प्रकाश कमती, विरार, मुम्बई। दिसम्बर २४, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
आँखि सँ नोर बहैत समापन समारोहक संग सम्पन्न भेल अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक बारहम वर्षगांठ जेकरा सम्पूर्ण मैथिली समाज अपन भाषाक अधिकार दिवसक रुप मे मनबैत छैथ।
हालाँकि अहि सम्मेलन केर आयोजन 2003 सँ कैल जा रहल अछि। जहिया भोगेन्द्र झा जीक अनुरोध पर आडवाणी जी आदरणीय वाजपेयी जीक समक्ष मैथिली केँ संवैधानिक अधिकार देबाक लेल प्रस्ताव पारित कय अपन संकल्प केँ पूरा करय मे सफल भेल छलाह, तहिये सँ अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलनक नींब पड़ि गेल छल।
अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन केर दोसर दिन माने 23 दिसम्बर केर दुपहरियाक करीब १२ बजे सँ संध्या 4 बजे धैर विचार गोष्ठीक आयोजन भेल जाहि में अनेकानेक विद्वान् विचारक संग स्रष्टासाहित्यकार आर मैथिल हितैषी अपन-अपन गाम-घर सँ लैत कर्मक्षेत्र प्रवासक स्थल धैर केर अनुभव एवं समस्या पर विचार केलैन। आइ मिथिलाक राजनीति उपेक्षाक चलतबे आर्थिक विकास नहि हेबाक चलते मैथिल जनमानस केँ घर छोड़ब बाध्यता बनि गेल छन्हि। भारत, नेपाल आर अन्य देशक गैर-मिथिलाक्षेत्र मे प्रवास पर जाएब रोजी-रोटी लेल आवश्यक बनि गेल अछि। मुदा प्रवासक स्थल मे सेहो अपन मौलिक अधिकार प्रति सजगता केँ अपनेबाक लेल गाम आर मूल संग जुड़ाव राखब मैथिल केर खासियत मानल जाएछ। आइ प्रवास पर अपन पेट खालियो राखि जाहि तरहें मिथिलाक धरतीपुत्र सब अपन गाम ओ घर केर विकास कय रहला अछि ओ अत्यन्त सराहनीय अछि।
उपरोक्त अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारक बाद संध्या 5 बजे सँ बहुचर्चित हास्य उद्घोषक राधे भाइक प्रस्तुति सँ कार्यक्रमक आगाज भेल। कार्यक्रम केर गाड़ी धीमा धीमा अपन रफ्तार पकड़ैत गेल। अहि क्रम में मैथिल सुर सम्राट कुञ्ज बिहारी जी, रामबाबू झा जी, पूनम मिश्रा जी, कुमकुम जी, जुली झा जी, दीपक जी, विकाश झा जी, रश्मि प्रिया जी, दिलीप दरभंगिया जी आ और बहुत रास कलाकार लोकैन अपन प्रस्तुति देलैन। अतेक रास कवि, साहित्यकार, संगीत कलाकार सब केर जमघट देखि मोन प्रफुल्लित भ गेल आ तैं शायद ई महापर्व केँ अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त अइछ।
संध्या 8 बजे केर पश्चात पद्दमश्री मैथिली स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जीक गीत नाद शुरु भेल आ जेना लागल ने अहि स्थल पर कुनो विवाह, मुंडन या उपनयन केर सामूहिक आयोजन सेहो शामिल अइछ। एक सँ एक झूमर, लोकगीत, सोहर आ समदाउन सुनि अपन जीवंत मैथिली संस्कृति जे आब जीर्ण धरोहर जेकाँ बनल जा रहल अछि जेकरा केवल कुनो उपलक्ष्य टा में मात्र यैद करब हम मैथिल उचित बुझैत छी तकरा पुनरावृत्ति प्रदान कय हरेक श्रोताकेँ आत्मचिंतन करबाक लेल मजबूर कय देलक हिनकर सुमधुर गान सब।
राधे भाइक उद्घोषणक भगैत रूप मे प्रस्तुति सब श्रोताक खूब मनोरंजन केलक। ई सब गोटा लेल एकटा अविस्मरणीय प्रकरण बनि गेल। मैथिल केर जाहि कला आ संस्कृति केँ ओ मंच पर राखलैन ओ अपना आप में एकटा अत्यन्त अविष्मरणीय स्मृति रूप मे रहत।
सम्मेलन केर आयोजक महाराष्ट्र मैथिल समाज केर सक्रियता में भऽ रहल छल, जाहि मे किछु त्रुटि सेहो देखल गेल। आयोजक समिति केर कार्यकर्ता लोकैन अपन जिम्मेदारी निभेबा मे कतहु-कतहु कोताही बरैत रहल बुझेलाह। अनुमानित 20 हजार कुर्सी बैसबाक लेल छल जाहि में 10 हजार कुर्सी रिक्त रहल, आयोजन स्थल पर किछु बाहरी नास्ता-पानी केर व्यवस्था रहबाक चाहैत छल, प्रसाधन लेल पुरुष आ महिला वास्ते यथोचित शौचालयक प्रबंधक कमी देखल गेल।
एहि प्रतिष्ठित वार्षिक सम्मेलनक परिकल्पक डा. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ द्वारा आगामी वर्षक आयोजन भारतक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) केर मेगासिटी गुड़गाँव मे करबाक उद्घोषक संग ओहि सम्मेलनक संयोजन हेतु कार्यकारिणी समिति केर गठन कैल गेल। ऐगला वर्ष पुनः 22 -23 दिसंबर 2016 केँ मैथिली अधिकार दिवसपर अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन गुड़गाँव मे कैल जायत। एहि टीम में कमलकांत झा जी, धनञ्जय जी, अनिल जी सन नामी-गिरामी व्यक्तित्व सब पर भार सौंपबाक निर्णय लेल गेल।
बाद बाँकी महाराष्ट्रक प्रशासन, सांसद हितेन्द्र ठाकुर जी, उमेश नाईक संग सम्पूर्ण बहुजन विकास आघाडी पार्टीक सहयोग आ समर्थनक भरपूर प्रशंसा एहि सम्मेलन द्वारा कैल गेल छल। एहि द्विदिवसीय सम्मेलन में दहेज मुक्त मिथिलाक भूमिका सेहो सराहनीय छल, उपस्थित जनसैलाब में हरेक व्यक्ति केर हाथ में DMM केर अपील पत्रिका जे दहेज खत्म करैक लेल एकटा आह्वाहन छल ओ चमचमाईत देखल गेल। चहूँ ओर DMM- दहेज मुक्त मिथिला छायल छल।
मिथिलाक नवगठित सहयोगक संकल्पित संस्था जेकर नाम अछि मैथिली सेवा संस्थान, तेकर कार्यकर्त्ता लोकैन सेहो अपन-अपन अपील पत्र बांटलैन जे सराहनीय कदम केर रूप मे लोकमानस मे स्थान बनौलक।
एहि अवसर पर प्रकाशित स्मारिकाक विमोचन कैल गेल जाहि में दहेज मुक्त मिथिलाक एकटा पन्ना में अपील सेहो छपल अछि। हजारों-हजार दर्शक सँ भरल स्टेडियम सँ लोक अन्तिम क्षण तक एहि कार्यक्रमक आनन्द लैत गाम-घर आ मिथिला सँ दूर महानगरीय मिथिलामे आकंठ डूबल देखेला।