नेपालक संविधान, आन्दोलन आ भारतक स्थिति

madhesh processionविगत किछु समय अत्यन्त नाटकीय ढंग सँ नेपाल मे घटनाक्रमक चक्र चलैत देखायल।

एक तऽ मौसम खराब, ताहि पर सँ नेपाल मे बदलैत राजनीतिक मौसम…. हर तरहें अपना आप पर नियंत्रण राखब टा आवश्यक बुझैत छी।

संविधान अन्तिम रूप मे घोषणा कय देल गेल, लेकिन ५०% जनसंख्या कहेनिहार मधेशी (नेपालक तराई भूभाग जे भारतक लगभग १८५० किलोमीटर सीमा सँ जुड़ल अछि तेकरा नेपाल मे मधेश कहल जाइत अछि आ निश्चित रूप सँ एहि क्षेत्र मे बसोवास कएनिहार केँ मधेशी कहल जाइत छैक) केर आवाज केँ नहि सुनल जेबाक आरोप सँ देश मे सौहार्द्रताक वातावरण नहि अछि।

हिसाब सँ देखल जाय तऽ मधेशीक वोट सँ चुनिकय गेल सभासद द्वारा संविधान बनेबाक दाबी करैत अछि सत्ताधारी राजनीतिक गठबंधन – जखन कि मधेश नाम जोड़निहार मुदा चुनाव मे नकारल गेल शक्ति एहि दाबी केँ खारिज करैत कहैत अछि जे ‘बस गानल किछेक शासकवर्गीय नेतृत्वकर्ता अपन जिद्द सँ – मनमानी ढंग सँ प्रदेशक सीमा निर्धारण सँ लैत निर्वाचन क्षेत्र आदिक निर्धारण तथा नागरिकता देबाक निर्णय करैत मधेशी, थारू, आदिवासी, जनजाति, मुसलमान आदि सीमान्तकृत जनमानसक आवाज केँ संविधान मे नहि समेटलक’।

बात होइत छैक २१म शताब्दीक, बात होइत छैक जनादेशक – मुदा सत्ताधारी आ विपक्षी बीच एतेक गहिंर दूरी रहैत छैक जे एक महीना सँ ऊपर सँ ‘बन्द-हड़ताल’ चलि रहलैक अछि, मुदा दुनू पक्ष बीच वार्ता तक नहि भऽ पबैत छैक। सबहक अपन-अपन अड़ियल रवैया सँ जनमानस घून जेकाँ पिसा रहल अछि। सत्ताधारी पर राज्य संचालनक मुख्य जिम्मेवारी रहैत छैक, कोनो प्रकारक जटिलता केँ भंग करैत आम जनमानसक सुख-सुविधाक गारंटी करबाक लेल ओकरे सब पर जिम्मेवारी छैक। मुदा आरोप केँ सही प्रमाणित करैत खोखला-ढकोसला बनावटी बातहि सँ विपक्षी हड़ताल कएनिहार पक्ष केँ वार्ता लेल आवाहन करब, मुदा वार्ता सँ पूर्व कोनो शर्त स्वीकार नहि करब, उनटे गोली-लाठी सँ आन्दोलन केँ दमन करब ई सोच बनायब, सेना परिचालित करैत स्थिति नियंत्रित कय लेब मुदा आन्दोलनकारीक सोझाँ नहि झूकब…. बस यैह अड़ियलपनी मे नेपालक नव संविधान घोषणा होयबाक खुशी मानू कतहु एम्हर-ओम्हर हवे मे हूर्र भऽ गेल।

