मिथिला गीत-संगीतक नव स्वरूपः चहटगर चटनी

मैथिली गीतक संग्रह - चहटगर चटनी

राजविराज, सप्तरी, मिथिला, नेपाल। अक्टुबर २१, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

कहबी छैक जे मिथिलाक सभ्यता मे गीत-संगीत लोकाचार सँ जुड़ल छैक, सच छैक जे जन्मक समय सँ सोहर आर विभिन्न संस्कार गीत सँ होइत मृत्युक समय धरि लेल एहिठाम गीत-गाइनक इतिहास व परंपरा छैक।

एहि बीच हिन्दी फिल्म केर लोकप्रियता आ वृहत् बाजार सँ मैथिली गीत-संगीत पर एकर प्रभाव होयब स्वाभाविके छैक। तहिना भोजपुरी समान अपूर्ण भाषा मुदा अत्यन्त लोकप्रिय बोली मे सेहो फिल्मी गीत केर बाजार मैथिली सँ कतेको गुना बेसी भऽ गेलाक कारण निज मैथिलीभाषी द्वारा भोजपुरीक भूख ओहिना देखल जा सकैत छैक।

जहिना बाजार तहिना व्यवहार – मैथिली केँ हारिकय आब ओहि बाट पर अग्रसर होमय पड़ि गेल छैक जाहि मे हिन्दीक हिनहिनाहट आ भोजपुरीक भनभनाहट मैथिलीक मिठास संग नव ब्लेन्ड तैयार करैत ‘बाजार’ आर ‘मुनाफा’ सँ मैथिल कलाकार केँ परिचित करा सकैक। chahatgar chatany

सच छैक, मैथिल कलाकार कोन दृष्टि आर कतेक कष्टक संग कोना-कोना साधन जुटबैत एल्बम निकालैत अछि आर से एलबम बाजार तक पहुँचैत-पहुँचैत दम तोड़ि दैत छैक; कारण मैथिलीभाषी मे अपनहि भाषा सँ सतौत व्यवहार जगविदित छैक। जखन राजनीति कएनिहार मैथिल नेता पर्यन्त ई कहौक जे मैथिली मात्र बाभन आर के भाषा हय…. तखन स्वयं सोचय योग्य विषय छैक जे मैथिली भाषा मे कलाजीविता कोना पोसल-पालल जा सकत।

लेकिन चिन्ता नहि करू – 

जाहि भूमि सँ स्वयं जानकी अवतार लेली धरती पर

ताहि भूमि केर सब सन्तान बसथि सृजनधारा पर

नहि चिन्ता कि बनत लागत केहन जनता केँ

तैयो निज साधन आ सोचक लाबथि सुधा धरा पर!!

जी हाँ! बात कय रहल छी किछु जिवटगर अप्पन धरतीक सपुत सब पर – विद्यानंद बेदर्दी, विन्देश्वर ठाकुर, प्रयास प्रेमी मैथिल, तेजू मैथिल, विरेन्द्र झा, जावेद अली, अंजू यादव, आर एन सागर, सुधीर सिंह, नारायण मधुशाला, अशोक कुमार सहनी आर राजदेव राज – सब गोटे फेसबुक संसार मे मैथिली सृजनकारक रूप मे परिचित चेहरा; कियो विद्यार्थी, कियो प्रवास जीवन मे मजदूर, कियो जन्महि सँ सूरदास, कियो गामहि मे रहिकय संघर्षक संग जीवन-यापन चला रहल – सब सपुत मे मुदा एक्कहि टा संपत्ति एहेन अछि जाहि सँ एकरा सब सँ बेसी धनिक-मनिक केकरो नहि कहल जा सकैत अछि, ओ संपत्ति थीक मातृभाषाक सेवा आ मातृभूमि प्रति समर्पणक। मैथिली जिन्दाबाद पर एहि समस्त स्रष्टाक अनेकानेक कृति क्रमशः प्रकाशित होएत रहल अछि। गर्व अछि एहि सब सपुत पर – ईश्वरक अंश तऽ ओना सब मे छैक, लेकिन साक्षात् सरस्वती ओ ब्रह्मकेर रूप ई सपुत सब अपन एक सँ बढिकय एक कृति सँ मिथिला जगत् केँ नेहाल करैत रहल अछि।

