विशेष सम्पादकीय
विगत किछु समय सँ नेपालक आम जनमानस मे भारत द्वारा ‘अघोषित नाकाबन्दी’ केर बात कहि मनक भीतर मे एकटा घाव देल जा रहल अछि। एहि कार्य मे नेपालक मीडिया तथा राजनीतिकर्मीक पैघ हिस्सा एक संग शामिल छथिये, बहुतायत राजनीतिक विश्लेषक आ पूर्व राजनयिक लोकनि सेहो वर्तमान भारतीय असन्तुष्टिक विज्ञप्ति सबहक व्याख्या अत्यन्त कपोलकल्पित आ स्वनिर्मित तथ्यक आधार पर करैत देखाइत छथि। स्थिति मे तनातनी स्पष्ट रूप सँ देखाइत छैक, कारण क्रियाक प्रतिक्रिया होयब दुनू दिशि सँ स्वाभाविक छैक, तहिना भेनाइयो शुरु भऽ गेलैक अछि।
कतए सँ स्थिति बिगड़ब शुरु भेल?
नेपाल मे संविधान घोषणा करबाक समय निर्धारित कय देल गेलैक, लेकिन असन्तुष्ट पक्ष केँ वार्ता मे बिना सहभागी केने आ ओकरा सबहक माँग पर बिना समुचित सुनबाई केने। भारत द्वारा बेर-बेर कहलो गेलाक बावजूद नेपाल सत्तापक्ष आ संविधान सभाक बहुमत केर स्वामी नीति-निर्माता लोकनिक लापरवाह अन्दाज सँ मधेश मे कैल जा रहल आन्दोलन केँ पूर्ण रूप सँ लावारिस छोड़ि देल गेलैक। बरु गृहमंत्री आ मातहत केर अधिकारी – सुरक्षा निकाय आदि द्वारा स्थानीय शासन अधिकार केर नियम-उपनियम सँ सुरक्षा व्यवस्था केँ अपना हिसाबे तन्दुरुस्त राखैत मधेशी आन्दोलन केँ गोली सँ दमन करबाक नीति आख्तियार करैत बस ओहिना छोड़ि देल गेलैक। अपन जिद्द केँ स्थापित करबाक लेल देशक भविष्य सँ पर्यन्त खेलबाड़ करैत मधेशी आ पहाड़ी समुदाय बीच सदा-सदा लेल एकटा मतभेद आ अन्तर्मनक घाव केँ आरो नह सँ खोंटिकय छोड़ि देबाक काज कैल गेलैक जाहि सँ स्थिति संविधान घोषणा भेलाक बाद आरो भयावह आ तनातनी समान बनि गेलैक। भारतक सुझाव केँ एना बेवारिस छोड़ैत देखि सबसँ पैघ सहयोगी मित्रराष्ट्र केर दु:खी होयब जायजे छैक, प्रतिक्रियास्वरूप किछु तऽ पाठ सिखेबाक काज कैल जेतैक, ओ संभावित रहैक, तहिना भेलैक। भारत द्वारा मधेश-तराई क्षेत्र मे व्याप्त अशान्ति दिशि आंगूर उठबैत आ अपन सुझाव केँ बेवास्ता करबाक बात मोन पारैत आगाँ आपूर्ति व्यवस्था केँ यथावत् कायम रखबा मे असुविधा देखबैत इशारा कय देल गेलैक जे आगाँ भारतीय परिवहन कंपनी कोनो रिस्क नहि लेत आ नेपालक आपूर्ति व्यवस्था एहि तरहें लड़खड़ा जायत। एहि विज्ञप्तिक समय केर संग-संग आन्दोलनकारी द्वारा सेहो भंसार नाका आ राजमार्ग मे बन्दी कड़ा करबाक घोषणा सँ वैह भेलैक जेकर डर नेपाल मे सब दिन बनल रहैत छैक। एकटा भूपरिवेष्ठित राज्य आ ताहू मे लगभग शत-प्रतिशत आपूर्ति भारतीय पारवहन समझौता अनुरूप होयब, बुझू जे भारतहि सँ होयब, वैह चरमरा गेलैक। आइ एहेन स्थितिक सेहो करीब पाँचम दिन होमय जा रहलैक अछि, आन्दोलनकारी द्वारा नाका-नाका पर धरना बैसि गेला सँ भारतीय क्षेत्र मे नेपालक सामान लोड केने परिवहन साधन सब यत्र-तत्र ठाढ छैक। भारतीय कस्टम अधिकारी द्वारा पर्यन्त ओकरा पासिंग अथरिटी नहि देल जा रहलैक अछि, कारण ओकर जानक सुरक्षाक दायित्व भारत सरकार पर छैक। अशान्तिक माहौल मे भारतीय परिवहन केर साधन-सवारी संग कोनो दुर्घटनाक पूरा जिम्मेवारी सरकार पर औतैक आ वर्तमान समय बिहार मे चुनावक माहौल सँ कियो कोनो खतरा अपना माथ पर लेमय नहि चाहैत अछि। भारत