अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक महासचिव रत्नेश्वर झा द्वारा मिथिला क्षेत्र मे भोजपुरी भाषा मे देल गेल भारतीय चुनाव आयोग केर प्रचारवला होर्डिंग पर सख्त ऐतराज केर संग मैथिली एवं मिथिला अभियान सहित आम मैथिलीभाषी प्रति आक्रोश प्रकट कैल गेल जे आखिर मिथिलहि केर बेटी शारदा सिन्हा केर फोटो आ कैप्सन अपील मे भोजपुरी भाषा केर प्रयोग करैत मिथिलावासीक भाषाक अपमान कोना वर्दाश्त कैल जा रहल अछि। मिथिलाक्षेत्र मे जगह-जगह सरकारी विज्ञापन तथा मतदाता केर जागरण हेतु चुनाव आयोग केर विज्ञापन आदि मे मैथिलीक प्रयोग नहि करब राज्य द्वारा ई मानब भेल जे मैथिली भाषा आब जीवित नहि रहि गेल अछि, मिथिला मे सेहो स्थानीय भाषा भोजपुरी बनि गेल अछि। किछु भाषा अभियानी सरकार द्वारा जानि-बुझिकय एहि तरहक कूचेष्टा मिथिलाभाषीक अपमान करबाक लेल आ मैथिली पर भोजपुरी भारी पड़बाक कूतथ्य प्रमाणित करबाक लेल केलक कहलनि अछि।
विदित हो जे मैथिली बिहार केर एकमात्र भाषा अछि जे भारतीय संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान प्राप्त केने अछि। मैथिली भाषा ओ साहित्य केर प्राचीनता, मधुरता आ संपन्नताक बदौलत ई एहि विशिष्ट दर्जा केँ दीर्घकालीन संघर्षक बाद पेलक, जखन कि भोजपुरी भाषा जेकर न कोनो व्याकरण केर विकास भेल, नहिये कोनो महाकाव्य वा अन्य गूढ साहित्य सृजन भेल सेहो भारतीय संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान प्राप्त करबाक लेल आइ धरि संघर्षरत अछि। शायद एहि तरहक कूकृत्य सँ भोजपुरी भाषीक क्षेत्र देखबैत मिथिला गरिमा केँ स्वत: समाप्त करबाक कोनो षड्यन्त्र कैल जा रहल अछि, कारण बिहार सरकार अपन बिहार गीत मे सेहो मिथिलाक कोनो अस्मिता केँ सम्मानपूर्वक स्थान नहि देने छल। कतेको विरोधक बावजूद एहि तरहक अनेकानेक अपमान मिथिलावासी केँ बिहार राज्य आ बिहारी पहिचान सँ होइत रहल अछि।
एक पृथक् मिथिला राज्य अभियानीक कहब छन्हि जे जाबत मिथिलाक राज्य अलग नहि होयत, पटनाक कूत्सित आ बयमान मानसिकता सँ मिथिला केँ एकटा उपनिवेश बनबैत स्वतंत्र अस्मिताकेँ मृत्युकेँ दान देबाक हरसंभव प्रयास हेब्बे टा करत। मैथिली केर हितचिन्तन कएनिहार अत्यन्त प्राचीन आ बिहारक राजधानी पटना मे स्थापित संस्था ‘चेतना समिति’ केर वर्तमान अध्यक्ष जे स्वयं सरकार आ राजनीतिक तवका मे नीक पकड़ रखैत छथि, ओ कतेको बेर सरकार सँ मैथिली भाषा मे सेहो सरकारी विज्ञापन करबाक माँग कय चुकला अछि, लेकिन ताहि सब पर कोनो सुनबाई एखन धरि बिहार सरकार या हुनक समर्थित जदयू जेकर अगुवाई मे आइ १० वर्ष सँ बिहार मे शासन चलि रहल अछि, कियो एहि माँग केँ पूरा नहि कय सकल अछि। मैथिली माध्यम सँ प्राथमिक शिक्षा केर मौलिक अधिकार संविधानक बाद पटना उच्च न्यायालय आ दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय पर्यन्त दय चुकल अछि, लेकिन बिहार सरकार माध्यम स्वीकार करैत मैथिली मे शिक्षा देबाक बात करत तेकरा तऽ दूरे छोड़ू, सरकार द्वारा मैथिलीक शिक्षक तक केर नियुक्ति आइ कतेको वर्ष सँ लंबित अछि। पहिने लोक मैथिली राखि माध्यमिक सँ उच्च स्तर धरि विद्या अध्ययन करैत छल, मुदा शिक्षक केर अभाव मे मैथिल छात्र अपन मातृभाषा सँ मैट्रीक तक पास नहि कय सकैत अछि।
