विशेष संपादकीय
आइ सँ नवरात्रा प्रारंभ भऽ गेल अछि। नेपाली जनमानस शायदे एहेन उदासीक माहौल मे कहियो दशैं-तिहार-छैठ मनेने होयत। हमरा होश मे पिछला ३० वर्षक अनुभव मे एहेन अवस्था नहि देखल गेल छल। मेहनत-मजदूरीक भरोसे जीवन-यापन कएनिहार कतेको परिवार केर आय पर प्रतिकूल असर पड़ल, उद्योग-व्यापार पर अत्यन्त नकारात्मक असर पड़ल, कतहु खुशियाली नहि अछि। आर तऽ आर अस्पताल एवं औषधालय मे दबाइ तक नहि भेटि रहल अछि। सवारी-साधन सुचारू ढंग सँ कतहु संचालन मे नहि अछि। सीमाक नाका सब खुलैत अछि, बन्द होइत अछि, सब किछु असामान्य अवस्था मे देखाइत अछि।
नेपाल मे संविधानसभा द्वारा २० सितम्बर नव संविधान घोषणा कैल जा चुकल अछि, लेकिन आन्दोलित मधेस तथा देशक आधा आबादी जनमानस एकरा स्वीकार नहि कएलक, विरोध जारी राखल गेल अछि, कतहु खुशी तऽ कतहु दु:ख अछि। तथापि देशक राजनैतिक शक्ति सावधानीपूर्वक किछु तीत-मीठ अनुभव केँ समेटने एकटा निश्चित नियोजित मार्ग पर अग्रसर देखाइत अछि।
एम्हर भारत द्वारा संविधान एकतर्फी जारी करब आ मधेसक आन्दोलन केँ संबोधन नहि करबाक कारण अशान्त मधेसक बाट होइत आपूर्ति व्यवस्था केँ निरंतरता मे राखि सकबा मे समस्या देखबैत सीमा-नाका पर सेहो काफी सुरक्षा बन्दोवस्त बढेबाक बात केँ नेपालकेर सत्तापक्ष एवं संविधान केर पक्ष मे रहल जनमानस द्वारा ‘अघोषित नाकाबन्दी’ मानि लेल गेल अछि। भारत प्रति आक्रोश, विरोध आदि निरंतरता मे रहितो नेपालक जनमानस मे सेहो एहि मुद्दा पर स्पष्ट विभाजन नजैर अबैत अछि। जतय मधेशी जनमानस सहित सब असन्तुष्ट पक्ष भारत द्वारा नेपाल प्रति कड़ा डेग उठेबाक बात केँ एकटा पाठ सिखेबा समान बुझल जा रहल अछि तऽ दोसर दिशि नेपालक घोषित संविधान केर पक्ष मे रहल नेता व जनता जाहि मे पहाड़ी समुदाय केर बाहुल्यता अछि तेकरा द्वारा भारत पर नेपालक आन्तरिक मामिला मे हस्तक्षेप आ अघोषित नाकाबन्दीक आरोप मढल जा रहल अछि।
अही बीच, भारतीय सीमा सुरक्षा बल, कस्टम अधिकारी आदि नेपाली सुरक्षा बल व कस्टम अधिकारीक संग-संग वाणिज्य संघ आदिक सुरक्षा गारंटी लैत सीमा केँ सुचारू ढंग सँ संचालित सेहो कैल जा रहल अछि। बीच मे काफी कड़ाई छल, जेकर असर नेपाल मे अत्यावश्यक समान जेना ईंधन व खाद्यान्न केर संग औषधि, औद्योगिक कच्चा पदार्थ आदिक घोर अभाव देखल गेल छल। लेकिन आजुक अवस्था अत्यन्त सहज देखा रहल अछि। रक्सौल छोड़ि बाकी नाका सब लगभग सुचारू रूप सँ कार्य करय लागल अछि। आपूर्ति व्यवस्था भारतीय नाका सँ सहज होइते नेपालक जनजीवन सेहो सामान्य तरफ अग्रसर होइत देखा रहल अछि।
राजनीतिक समाधान धरि एखन धरि अधर मे लटकल अछि। मधेसक आन्दोलन लेल पूर्वक सरकार द्वारा गठित वार्ता टोली बस समय बितबैत रणनीति अनुरूप अन्ठबैत नाममात्रक वार्ता करैत रहल। ओम्हर नव संविधान जारी केलाक बाद पूर्वक समझौता मुताबिक नव सरकार केर गठन पहिने सहमति सँ, फेर राष्ट्रपति द्वारा देल समयसीमाक भीतर सहमति सँ नहि कए सकलाक बाद सदन द्वारा प्रधानमंत्रीक चुनाव करैत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) केर बहुचर्चित नेता खड्ग प्रसाद शर्मा ‘ओली’ केँ ३३८ मत सँ निकटतम प्रतिद्वंद्वी नेपाली काँग्रेस केर प्रधानमंत्री उम्मीदवार आ निवर्तमान प्रधानमंत्री सुशील कोइराला केँ २४९ मत पर जीत हासिल करैत नेपालक ३८म प्रधानमंत्रीक रूप मे ११ अक्टुबर केँ निर्वाचित घोषित भेलाह, १२ अक्टुबर शपथ-ग्रहण सेहो केलनि। आर आब पुन: नव सरकार नव तरीका सँ असन्तुष्ट पक्ष संग वार्ता करत, आन्दोलन केँ संबोधन करत, यैह सब एम्हर-ओम्हर मे हाल धरि नेपाल मे जारी असंतोष एवं विरोधक आन्दोलन जारिये अछि। माहौल मे दशमीक प्रवेश भेलाक बादो जनमानस मे उत्साह कतहु सँ नहि अभरैत अछि।