सरकार आ ओकर नुमाईंदा सब तऽ चुप्पे रहैक, मुदा जखन नेपालक तराई-मधेश मे नेपाली पूलिस द्वारा माथ आ छाती मे गोली ठोकैत आ निर्दयता सँ घर-घर पैसिकय आन्दोलनकारी पर जुर्म करैत देखल गेलैक, जे समाचार सोशियल मिडियाक मार्फत भारतहु मे जन-जन धरि पहुँचि गेलैक, तेकर बादे भारत अपन विशेष दूत पठबैत बीच-बचाव करैत सब पक्ष केँ संतुष्ट करैत संविधान घोषणा करबाक अनुरोध नेपाल सरकार सँ कएने रहैक। मुदा नेपाल सरकार आ संविधान सभा मे तथाकथित ‘दुइ-तिहाई बहुमत’ केर दंभ नंगा नाच कय रहल छलैक, आ भारतीय प्रधानमंत्रीक विशेष दूत डा. एस. जयशंकर केँ कोनो सम्मान देने बिना संविधान घोषणा करबाक जिद्द केँ पूरा कैल गेलैक। यैह कारण छैक जे सर्वथा सहयोगी मित्रराष्ट्र मजबूर होइत अपन प्रतिष्ठा केँ बचेबाक लेल नेपाल देश केर अशान्ति धरि अपन सीमा प्रशासन केँ अत्यन्त संवेदनशीलता सँ कार्य करबाक आदेश जारी कए देलकैक, जेकरा नेपाल मे ‘अघोषित नाकाबंदी’ सँ कूप्रचार कैल जा रहलैक अछि।
समस्याक वर्तमान स्वरूप कि आ तेकर समाधान कि?
नेपाल-भारत केर संबंधमे कोनो एहेन समस्या नहि छैक जाहि लेल एतय अनेरौ मे हाय-तौबा मचल छैक, वा मचायल जा रहल छैक। बात दुइ पाँति मे साफ छैक जे नेपाल सरकार अपन देशक भीतर जे अशान्ति आ असन्तोष केर लहैर छैक तेकरा संबोधन करय आ अपन देशक भीतर शान्ति-शासन केर व्यवस्था कायम करय। हाँ, ताहि लेल छाती-माथा मे गोली ठोकि आ घर-घर पैसिकय बहु-बेटीक इज्जत सँ खेलबाड़ करैत पूलिस-सेनाक दुरुपयोग कय नहि, बल्कि राजनीतिक समस्यका समाधान राजनीतिक तौर-तरीका सँ करय, यैह आन्तरिक इच्छा भारतक रहलैक अछि, जाहि लेल भारत हरेक कूटनीतिक प्रयास सँ नेपाल केँ अवगत करबैत आबि रहलैक अछि।
समस्या मूलत: मधेशवादी द्वारा कैल जा रहल आन्दोलन सँ छैक – आन्दोलनक जायज माँग केँ संविधान मे संशोधन करैत समाधान करबाक बात लगभग सब राजनीतिक दल आ नेता कय रहलैक अछि। मुदा कि जायज, कि नाजायज, कहिया संशोधन, कहिया समाधान – ताहि दिशा मे कोनो ठोस पहल नहि उठलैक अछि एखन धरि। बस खाली बयानबाजी आ खाली आश्वासन टा चारूकात देखल जा रहल छैक। आन्दोलनकारीक तरफ सँ वार्ता करबाक लेल पूर्व शर्त केँ एकाएक पूरा नहि कय धीरे-धीरे कोहबर केर कनियां जेकाँ रूसल दूलहा मनेबाक चालि मे माँग केँ पूरा करबाक समान जिम्मेवार पक्षक जबाब भेट रहलैक अछि, तहिना आन्दोलनकारी सेहो अपन मान-सम्मान कनिको कम नहि हुअय ताहि जिद्द केर संग ओहि कोहबरक कनियां द्वारा स्वयं घोघ उठेबाक इन्तजार कैल जा रहलैक अछि। समाधान मे एतबे दूरी छैक, रूसल दूलहा आ कोहबर केर लजौनी कनियां – दुनू पक्षक बीच मे कियो न आबि रहलैक अछि न एबाक प्रयोजन देख रहलैक अछि।
एहि वर-कनियां केर मिलान होयबा समय धरि नेपालक मिडिया आ राजनेता सब अनेरौ मे भारत पर अपन ठिकरा फोड़बाक काज कय रहलैक अछि। सरोकार आ दरकार कतय रहल, ओतय नहि बाजि अपन झूठक आत्मसम्मान लेल भारत केँ बीच मे लिर्हियेबाक प्रवृत्ति – ई कतहु सँ जायज नहि छैक। समाधान लेल सीधा सरकार आ आन्दोलनकारी असन्तुष्ट पक्ष बीच वार्ता टा उपाय छैक, जे करब शीघ्रातिशीघ्र जरुरी छैक। बस!
नेपाली जनता केँ भारत विरुद्ध उकसेबाक प्रयोजन कि?
