्ता अछि। ताहू मे मैथिल ब्राह्मण समान प्रबुद्ध समाज केर युवा पीढी मे हथियार उठेबाक ललक देखि हमर चिन्ता आरो बढि जाएत अछि। कारण हम बेर-बेर एहि विन्दु पर सोचैत छी जे जखन ब्राह्मण समाज द्वारा हिंसा केँ बढाबा भेटत तऽ दुनिया केँ नष्ट होयबा मे बहुत समय नहि लागत। एहि कारण सरोकारवाला समाजक चिन्तक लोकनिक ध्यानाकर्षण करैत एहि दिशा मे समुचित डेग बढेबाक अपेक्षा करैत ई विषय अपने लोकनिक समक्ष रखैत छी। कम सँ कम जाहि संस्कार सँ हमरा लोकनि अपन मिथिला केँ सनातन रूप सँ रक्षा करैत आबि रहल छी, ताहि तरहक निष्ठा व प्रतिबद्धता सँ समाजक अगुआवर्ग ब्राह्मण परिवारक रक्षा लेल सब जिम्मेवारीपूर्वक व्यवहारिक दुनिया बनाबी।
अस्तु!!
हरिः हरः!!