मधुबनी, जनबरी ८, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
नवारम्भ प्रकाशन केर तत्त्वावधान मे आइ मधुबनीक विवेकपुरम् मे ग्रियर्सन जयन्ति मनाओल गेल। एहि अवसर पर मैथिली साहित्यिकारक संग मधुबनीक संचारकर्मी – स्रष्टा – विद्वान् लोकनिक उपस्थिति छल।
एहि अवसर पर राखल गेल विचार गोष्ठीक अध्यक्षता मैथिलीक चर्चित साहित्यकार श्याम दरिहरे कएलनि, डा. रमानन्द झा रमण केर मुख्य आतिथ्य रहल जखन कि कार्यक्रमक संयोजन तथा संचालन परिकल्पनाकार अजित आजाद कएने छलाह।
डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सनक कृतित्व पर प्रकाश दैत डा. रमानन्द झा रमण कहलनि जे मैथिली भाषा वास्ते अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य जे जैंह-तैंह छितरायल छल तेकरा सब केँ समेटैत शब्दकोश, व्याकरण, उच्चारण आदि विभिन्न आधारभूत विधा पर भाषाविद् ग्रियर्सन केर अविस्मरणीय-अकाट्य योगदान अछि। हुनकर विभिन्न योगदान पर एकटा कार्यपत्र सेहो डा. रमण द्वारा राखल गेल छल जाहि मे ग्रियर्सन केर संपूर्ण योगदानक एकटा छोट समीक्षा समेटल देखल गेल। डा. रमण ग्रियर्सनक विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य केँ अंग्रेजी सँ मैथिली मे अनुवाद करबैत ओकरा आगामी पीढी लेल संरक्षित रखबाक रहस्योद्घाटन कएलनि।
चेतना समिति पटना केर एहि दिशा मे बढाओल गेल डेग निश्चित रूप सँ मैथिली केँ संविधान मे सम्मानित प्रतिष्ठापन करेलक से ओ कहलैन। पं. गोविन्द झा द्वारा डा. ग्रियर्सनक विभिन्न अंग्रेजी कार्यक अनुवाद मैथिली मे कैल गेल। एखन आरो किछु कार्य प्रकाशनाधीन अछि। एहि वर्ष सेहो हुनकर किछु कृतित्वक प्रकाशन मैथिलीभाषी लेल कैल जायत। एहेन-एहेन बहुत रास विद्वद् कार्य निरंतरता मे रहबाक बात डा. रमण द्वारा सभा केँ जानकारी कराओल गेल छल।
कार्यक्रम मे सहभागी मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक तथा मैथिली-मिथिला अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन जे आयरलैन्ड सँ रहितो अपन विशिष्ट शोध-क्षमता सँ मैथिली तथा मिथिला केँ विश्वपटल पर पहुँचेलनि तिनका शब्द-श्रद्धांजलि अर्पण करैत वर्तमान युग मे सेहो अनेक पुत्र मे ग्रियर्सनक आत्मा प्रवेश करबाक दरकार रहबाक बात कहलनि। स्वयं अजित आजाद केर उदाहरण दैत शुरुआत ओत्तहि सँ होयबाक बात कहैत डा. ग्रियर्सन समान निरंतर शोध आ स्वयंसेवा-स्वसंरक्षण सँ मैथिलीक कल्याण होयत ओ कहलैन।
निश्चित रूप सँ अजित आजाद केँ युवातुर मैथिलीभाषी लेल डा. ग्रियर्सन समान मूल्यवान् आ समर्पित मैथिली भाषा-साहित्य-संस्कृति केर प्रचारक आ अभियान संचालक मानल जाएछ। निरंतर हुनकर शोध आ सक्रियता सँ मैथिली भाषा आ साहित्य केँ नव सम्मान प्राप्त भऽ रहल अछि। एकर अन्तिम उदाहरण हुनकर पैछला किछुए समय सँ मधुबनी मे रहब शुरु कएला सँ मैथिलीक अवस्था मे उल्लेखनीय सुधारक उदाहरण सेहो देल गेल। डा. ग्रियर्सनक जन्म-जयन्ति मनेबाक मुख्य उद्देश्य यैह अछि जे वर्तमान पीढी ई बुझैथ कि एकटा विदेशक भूमि सँ आइसीएस (इन्डियन सिविल सर्विस) पास युवा स्रष्टा जखन एहि मिथिला भूमिक मर्म-मूल्य-मान्यता प्रति आस्था व सेवाक भाव राखि सकैत अछि, तखन स्वयं मैथिलीभाषी स्रष्टा व सक्षम व्यक्तित्व पर कतेक बेसी भार अछि ई आत्मसात करब। वर्तमान कठिन समय जाहि मे अपनहि भाषा व संस्कृति पर लोकपलायन सँ बवंडर मचल अछि, एहेन समय स्वयं मैथिलीभाषी केँ डा. ग्रियर्सन बनिकय कर्तब्य निर्वहन करय पड़त। अपन-अपन भूमिका सँ एहि पौराणिक पहिचान सम्पन्न संस्कृति-सभ्यता केँ बचाबय पड़त। – डा. ग्रियर्सनक वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रवीण नारायण चौधरी अपन भावना विस्तार सँ एहि रूप मे रखलनि।
तदोपरान्त डा. चन्द्रमणि झा द्वारा एहि आयोजन केँ अपन सपना साकार होयब समान भेल कहैत हुनका द्वारा डा. ग्रियर्सनक भूमिका पर प्रकाश देल गेल छल। जहिना ओ गीतकार छथि, स्वयं गबितो छथि, किछु ताहि लयात्मक सुर मे डा. चन्द्रमणि सभाकेँ अपन संबोधन सँ मंत्रमुग्ध कएने छलाह। ओ कहलैन जे डा. ग्रियर्सनक जन्म-जयन्ति मनेबाक कारण अनेक अछि, लेकिन किछु विन्दु जेना विश्विख्यात ट्रिनिटी क़ॉलेज, डब्लिन मे पढ़ाइ करैत संस्कृत साहित्यक हेतु पुरस्कृत होयब, इंडियन सिविल सेवा मे उत्तीर्ण भए आइरिश भाषाविद् बिहार मे पदस्थापित होयब, मधुबनी मे सेहो पदस्थापित होयब आ’ मिथिलाक संस्कार आ’ मैथिली भाषा पर बहुत किछु लिखैत रहब, हिनकर लिखल अनेक पोथी मे A Linguistic Survey of India, Maithili Chrestomathy and Vocabulary, Bihar Peasant Life हमरा सभक सांस्कारिक, भाषाई जीवन केँ उजागर करैत अछि – आर ई समस्त योगदान सँ मिथिला विश्व मानचित्र पर प्रचारित-प्रसारित भेल अछि।
डा. ग्रियर्सनक शोधपूर्वमिथिला केँ तिरहुत कहल जाइत छल आ’ मैथिली केँ तिरहुता। सोचि सकैत छी जे ग्रियर्सन कतेक पैघ भाषाई आ’ सांस्कृतिक अन्वेषक छलाह। हमरा सभक सोच बदलि देलनि। ओना, ओ हमरासभक मरणोपरांत होमयवला विकट कर्मकांडक विरोधी छलाह जकरा हमरालोकनि आइ धरि सीधा स्वर्ग जयबाक कर्म मानि रहल छी। – डा. चन्द्रमणि कहलनि। हुनका द्वारा ओ स्मृति सेहो सभाक सोझाँ राखल गेल जे बेनीपट्टी विधानसभाक माननीय भूतपूर्व विधायक श्री बिनोद नारायण झा जे भाजपाक प्रदेश प्रवक्ता छथि आ’ वस्तुतः एहि सब बातक विशद् ज्ञाता छथि, हुनका सँ अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन मुंबइक भोजनकक्ष मे दरभंगा नगरक माननीय विधायक श्री संजय सरावगीजीक समक्ष विस्तृत चर्चा भेल छल। आर मन मे यैह उपजल छल जे डा. ग्रियर्सन केँ मिथिलावासी जरुर स्मृति मे आनैथ। एक बेर पुनः अजीत आजाद केँ धन्यवाद देमए चाहबनि जे मधुबनी मे जॉर्ज अ. ग्रियर्सनक जन्मदिवस मनयबाक सूचना देलनि आर हम एतय उपस्थित होइत अपना केँ सौभाग्यशाली मानि रहल छी – डा. चन्द्रमणि कहलैन।