नेपाल सँ मंत्रीजी काल्हि दिल्ली जेता, ओ भारत सँ वार्ता करैत आपूर्ति सहज बनेता। नेपाली अर्थमंत्री चीन सँ बात कय लेला, चीन सेहो अत्यावश्यक सामान केर आपूर्ति करबाक लेल नेपाल सँ वादा केलक। चीन द्वारा आपूर्ति सहज बनेबाक लेल चिनियां नाका खोलबाक काज सहज बनायल जायत। कोनो मंत्री जी हवाईजहाज सँ ईंधन आनिकय देश मे आपूर्तिक अवस्था सहज बनौता। कियो कहि रहल अछि जे नून आ चीनी केर मौज्दात अत्यधिक अछि, चिन्ताक कोनो बाते नहि। नेपाली जनता भूखे रहि जायत, मुदा भारतक हेकड़ीक आगाँ नहि झूकत। नीक-नीक समझदार लोक सब सेहो भारत प्रति नकारात्मक सोच केर विकास करैत ‘नेपाल केर स्वाबलंबी’ बनबाक बात करैत देखा रहल अछि। अनावश्यक चिन्ता मे डूबल अछि जनता – कारण देश मे तेल लेल हाहाकार मचि गेलैक अछि। जोरी-बिजोरी नियम सँ गाड़ी चलाबय जनता, यातायात व्यवस्था घोषणा कए देलकैक। अर्थात् एक दिन जोडी अंकक नंबरवला गाड़ी चलत तऽ दोसर दिन बेजोडी अंकक नंबरवला गाड़ी चलत। एहि तरहें गाड़ीक संख्या कम भेला पर तेलक आपूर्ति समुचित आ स्थिर रहत। यैह परिस्थिति एहि तथाकथित ‘अघोषित भारतीय नाकाबंदी’ सँ देश मे बनि गेलैक अछि। भारत द्वारा बेर-बेर स्पष्टीकरण देलाक बादो नेपाली राजनेता सब मे अचानक गंभीर राष्ट्रवाद जागि गेलैक अछि आ एहि बेर आर-या-पार हेब्बे करतैक। तैँ, मधेशवादी दल आ असन्तुष्ट पक्ष सँ वार्ता करबाक लेल देशक भीतर प्रयास नहि हेतैक, वा धीरे-धीरे अपना मनमाफिक हेतैक।
जखन भारत द्वारा कोनो तेहेन घोषणा नहि कैल गेलैक, बस आन्तरिक मिलापत्र लेल एकटा रास्ता देखायल गेलैक, तखन एना असंतोष आ अशान्ति कियैक? आपूर्ति सहज बनेबाक लेल भारतीय पक्ष सहर्ष सहयोग कय रहलैक अछि तखनहु एना कूटनीतिक स्तर मे स्थिति अपने असहज बनेबाक कोन औचित्य?
भारत प्रति एना पसारल जा रहल गलत प्रचार आर आर्थिक नाकाबन्दी केर बातक चलते देशक नागरिक सब मे असंतोषरूपी जहर पसैर रहलैक अछि, ई जहर नेपाल केर वास्ते दूरगामी समय मे बेसी समस्या उपजाबयवला देखाइत छैक। सत्य-तथ्य केँ नुकाकय भारत ऊपर दोष लगेनाय, भारतीय विदेश नीति आर कूटनीति ततेक कमजोर वा अस्थायी स्तरक कहियो नहि देखायल… ताहि हेतु नेपाल भितर रहल मधेश केन्द्रित राजनीति दल सबहक असन्तुष्टि केँ सीधा संबोधन करबा दिशि नेपाली राजनीतिकर्मी व सत्ता-संचालक सबकेँ ध्यान जाएब परमावश्यक अछि।
भारत बेर-बेर एतबे कहलक अछि आर भारतक जिज्ञासा ओकर अपन सुरक्षा मे निहित रहबाक बात नेपाली पक्ष द्वारा बुझबाक चाही। तराई-मधेशमे रहल अशान्ति केँ सीधा संबोधन नहि कय हावाताल मे भारत ऊपर दोष देब दुइ मुलुक बीच स्थापित आध्यात्मिक मित्रता ऊपर छद्म नेपाली राष्ट्रवादकेर राजनीति सँ आखिर नोकसान केकर होयत, सेहो विचारब जरुरी अछि। विचारू आ तखन कार्य करू! खोखला राष्ट्रवाद केर बात करब आर भारत केँ तथानाम गाइर – कलंक देबाक कोनो औचित्य कतहु सँ नहि देखाइत अछि। देशवासी सँ अपन कमजोरी नुकेबाक लेल एना हावाताल बात करब बन्द करैत संविधान घोषणा करबाक बात मे मधेशी आम जनमानस केँ विश्वास मे लैत सान्त्वना देब नीक होयत। दुइ-तिहाई बहुमत केर दंभ पूलिसिया गोली आर सेनाक धमास द्वारा नहि समेटू! जनताक भावना बुझैत राष्ट्रीयता केँ आरो बलगर बनेबाक लेल सबहक माँग केर संबोधन करू। भारत अपनहि शान्त अछि, शान्त रहत।