विलक्षण परंपरा: बनगाँव केर बाबा बैद्यनाथधाम कीर्तन समिति

प्रसेनजीत झा, बनगाँव (सहरसा)। सितम्बर २६, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

बाबा बैद्यनाथ धाम कीर्तन समिति, बनगाँव द्वारा शिव भक्ति सँ ओतप्रोत एक आर डेग

bangaw kamariya haridwarगोस्वामी लक्ष्मीनाथ केर कर्मभूमि गौरवशाली बनगाँव केर महान पारम्परिक भादो मासिक कीर्तन जग विदित अछि। सन् 1953 सँ आय धरि गामक कमरथुवा बाबा बैद्यनाथ केर अभिषेक लेल, गंगाजल सुल्तानगंज मे भरैत कामर चढबैत छलाह। मुदा एहि वर्ष कीर्तन समिति केर मुख्य सदस्य सभक द्वारा गंगाजल देवभूमि हरिद्वार (हर की पौड़ी) सँ भरैत ओतहि सँ महान् पैदल कामर सहित यात्रा करैत श्री श्री १०८ श्री रावणेश्वर कामनालिंग केर पूजा-जलाभिषेक करबाक निर्णय केलनि अछि।  
एहि यात्रा मे शिव केर अनन्य सेवक लोकनि श्री श्याम झा, श्री टुनटुन खान, श्री फेकन मिश्र, श्री अमर झा, श्री भगवान् जी झा, श्री महेंद्र जी आर बहुते गोटा सहभागी छथि। बनगाँव निवासी बच्चा-बच्चा लेल ई महान् पैदल कामर यात्रा अत्यन्त हर्खक विषय भेल बतबैत छथि गामक बुजुर्ग सज्जनवृन्द लोकनि। बाबा बैद्यनाथ सब ग्रामवासी पर दयादृष्टि बनेने राखथि। बाबा बैद्यनाथ पर सुरत धरू – बोलबम – बस एतबे नारा सँ सारा गाम गुंजायमान अछि। बाबा केर सेवक लोकनि एहि ऐतिहासिक पैदल यात्रा मे चारि प्रांत केर भ्रमण करैत बाबाक नगरी पंहुचता, शुरुआत उत्तराखंड सँ करैत उतरप्रदेश, बिहार आर झारखंड केर बाट होइत महीनों समय खर्च करैत ई यात्रा पूरा कैल जायत। विदित हो जे ई बाट आइयो ओहने दुर्गम अछि जेहेन दुर्गमता कहियो मात्र १०५ किलोमीटर अजगैबीनाथधाम (सुल्तानगंज) सँ बाबाधाम केर छल।
बाबाधामक यात्रा १९५३ ई. सँ होइत रहल अछि
1953 ईस्वी सँ स्व पंडित श्री कमलाकांत झा केर नेतृत्व मे बैद्यनाथ धाम केर भादो मासिक यात्रा केर प्रारम्भ भेल। बाबाधाम केर पहिल यात्रा मे सुखदेव ठाकुर, रूदो खां, फूल खां, दया खां सहित अन्य 3 ग्रामीण भाग लेने छलाह। 1953-1963 धरि बैद्यनाथ धाम यात्रा काफी कष्टदायक छल, नहि ठहरबाक कोनो सराय केर इंतजाम, नहि चलबा योग्य रस्ता और नहिये खेबा-पीबाक कोनो समुचित व्यवस्था छल ताहि समय मे। सुखदेव ठाकुर जी केर स्मरण अनुसार बाबाधाम केर मार्ग मे झरना और नहर केर पानि पीबिकय, पर्वत, पत्थर पर कूदैत-फाँगैत, जंगल सँ लकड़ी बीछकय खाना बनेबाक आर विभिन्न प्रकारक दुःख-कष्ट झेलैत ई यात्रा पूरा कैल जाइत छल। कान्ह पर कामर केर बोझ, थौआ-थकुचायल पयर, लहूलुहान दशा… बस भक्त कामरिया लोकनि थोपड़ी मारैत बोलबम-बोलबम केर जोरदार नारा लगबैत बाबा बैद्यनाथ केर नगरी पंहुचैत छलाह।
कालान्तर मे बाबा बैद्यनाथ केर प्रसिद्धि सँ कांवरियाक वास्ते समुचित व्यवस्था सब होइत चलि गेल, सरकार द्वारा नागरिक केर हित हेतु समुचित व्यवस्थापनक क्रमश: विकास होइत रहल। आब बाबाधाम पैदल यात्रा सुखद यात्रा में परिणति पाबि गेल अछि। आरम्भ मे थोपड़ी बजेबाक और गीत गाबिकय हरेक निर्धारित चोटी आदि पर रूकिकय कीर्तन करैत बाबाक दरबार धरि यात्रा केँ कांवरिया लोकनि पूरा करैथ। 