पूर्व मे ‘मिथिलाक एक्सप्रेस’ नाम सँ म्युजिक एल्बम प्रकाशित केने छल, आब एकरा सबहक नव प्रस्तुति ‘चहटगर चटनी’ मिथिला गीत-संगीत संसार मे तहलका मचाबय लेल आबि रहल अछि। उपरोक्त कोनो स्रष्टा परिचयक मोहताज नहि, नहिये ओकर गुणस्तर पर कोनो दुविधा वा शंका अछि, तथापि छट्ठू-निकम्मा-पेंचियल आ पोंगापंथी लोकनि कहियो ओकर भाषा-शैलीपर तऽ कहियो मैथिली भाषाक मापदंड पर सवाल ठाढ करिते रहत आर सृजनक धारा सदिखन एहिना बहिते रहत। आब ओ जमाना कहाँ छैक जे अपन शान लेल आन केँ वंचित कय देब, आब तऽ अहाँ मुकुटधारी-विद्मान-सज्जन सब सँ बहुत बेसी आगाँ सर्वहारा समाज छैक। ओकरा सब मे अपन मातृभाषाक सम्मान कोना बचत तेकर पूरा ज्ञान छैक। हाँ! तखन राजनीति कएनिहारक कृपा भारत जेकाँ जँ नेपाल मे सेहो आओत तहिया तऽ एत्तहु प्रभाव पड़बे करत, ताधरि नेपालक मिथिला सँ सृजनक धारा निरंतर बहि रहल अछि, हम सब एहि पर गर्व करी।

विश्वास करू – चहटगर चटनी मे सब किछु भेटत। नवका आ पुरनका सबटा मिलाकय एहेन छौंक बनायल गेल अछि जे एकर श्रोतावर्ग स्वतः मैथिलीक मिठास मे हिन्दी-भोजपुरीक चमक-दमक सेहो जरुर देखत। अपनहि भाषाक सीडी कीनत आर अपनहि सपुत सबहक कलाजीविता केँ संवर्धन-प्रवर्धन करत। मुहपुरुख कहेनिहार किछु पोंगा लोक केँ भले एहि पर फूस्टिक छोड़बाक अवसर भेटय, मुदा बाजार आ बहुसंख्य केर माँग अनुरूप ‘चहटगर चटनी’ सगरो शोर मचा देत।

एहि एल्बम मेः

मैथिली गीत-सङ्गीतक उत्थान आ विकासक लेल मैथिली झमकौआ, प्रेम-विरह, मिथिला वर्णन गीतक सङ्कलन कएल गेल नुनगर-चहटकर एलबम जेकर गीतकार- विद्यानन्द वेदर्दी, विन्देश्वर ठाकुर, प्रयास प्रेमी मैथिल, आर. एन. सागर, नारायण मधुशाला, राजदेव राज, सुधीर सिंह तथा गायक- विरेन्द्र झा, तेजू मैथिल, सन्नु कुमार, जावेद अलि, अंजू यादव केर संग संगीतकार- शैलेन्द्र विश्वकर्मा तथा विरेन्द्र झा छथि।

गीत सबहक बोल:- 1. निर्मोही अहाँके यादमे 2. डिजाइन बड्ड डेन्जर छौ 3. अपन मिथिलाके यौ मिता 4. गोरी चन्द्रमुखी रूप अहाँके 5. बनि चान सुरूजक किरण 6. रगरगमे बसलौं अहाँ 7. हे गे सुन्नरी गोर्की 8. भैयाके साली कमाल यौ 9. लुटिले हे गे गोरी 10. A B C D. E F G H I हमरा कनिया पढबैय यौ भाइ..!! जौ पढैछी एकोरति हम गल्ति, दैय धैले चाट हमरा लगाई..!! – अछि।

एलबम केर नामकरण सम्बन्ध मेः

विद्यानन्द बेदर्दी नामकरण लेल मैथिली जिन्दाबाद केर प्रधान संपादक प्रवीण नारायण चौधरी सँ सल्लाह लैत एकर नाम सर्वसम्मति सँ हुनकहि राखल “चहटगर चटनी” रखलनि। आशा करैत छी जे एकर तैयारी आर प्रस्तुति निश्चित रूप सँ चहटगर चटनीक कार्य करत आर मैथिली मनोरंजनक दुनिया मे एहि चटनीक माँग सब करत।