भारतक पहल पर वार्ता करबाक बात केँ पर्यन्त ठुकरायब, जखन कि भारत केर सहयोग नेपालदेश लेल प्राणदाताक कार्य करैत अछि…. आब एहि कृतघ्नताक कि जबाब? भारतीय प्रधानमंत्री व कूटनीति नेपालक आन्तरिक मामिला मे हस्तक्षेप जेकाँ संसारक अन्य अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय तथा नेपाली जनमानस मे नहि जाउक ताहि सँ कोनो डेग शुरुए मे नहि उठायल गेल छल, मुदा अन्त मे जखन संविधान घोषणा करबाक मनमानीपूर्ण आ जबरदस्ती उपाय सहित नेपाली सार्वभौम संविधानसभा द्वारा निर्णय लेल गेल तखन प्रधानमंत्री मोदीक विशेष दूत डा. एस. जयशंकर केर नेपाल आगमन भेल, उच्चस्तरीय भेंटघांट भेल आ आन्दोलनकारी केँ सेहो प्रक्रिया मे समेटबाक लेल अनुरोध कैल गेल। मुदा डाकवचन मुताबिक देशक हित मे अडान लेनिहार तथाकथित राष्ट्रवादी नेता लोकनि पर बिपरीत बुद्धि हावी रहल आ दूतक तिरस्कार करैत अपन मनमर्जी संविधान घोषणा टा कैल गेल, वार्ता करैत आन्दोलनकारी-असन्तुष्ट पक्ष केँ समेटबाक कोनो गंभीर प्रयास नहि भऽ सकल आ परिणाम सोझाँ अछि। देशक आधा आबादी संविधानक स्वागत मे राज्यक आह्वान पर दीपावली मनबैत अछि, दोसर दिशि आधा आबादी मनमानी ढंग सँ संविधान थोपनिहारक सम्मत जरबैत अछि, प्रशासन द्वारा दमनमूलक कार्रबाई सँ मधेशक धरतीकेँ खूनम-खून कैल जाइत अछि। सबसँ अफसोसक बात जे जनमानस मे पर्यन्त मधेशी-पहाड़ी दुइ अलग राष्ट्रीयता होयबाक आशंका केँ राज्य-प्रायोजन द्वारा संस्थागत रूप सँ स्थापित करबाक कार्य कैल जाइछ, दुष्परिणाम भले वर्षों-वर्ष धरि देश भोगैत रहय।

अन्त मे भारत द्वारा किछु कड़ा कार्रबाईक संकेत भेटैत अछि। भारत अपन हितचिन्तन लेल नेपाली सीमाक्षेत्र मे व्याप्त तनाव सँ उपैज रहल अशान्तिकेँ नियंत्रण करबाक लेल अपन संयंत्र केँ उपयोग मे अनबाक नीति सब पर कार्य प्रारंभ करैत अछि। लगभग ७०% सीधा आ ९५% सकल आपूर्ति भारतीय मार्गक उपयोग सँ नेपाल लेल होइत अछि, भारतीय परिवहन कंपनी आब एहि क्षेत्र मे सेवा देबाक लेल तैयार नहि अछि कहल गेल अछि। सच्चाई सेहो यैह छैक जे तराई क्षेत्र मे पूलिस एस्कर्टिंग द्वारा ओहि गाड़ी सबकेँ भंसार (कस्टम) सँ गन्तव्य धरि पहुँचेबाक आइ महीना भैर सँ कार्य कैल जा रहलैक अछि। आन्दोलनकारीक छूटभैया नेता सब अपन जमीर बेचिकय ओहि गाड़ी सबकेँ छोड़बाक लेल लेवी असूलैत येन-केन-प्रकारेन कार्य करय दैत छैक, मुदा ताहू मे कतेको रास ग्रुप छैक, एकटा छोड़लक, दोसर पकड़लक, तेसर तोड़फाड़ केलक… तखन स्थिति अनियंत्रित होयबाक कारणे भारतीय सरकारक चिन्ताकेँ बढबैते छैक।

आब तऽ नेपालक अपनो जनमानस मे संविधान घोषणा आ मधेशी-थारूक आन्दोलनक विषय एकटा गंभीर विषय बनिकय सोझाँ आबि गेलैक अछि। राज्य पर जिम्मेवारी आरो बढि गेलैक जे आखिर नव संविधान घोषणो केला पर अशान्तिक अन्त जँ नहि भेलैक तऽ फेर देश खुशी कोना मनाबय। दीपावलीक चमक-दमक कि केवल एक सांझक छलैक? नेतृत्व कएनिहार केँ विवेकशील बनबाक आवश्यकता छैक। समाधान लेल वार्ता आ वार्ता लेल माहौल – खाली बात नहि!!