कार्यक्रम मे अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् केर अध्यक्ष डा. कमल कान्त झा ग्रियर्सन द्वारा मैथिलीभाषी क्षेत्रक सीमा रेखांकन करबाक आर मैथिली भाषाक विभिन्न रूप केर पर्यन्त विशद् वर्णन करबाक काज भेल कहल गेल। मैथिली भाषाक विभिन्न बोली कहि डा. ग्रियर्सन जेकर चर्चा केलनि तेकरा भाषा रूप मे परिणति पेबाक चेष्टा सेहो होमय लागल अछि जे मिथिलाक समग्रताक विरुद्ध अछि डा. कमल कान्त झा अपन संबोधन मे कहलनि। परंतु आइ जाहि आधार पर मिथिला राज्य केर स्थापनाक माँग भारतीय गणतांत्रिक संघ मे कैल जा रहल अछि, तेकर नक्शा ग्रियर्सनक शोधक आधार पर भारतीय भाषायी सर्वेक्षण अनुरूप होयब हुनकर महत्व केँ मैथिल जनमानस मे स्थापित करैत अछि।
डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन केर जयन्ति दिवस मनेबाक अजित आजाद केर परिकल्पना केँ सब वक्ता सराहना केलनि। मैथिली साहित्य व अभियान सँ जुड़ल दिलीप कुमार झा द्वारा मैथिल मे अपनहि भाषा ओ संस्कृति सँ आत्मगौरवक बोध नहि रहि जेबाक कारण ग्रियर्सनक जयन्ति मनेबाक सान्दर्भिकता कतेक काजक अछि से अपने आप मे एकटा सवाल ठाढ करैत अछि। मैथिली भाषा मे घटैत पठन संस्कृति पर अपन विचार रखैत ताहि दिशा मे सेहो काज करबाक आवश्यकता रहबाक बात ओ कहलनि।
चर्चाक क्रम मे ग्रियर्सन केर नाम पर मधुबनी मे अवस्थित गिलेशन बाजार केर खूब चर्च भेल। उद्घोषक तथा परिकल्पनाकार अजित आजाद केर माँग जे ग्रियर्सनक मूर्तिक स्थापना कैल जाय, संगहि मलयनाथ मंडन केर मांग जे हुनकर जन्म-जयन्ति समान पुण्य तिथि सेहो मनायल जाय, संगहि अजित आजाद केर मांग जे एतेक रास साहित्यकार-लेखक-रचनाकार सब जे एहि जयन्ति समारोह मे उपस्थित भेल छी से अपन कोनो एक कृति केँ डा. ग्रियर्सन केँ समर्पित करी – एहि सब माँग केँ सभासद साहित्यकार स्रष्टा लोकनि करतल ध्वनि सँ सर्वसम्मति प्रदान केलनि। मैथिली भाषा ओ मिथिला लोकसंस्कृति संरक्षणार्थ सदिखन समर्पित भाव सँ कार्य करैत आबि रहला साहित्यिकी सरिसवपाही केर संयोजक अमल झा द्वारा एहि ‘समर्पण’ लेल ठोस प्रतिबद्धता प्रकट कैल गेल। संगहि ओ मिथिलाक आरो चारि गोट प्रमुख योगदानकर्ता जे मिथिलहि सँ छलाह – तिनका लोकनिक स्मृति मे सेहो सब केओ एकजुटता सँ आगू आबी ताहि तरफ ध्यानाकर्षण कएलनि।
प्रो. दमन कुमार झा द्वारा मधुबनीक भूमि पर डा. ग्रियर्सनक जन्म जयन्ति मनायब हुनका प्रति कृतज्ञता प्रकट करबाक संग एहि मूल भूमि मधुबनी केँ मैथिली भाषा ओ साहित्यक क्षेत्र मे आरो महत्वपूर्ण कार्य करबाक प्रेरणा संचरण लेल महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करबाक बात कहल गेल छल। कार्यक्रम मे आरो विभिन्न वक्ता लोकनि डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सनक मैथिली ओ मिथिला प्रति कैल अविस्मरणीय योगदान केँ सश्रद्धा स्मृति मे अनैत अपन-अपन महत्वपूर्ण विचार सब रखने छलाह। डा. ग्रियर्सन भले वास्तविक जीवन मे संतानविहीन छलाह, मुदा अपन व्यक्तित्व ओ कृतित्व संग आइ हुनका स्मृति केनिहार कतेको रास संतान केर पिता ओ आत्मीय रूप मे छथि ई सभा द्वारा देल गेल जनादेश छल।