विदित हो जे अहु बेर सिविल सर्विस केर संघीय आयोग मे १५ टा अभ्यर्थी सफलता प्राप्त केलनि। मैथिल छात्रक अतिरिक्त आन-आन राज्य केर छात्र सेहो मैथिली विषय राखि सिविल सर्विस केर परीक्षा मे उतीर्ण भेलाह। लेकिन बिहार सरकार केर एहेन कोन शत्रुता छैक जे ओ मैथिली केँ मृत मानि रहल अछि, ई एकटा गंभीर प्रश्न ठाढ अछि। सरकारक संग-संग दोष मिथिलाक्षेत्रक ओहि सब उम्मीदवार आ निर्वाचित विधायक एवं सांसद केर सेहो छन्हि जे निजभाषा केँ अपमानित होइत चुपचाप देखि रहला अछि, ओ सब स्वयं सेहो एहि पापाचार मे ओतबे संलिप्त छथि, कारण चुनाव प्रचार केर पोस्टर आ जिंगल सीडी सब सेहो मैथिली भाषा मे अपनो नहि बनबैत छथि। जखन स्वयं घरक संतान मे द्रोहक भावना रहत, तऽ सरकार एहि भाषा पर कोना नहि डांग मारत। जरुरत छैक जे जनभावना मे निजभाषा प्रति सम्मान बढय, तखनहि एकर कोनो समाधान भेटत। एहि लेल विशेष जागरुकता अभियान केर आवश्यकता छैक।
विश्वास होयत वा नहि, जाहि शारदा सिन्हा केँ मैथिली लोकगीत एकटा पहिचान दय स्थापित गायिका बनौलकनि, ओ खुलेआम अपना केँ भोजपुरी भाषी कहि सम्मानित महसूस करैत छथि। स्वयं शिक्षाक विशेष श्रृंगार सँ संपन्न श्रीमती सिन्हा समान आरो कतेको मिथिलाक संतान देखल गेल अछि जे भोजपुरी केर बाजारू लहक-चहक मे अपना केँ विशेष सम्मानित पबैत छथि। तहिना, सामाजिक संजाल केर क्षेत्र मे अधिकांश मैथिल अपना केँ ढेर होशियार मानैत प्रोफाइल पर भाषाक जानकारी मे गर्व सँ भोजपुरी लिखल देखबैत छथि। मानैत छी जे अहाँ अपन भाषा मे कनेक बक्रता आनि लेब तऽ भोजपुरी बाजनिहार मे नाम लिखा जायत, लेकिन एना जँ अपन अस्मिता सँ आत्मगौरवकेर बोध होयबाक ठाम पर हीनताबोध केर बीमारी होयत तऽ मैथिली केँ मृत कहबा मे कोन दिक्कत! मनन करबा योग्य बात छैक जे शिक्षित होयबाक प्रदर्शन करबा मे प्रथम बात यैह भऽ गेलैक जे अपन धिया-पुता सँ पर्यन्त लोक अपनहि भाषा मे नहि बात कय आत्महंता बनि रहल अछि। उदाहरण सोझें मे छैक, जे मैथिलीभाषी आइ सँ सैकड़ों वर्ष पूर्व मुगलकालीन राजधानी आगरा व आसपास रोजगार करय लेल गेल छला, से आइ अपन भाषा आ संस्कृति केँ बिसैर गेलाक कारण नाम मे टाइटिल लगाबैत फेर सँ मैथिल बनबाक प्रयास कय रहला अछि। इतिहास गवाह अछि जे आइ सँ किछुए सौ वर्ष पूर्व नेपाल नेवारी राजा प्रताप मल्ल केर शाही समाज मे सम्मान पाबि रहय लगलाह, ओ आइ नेपाल मे नेवारी बनिकय रहि गेलाह आ हुनकर मैथिली भाषा राजाक राज्य नेपाल केर राजभाषा सँ खसैत-खसैत आइ दोसर राजभाषाक सम्मान तक संविधान द्वारा नहि पाबि सकल। हँ, तखन तऽ नेपाल मे मैथिली प्रति समर्पण जनमानस मे ततेक छैक जाहि सँ मैथिली आपरूप प्रगति कय रहल अछि आ संचार सँ लैत राजकाज मे पर्यन्त एहि भाषाक अलगे सम्मान छैक। लेकिन भारत मे मैथिली संग विद्वेष घर सँ लैत बाहर धरि भऽ रहल अछि जे चिन्ताक विषय थीक।