एहि बीच राजनीतिक दौर लेकिन कतेको उठा-पटक करैत देखा रहल अछि। शायद देशक जनता लेल दशमी सँ बेसी मनोरंजन राजनीतिक कुश्ती टा बनि गेल अछि। पैछला शनि दिन १० अक्टुबर केँ जखन सदन मे प्रधानमंत्रीक चुनाव होयब छल, ताहू सँ पूर्व शुक्र दिन जखन उम्मीदवारी दर्ता करेबाक छल, ताहि सबमे भरपूर मनोरंजनात्मक राजनीतिक ड्रामा देशक जनता केँ देखय लेल भेटल। पहिने ‘भद्र सहमति’ भरपूर चर्चा मे छल, लेकिन नेपाली काँग्रेस द्वारा तेहेन कोनो सहमतिकेँ नकारि देलाक बाद एहि दलक शीर्ष नेता सब मे सेहो प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी देबाक एकटा विलक्षण रणनीति सोझाँ आयल। कहल जाएत अछि जे भारत केर भितरिया निर्देश अनुरूप नेपालक सबसँ पैघ दल नेपाली काँग्रेस केँ अन्य कम्युनिस्ट दल सँ अलग रखबाक एकटा भारतीय रणनीति अनुसार नेपाली काँग्रेस द्वारा भद्र सहमतिकेँ नकारैत प्रधानमंत्रीक उमेदवारी देल गेल, एतबा नहि, ताहि उमेदवारी प्रति भारतीय निर्देशन अनुरूप मधेसवादी दल जे महीनों सँ संविधानसभाक बहिष्कार पर्यन्त केने छल तेकरा सेहो नेपाली काँग्रेसक उमेदवार केर पक्ष मे वोट देबाक लेल परिचालित कैल गेल। अन्तत: सदन केर पटल पर ३३८ मत २४९ मत पर भारी बनैत एमाले केर नेता के पी शर्मा ओली प्रधानमंत्री निर्वाचित भेलाह। रोचक बात ई जे मधेस लेल आन्दोलित दोसर मोर्चा आ सत्ता संग रहबाक लेल प्रसिद्ध कुर्सीप्रेमी विजय गच्छदार ओली पक्ष मे चलि गेलाह आ हुनको पारितोषिक रूप मे देशक उप-प्रधानमंत्री व हुनकर जागिरदारी मानल जायवला मंत्रालय भौतिक पूर्वाधार निर्माण मंत्रालय सहित किछु आरो मधेसकेन्द्रित संविधान समर्थक मधेसी नेताकेँ मंत्रालयक उपहार दैत राजनीतिक खेला-वेला चरम पर पहुँचि गेल अछि।
देश आ मधेस मे चर्चा खूब जोर पर चलि गेल जे पद भेटला पर आन्दोलन छोड़ि नेता बिका जाएत अछि। आइ विजय गच्छदार जी केर पार्टी मधेसी जनाधिकार फोरम (लोकतांत्रिक) केर नेता सब विरोध मे सप्तरीक राजविराज मे प्रदर्शन सेहो केलनि। तहिना कतहु-कतहु सँ आवाज अबैत अछि जे आन्दोलनरत संयुक्त मधेसी मोर्चा सेहो घोषित संविधान केँ जरेनिहार आ विरोध केनिहार आखिर कोन नैतिकता सँ सदन मे जाय प्रधानमंत्रीक निर्वाचन मे कोनो पक्ष केर पक्ष लेलक। हलाँकि संयुक्त मोर्चा द्वारा एहि लेल एकटा विज्ञप्ति जारी करैत सफाई देल गेलैक अछि, मुदा जनता ओतेक बेवकूफ नहि छैक जतेक नेता सब बुझैत छथि, हिनको सबकेँ सत्तालोभी आ अपन स्वार्थसिद्धि लेल राजनीति करबाक आरोप सँ दुइ-चारि होमय पड़ि रहलनि अछि। नव सरकार पर आब सबल प्रतिपक्ष काँग्रेसक झेल सेहो रणनीति अनुसार आबिये गेलैक अछि, आर नव वार्ता टोली सेहो बनतैक ताहि सँ पूर्व सबल प्रतिपक्ष सँ समाधान हेतु ओकर सल्लाह लेब बाध्यता बनिये गेल छैक, तखन जाय केँ वार्ता हेतैक आ तखन शायद ‘जारी आन्दोलन’ फिर्ता लेबाक घोषणा मधेशी मोर्चा द्वारा कैल जेतैक। अवस्था मे कतेक घुरपिच्ची लागि गेलैक से सब केँ स्पष्ट अछिये। समाधान लेल कतेक लचीला पिछला दुइ मास मे रहल शासकवर्ग से केकरो सँ छूपल नहि अछि। तखन सब समाधान ओही अदृश्य शक्ति मे छैक, जेना ओ नचायत तहिना नेपाल नाचत। आम जनमानस मे एहि राजनीति केर घुरपिच्ची सँ जे दु:ख भोगब लिखल छैक से भोगैत रहू। समाधान बहुत नजदीक नहि देखाइत अछि। अदृश्य शक्ति केँ सेहो अपन शक्ति काठमांडू मे कम काज करैत देखाइत छैक, तखन जादू-टोना सब जँ काजक हेतैक तखनहि समाधान शीघ्र यानि एहि दुर्गा-पूजाक समयावधि मे होयत। नहि तऽ जनता झेलैत रहय!