विशिष्ट वक्ता योगानन्द सुधीर ग्रियर्सनक स्मृति मे तर्कपूर्ण बात सब रखैत स्पष्ट केलाह जे चन्दा झा संग हुनक अभिन्न मित्रताक चर्चा बेर-बेर कैल जाएछ आर हुनकर महत्वपूर्ण कार्य मे यथार्थतः मैथिल विद्वान लोकनिक नीक सहयोग रहल। वक्ता सोनू कुमार झा केर आलोचनात्मक प्रस्तुति केँ समीक्षा करैत ओ अन्तिम क्रेडिट एकटा प्रखर भाषा वैज्ञानिक जिनक संयोजकत्व मे मैथिलीक महत्वपूर्ण कार्य सब विश्व भरि मे ख्याति प्राप्त केलक, संविधान मे ससम्मानित स्थापित भेल ताहि सब लेल डा. ग्रियर्सन केर स्मृति करब कृतज्ञता प्रकट करब थीक आर एहि सँ हमरा सबहक भाषा आ संस्कृति केर मानवर्धन होयत, ओ कहलनि।
वरिष्ठ साहित्यकर्मी रामेश्वर निशांत, सतीश साजन, ऋषि वशिष्ठ, स्वर्णिम गुप्ता, प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल, आनन्द कुमार झा, अरविन्द सिंह झा, सोनू कुमार झा, दया शंकर मिथिलांचली, हेमकान्त झा, दीप नारायण विद्यार्थी, सुमन झा, छोटकन झा, गोपी कान्त रमण आदि अपन संबोधन सँ सभाक महत्व बढौने छलाह।
अन्त मे सभाध्यक्ष श्याम दरिहरे द्वारा ग्रियर्सनक जन्म जयन्ति मनेबाक कार्यक भरपूर सराहना करैत अनावश्यक चिन्ता सँ दूर रहबाक लेल मैथिल स्रष्टा-साहित्यकार सब केँ आगाह कैल गेल। ओ स्पष्ट केलनि जे मैथिल आइ लोकपलायनक मजबूरी सँ अपन मूल स्थल सँ भले विस्थापित भऽ गेलाह अछि, किनको गाम एबाक वातावरण नहि मिलि रहल होइन, मुदा गाम सँ दूर – मिथिलाक लोक केँ अपन भाषा आ संस्कृतिक मूल्यांकन करबाक खूब अवसर भेटैत छन्हि। ओ उदाहरण दैत कहलनि जे हुनकर लिखल नव कृति ‘घुरि आउ मान्या’ कोना हाथो-हाथ हैदराबाद मे मैथिल जनमानस पसिन केलनि आर जतेक पोथी लऽ गेल रही ओ सबटा एक्कहि संग बिका गेल छल। ओ अपन अध्यक्षीय भाषण सँ भाषा आ संस्कृति प्रति गहिंर शोधक कार्य करैत रहबाक आवश्यकता पर जोर देलनि आ मैथिलीक भविष्य एकदम सुरक्षित अछि ताहि लेल विश्वास व्यक्त केलनि।
धन्यवाद ज्ञापन स्रष्टा शुभ कुमार द्वारा कैल गेल छल। ओ एहि समारोहक परिकल्पना सँ लैत आयोजन धरि सब योगदान कएनिहार प्रति आभारक संग धन्यवाद ज्ञापन कएने छलाह। शुभ कुमार द्वारा कयल गेल।
अन्त मे डा. चन्द्रमणिक उपस्थितिक लाभ सभा केँ देबाक निर्णय लेल गेल। एम्हर गरम-गरम पकौड़ी केर जलपान आ चाहक चुस्की, ओम्हर डा. चन्द्रमणिक मधुर-मधुर मुस्कानक संग मिथिला-गीत गाबिकय सब केँ हर्ष आ उल्लास सँ भरल गेल। ततबाक काल मे पटना सँ अजित आजाद जीक मोबाइल पर शोक समाचार प्राप्त होइते सभा केँ ओतहि स्थगित कैल गेल। शोक समाचार ई छल जे साहित्य अकादमी सँ सम्मानित स्रष्टा राजमोहन झा जे मैथिलीक ख्यातिप्राप्त हस्ताक्षर हरिमोहन झा केर पुत्र सेहो छलाह, तिनकर पटना मे ४ बजे दिवंगत होयबाक खबड़ि सबकेँ स्तब्ध कय देलक।
दिवंगत आत्मा राजमोहन झा, हुनकर कृति आ साहित्य अकादमीक सम्मान – एकमात्र परिवार जाहि मे पिता साहित्य अकादमीक सम्मान सँ सम्मानित भेलाक बाद दुनू पुत्र केँ सेहो मैथिली मे उत्कृष्ट लेखन लेल साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित कैल जेबाक आख्यान केँ स्मरण मे लाबैत सब उपस्थित सभासद लोकनि २ मिनट केर मौन धारण कय अपन-अपन श्रद्धाञ्जलि अर्पित कएलनि।