1953-1960 ईस्वी धरि थोपड़ी आ भजन गबैते रस्ता कटैत रहल छल। 1960-1970 ईस्वी मे चमारक ढोल और शहनाई केर धुन संग, 1970-1980 ईस्वी मे अंग्रेजी बैंड बाजा केर संग, 1980-1990 ईस्वी मे कीर्तन समिति केर विस्तार होइत रहल और फलतः ढोलक और झालि केर संग बाबाक गुणगान होइत रहल। 1990-2010 ईस्वी तक गामक अधिकतर लोक सब बाबाधाम जाय लगला और हारमोनियम, नाल, ढोलक, झालि केर संग भिन्न गायन-वादन केर साज-सज्जाक संग ई परंपरा प्रखरता पबैत चलि गेल। बनगाँव केर ओजस्वी स्वर साधक कमरथुवा श्री कमलाकांत झा केर नेतृत्व मे अपन पारम्परिक कीर्तन केर भलीभांति निर्वाह 2010 केर दशक धरि करैत रहला। बाद मे बैद्यनाथधाम कीर्तन समिति केँ श्री कमलाकांत झा केर स्वर्गारोहण सँ अपूरणीय क्षति भेल। तथापि हुनका बाद श्री सुखदेव ठाकुर केर मार्गदर्शन मे श्री शंकर नारायण झा द्वारा बाबा बैद्यनाथ धाम कांवरिया सेवक सह संयोजक केर रूप मे कार्यभार सम्भारल गेल। 2010 के बाद बैद्यनाथ मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर परिसर मे ख्याति प्राप्त गायक लोकनि कतेको बेर कीबोर्ड, नाल, ड्रम आदि सँ भजन कीर्तन केर भव्यतम् प्रस्तुति देल गेल। परंतु परम्परा अनुसार सुल्तानगंज सँ गंगाजल भरलाक बाद कमरथुवा केर पड़ाव जाहि चट्टी पर होइत छल, ओतय भजन कीर्तन केर सेहो भव्य आयोजन कैल जाइत छल। एहि तरहें बाट भरि मे लगभग सब निर्धारित पड़ाव चट्टी पर कमरथुवा द्वारा भजन कीर्तन कैल जाइत रहल अछि। 
यैह परम्परा आब सही ढंग सँ निर्वाह नहि भऽ पाबि रहल अछि और कांवरिया केर समूह सेहो कीर्तनक संग पूर्ववत् नहि रहि गेला अछि। फलतः भक्तगण बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर और बाबा बासुकीनाथ प्रांगण पर आयोजित कीर्तन टा केँ आब प्रधानता देल जा रहल अछि। गायक लोकनि सेहो अपन स्वर केँ सुसज्जित करबाक लेल मार्ग मे माइक या लौडस्पीकर बिना कीर्तन करब सही नहि मानैत छथि। भौतिक युग धर्मानुसार वो भी सही है । एहि तरहें उपरोक्त स्तिथि केँ देखैत बाबा बैद्यनाथ धाम कीर्तन समिति एहि बेर एक नव प्रयोग रूपी पहल करबाक विचार करैत यात्राक रूप मे परिणति अनलक।
bangaw rathबाबा बैद्यनाथ सह नीलकंठ जयकारा रथ – एकर तात्पर्य ओहि वाहन सँ अछि जे कि आधुनिक साउंड (mini DJ ) सँ लैस होयत, और कांवरियाक संग‍-संग बनगाँव से देवघर लेल रवाना होयत। ई रथ मार्ग केर निर्धारित पड़ाव पर रुकत आर परम्परा अनुसार कीर्तन कैल जायत, रथ पर माइक, साज, साउंड सिस्टम सुसज्जित होयत। ताकि परम्परानुसार धूमधाम सँ शिवगान कैल जा सकय, पुनः कीर्तन केर बाद ई रथ कांवरिया केर संग बाबा केर भजन केर रेकार्डिंग बजबैत देवघर लेल प्रस्थान करत। एखन जयकारा रथ पर नियार टा कैल जा रहल अछि।