पटना, नवम्बर २४, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!
कार्तिक धवल त्रयोदशी – नवम्बर २३ तारीख – विद्यापतिक अवसान दिवस पर परंपरा सँ स्मृति समारोह पर्व केर रूप मे मनाओल जेबाक परंपरा चेतना समिति – पटना द्वारा ६२म बेर आरंभ भेल अछि।
भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री डॉ. मदनमोहन झा केर मुख्य आतिथ्य तथा सिनियर आइएएस व बिहार सरकार केर कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश केर विशिष्ट आतिथ्य मे आरंभ उद्घाटन समारोह मे अध्यक्ष विजय कुमार मिश्र, मंच संचालक उपाध्यक्ष विवेकानन्द ठाकुर व सचिव वासुकीनाथ झा सहित अनेकानेक विद्वान् व अभियानी लोकनिक सहभागिता मे उद्घाटन समारोह संपन्न भेल।
एहि अवसर पर चेतना समितिक अध्यक्ष द्वारा सौराठ सभा केर धरोहर हेबाक बात कहैत एकर संरक्षण केर माँग रखलाह। हाले नियुक्त भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री झा कहलैथ जे मिथिलांचलक धरोहर सौराठ सभाक जमीन केर घेराबंदी जरूर होएत। मुदा हाल जमीनक मामिला मे पेंच अछि। अपना स्तर पर मिथिलांचल केर विकास हेतु हर संभव प्रयास करब। लेकिन एकरा लेल सब लोक केँ एक मंच पर आबय पड़त। मिथिला मे प्रतिभाशाली लोकक कमी नहि अछि। धनक अभाव मे केकरो प्रतिभा नहि मरत।
चेतना समिति द्वारा कैल गेल एहि आयोजन मे आरो वक्ता सब मैथिली मे संबोधन केलैन। समारोहक विशिष्ट अतिथि कृषि उत्पाद आयुक्त विजय प्रकाश द्वारा वैवाहिक पंजी व्यवस्था केर कंप्यूटरीकरण कैल जेबा पर जोर दैत कहलनि जे एहि वैज्ञानिक परंपराक रक्षा जरुरी अछि। मिथिला मे एहि व्यवस्थाक आधार पर विवाह कैल जाएत रहल अछि। एकर शुरुआत राजा हरिसिंह करीब एक हजार इस्वीक आसपास केने छलाह। ओ मिथिलाक सांस्कृतिक साहित्यिक चेतनाक संग आर्थिक चेतनाक दिशा मे काज करबाक आवश्यकता पर सेहो जोर देलनि। संगहि मिथिलांचलक विकास हेतु विशिष्ट क्षेत्र केर रूप मे अलग सँ कार्ययोजना बनाकय काज करबाक जरूरत पर बल देलनि।
स्वागत भाषण मे चेतना समितिक अध्यक्ष विधान पार्षद विजय कुमार मिश्र मैथिली भाषी छात्र-छात्राक लेल एजुकेशन हब और ताहि लेल जमीन उपलब्ध करेबाक मांग सरकार सँ केलनि। संगहि ओ कहला जे ओही जमीन पर पीपीपी मोड मे एहेन कोचिंग संस्थान बनौक जाहि मे मेडिकल, इंजीनियरिंग आदिक तैयारी करेबाक सेहो व्यवस्था हो जाहि सँ मिथिलाक छात्र केँ कोचिंग लेल कोटा या दिल्ली नहि जाय पड़तैक। एहि मे सरकार केर अलावे समाजक लोक सेहो पहल करय ताहि लेल ओ अपील केलनि।
समारोह मे कुमार मनीष अरविंद लिखित पुस्तक ‘निछच्छ बताह भेल’ और विद्यापति स्मृति पर्व स्मारिका समेत कतेको मैथिली भाषा केर साहित्यिक पुस्तक आदि केर लोकार्पण कैल गेल। उद्घाटन कार्यक्रम केर अन्त मे मैथिली लोक गायिका रंजना झा द्वारा एक सँ बढ़िकय एक मैथिली गीत सँ मगध केर धरती पर मिथिला संस्कृति केँ उतारि देल गेल।
