कोर्थु, दरभंगा। जनबरी १०, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली भाषा-साहित्यक अगाध दिग्गज काशीकान्त मिश्र मधुप केर स्मृति दिवस हुनक गाम कोर्थु मे धूमधाम सँ काल्हि ९ जनबरी केँ मनायल गेल अछि। कोर्थु गाम मे मधुप समान आइयो कतेक रास दिग्गज स्रष्टा सब मैथिली-मिथिला लेल ओतबे महत्वपूर्ण छथि, एहि मे मैथिली हास्यकवि तथा विद्वान् जयप्रकाश जनक केर नाम अग्रगण्य अछि। ई स्मृति समारोह विशेषतः जयप्रकाश जनक केर संकल्पक आधार पर संभव भेल समाचार मणिकांत झा – मैथिली व मिथिलाक वरिष्ठ अभियानी तथा कवि-संचारकर्मीक माध्यम सँ ज्ञात भेल अछि।
मणिकांत झा द्वारा फेसबुक पर देल गेल अपडेट मुताबिकः
मैथिलीक प्रख्यात साहित्यकार कवि चूड़ामणि काशीकांत मिश्र मधुपक पूण्य तिथि पर आइ हुनक पैतृक गाँव दरभंगा जिलाक कोर्थु मे मधुप स्मृति पर्वक आयोजन कयल गेल ।
विष्णुदेव झा विकल केर अध्यक्षता मे आयोजित एहि समारोहक उद्घाटन करैत आकाशवाणी दरभंगाक अवकाशप्राप्त कार्यक्रम अधिशासी सुरेन्द्र झा कहलैन कि मधुपजी के अप्रकाशित रचना सब कें प्रकाशित करबाक आवश्यकता अछि । मणिकांत झाक संचालन मे चलल एहि कार्यक्रम मे डा राजानंद झा, बैद्यनाथ यादव, पूर्णानंद झा, कमलेश झा , शंभुनाथ मिश्र, डा. जयप्रकाश चौधरी जनक, डा. देवकांत मिश्र सहित अनेक वक्ता मधुपक कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश देलनि ।
एहि अवसर पर विशाल कवि सम्मेलन तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमक सेहो आयोजन कयल गेल जाहिमे अंबोध मिश्र, दीपक कुमार झा, शारदा सिंह, शेखर सिंह, दिनेश झा, कंचन पाठक, उमानाथ झा, सुमन सौरभ सहित अनेक लब्धप्रतिष्ठ कवि ओ कलाकार भाग लेलनि।
एहि अवसर पर मैथिलीक दिवंगत साहित्यकार राजमोहन झा तथा मैथिलीक प्राध्यापक कमल नारायण राय केर निधन कें अपूर्णीय क्षति कहैत हुनका लोकनि केँ श्रद्धांजलि अर्पण करबाक लेल दू मिनटक मौन धारण कयल गेल ।
मैथिली जिन्दाबाद केर ई अनुभूति आह्लादकारी अछि जे विद्यापति समान आरो विभूति लोकनि मिथिलाक नाम आगू बढेलनि आर आब हुनकर अपनहि गाम सँ सही, लेकिन स्मृति दिवस केर आयोजन होमय लागल अछि। क्रमशः सगर मिथिलाक लोक केँ हुनका लोकनिक व्यक्तित्व व कृतित्व पर जनबाक अवसर भेटत। प्रयास रहत जे शीघ्रहि मधुपजीक स्मृति दिवस पर विद्वान् वक्ता सबहक विस्तृत विचार राखल जाय जाहि सँ पाठक सब आरो बुझि पेता अपन महान् विभूति लोकनि केँ आर अनुसरण कय पेता अपन निजी जीवन मे हुनका।
कवि चन्द्रमणिक ई पाँति मधुपजीक व्यक्तित्व केँ चित्रण करैत अछिः
सुनि मधुपक गुँजार मैथिलक मनसिज देखल भोर, गीतक मधुर फुहार चटै छल नर-नारीके ठोर।बिलहि देलनि जे अमृत भाषा मैथिलीक आँगन मे,कंठ-कंठ मे व्याप्त मधुप छथि मिथिलाके कण-कण मे।
बेर-बेर महान् स्रष्टाकेँ नमनक संग!! मैथिली जिन्दाबाद!!