बाद मे कवि सम्मेलन मे पद्मश्री विलट पासवान विहंगम, डॉ. विद्यानाथ झा, फूलचंद झा, स्वयं प्रभा झा आदि द्वारा कविता वाचन सँ श्रोता सबकेँ मंत्रमुग्ध कय देलक।
एहि विभूति सबकेँ भेटलनि सम्मान
समारोह मे मैथिली भाषा साहित्य पुरस्कार सँ प्रो प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन, संगीत रंगमंच केर वास्ते प्रो योगेंद्र भारती, मिथिला लोककला लेल कल्पना सिंह, विशिष्ट अवदान लेल डॉ शिवशंकर झा, कीर्ति नारायण मिश्र साहित्य सम्मान सँ कुमार मनीष अरविंद, डॉ माहेश्वरी सिंह महेश ग्रंथ पुरस्कार सँ दीपनारायण विद्यार्थी और डॉ माहेश्वरी सिंह मैथिली निबंध लेखन पुरस्कार सँ सुश्री पुतुल कुमारी केँ सम्मानित कैल गेल।
कार्यक्रम एखन आरो दुइ दिन चलत जाहि मे नाटक प्रदर्शन, चित्रकला, गीतगैन आदिक प्रस्तुति कैल जेबाक समाचार आयोजनकर्ता सँ भेटल अछि।
आम जनसहभागिता केर कमी पर चिन्ताः अमित आनन्द
बनारस केर विद्यापति स्मृति पर्व समारोह सँ सीधे पटनाक समारोह देखबाक लेल पहुँचल मिथिलाक सर्वथा सक्रिय अभियानी अमित आनन्द ग्राउन्ड जीरो सँ लोक-सहभागिता पर प्रश्न उठौलनि अछि। बनारस मे करीब पाँच लाख मैथिल जनमानस रहैत अछि जाहि मे सँ बामोस्किल १०० जनक सहभागिता देखला पर आयोजक सहित दर्शक व अन्य प्रस्तोताक छुछुआउन लागब स्वाभाविके छल। तहिना पटना मे मैथिल जनमानस केर जनसंख्या करीब १५ लाख मानल जाएत अछि। चेतना समिति मैथिलीभाषीक एकमात्र पुरान आर मजबूत संस्था सेहो मानल जाएत अछि। लेकिन पटनाक समारोह मे सेहो आम जनसहभागिता एकदम नगण्य रहल ई चिन्ताक बात बुझाएत अछि। एतेक खर्च सँ आयोजन कैल जाएछ, लेकिन जनसहभागिता मे कमी एकर औचित्य पर प्रश्न ठाढ करैत अछि। एकर कारण पर समीक्षा करैत समाधान ताकब जरुरी बुझाइछ, कहला अमित आनन्द।
समारोह मे जाबत सब वर्गक लोक लेल कार्यक्रम नहि समेटल जायत, ताबत ई जनसहभागिता अहिना कम रहत। कारण शहर मे आवागमनक भार वहन करबाक संग समय खर्च करबाक लेल आन्तरिक जीजिविषा केँ जगेबाक लेल आयोजनकर्ता केँ ओहि तरहक कार्यक्रम विकसित करब जरुरी अछि। जेना गरीब-मजदूर वर्गक मैथिलक परिवार केँ जोडबाक लेल ओहि वर्गक छात्र केँ छात्रवृत्ति देनाय, ओहि वर्गक छात्र-छात्रा मे अपन भाषा व संस्कृति प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करबाक लेल विभिन्न प्रतियोगितात्मक कार्यक्रम सहित समारोह मनेनाय, आदि। तहिना युवा केन्द्रित एकटा निश्चित रूपरेखाक सांस्कृतिक आयोजन राखब सेहो जनसहभागिता बढेबा मे सहायक होइत देखल गेल अछि। केवल नाच-गाना मे मनोरंजनक महत्व आम समाज बुझैत अछि, मुदा कतेको आयोजन मे आयोजन आयोजित होयबाक सूचना तक नहि पहुँचैत अछि। ईहो एकटा मुख्य कारण होइछ जे आम जनसहभागिता कम रहैछ। आइ-काल्हि भीड़ जुटेबाक लेल आयोजनकर्ता केँ एकटा अलगे सँ योजना बनबैत संयोजन करय पड़ैत अछि, एहि दिशा मे सेहो ध्यान देब आवश्यक अछि।