विशेष संपादकीय
२० सितम्बर नेपाल केर नव संविधान घोषणा कैल जायत। राष्ट्रपति केँ आमंत्रण कैल जा चुकल अछि। राष्ट्रपतिक आनाकानी केलाक बादो संविधान सभा अपन शक्ति आ जनादेशक भरपूर लाभ उठबैत बाकायदा विधेयक पारित करैत संविधान घोषणा करबाक लेल तारीख, समय आदि निर्धारित करैत राष्ट्रपति केँ संविधान सभाभवन अयबाक बात कहि चुकल अछि।
संविधानक प्रक्रिया सँ बाहर भेल मधेशवादी राजनीतिक शक्ति सहित थारू-केन्द्रित आन्दोलनकारी केँ वार्ता लेल बेर-बेर आमंत्रित कैल जा रहल अछि, मुदा आन्दोलनकारीक कहब अछि जे ई औपचारिकता ढकोसला मात्र छी। आन्दोलनकारीक आरोप कतहु न कतहु सच बुझाइत अछि, कारण टीकापुर मे भेल प्रहरी-सुरक्षाकर्मीक नृशंस हत्या आ तेकर बाद पूलिस द्वारा अंधाधुंध फायरिंग सँ दर्जनों निर्दोष नागरिकक हत्या – सेनाक परिचालन आ आन्दोलन केँ दमन करबाक लेल हर उपाय केँ अपनाबैत सत्ताधारी नेता लोकनिक कूबोल सब सुनैत यैह प्रमाणित होइत अछि जे नेपाल मे एखनहु ईमानदारी सँ संघीयताक स्थापित करबाक मनसाय कम आ कामचलाऊ अग्रगामी निकास टा निकालबाक नियत बेसी हावी अछि।
टीकापुर मे एकटा अबोध बालक केर हत्या भेल छल। करीब ९ जन पूलिसकर्मीक हत्या भेल छल। मानवअधिकारवादी सबहक रिपोर्ट द्वारा ई भेद खूजल जे ओत्तहु भीड़ केँ उकसेबाक काज प्रहरी द्वारा पहिने फायर खोलैत कैल गेल छल। तदोपरान्त मधेश आ थरुहट केर आन्दोलन मे हिंसाक बाट अपनेबाक आरोप एकर महत्व केँ कम करैत देखायल छल। एतबा नहि, मधेश या थरुहट मे प्रहरी संग बेर-बेर हिंसक झड़प एतबे देखबैत छल जे आन्दोलन पर कोनो नियंत्रण नहि अछि। शान्तिपूर्ण आन्दोलनक नाम टा अछि, जखन कि हिंसाक बाट पर आन्दोलनकारी जाइत अछि, जाहि सँ पूलिसिया कार्रबाई मे कतेको निर्दोषजन मारल जाइत अछि। मुदा पूलिस द्वारा कैल गेल किछेक कार्रबाईक प्रकृति देखला सँ ई स्पष्ट होइत अछि जे मधेशी प्रति जे विभेद अछि ओ आइयो अन्त नहि भेल अछि। आब कौल्हके उदाहरण लेल जाय आ देखल जाय तऽ हाट-बाजार कय रहल लोक पर पूलिस द्वारा गोली चलेबाक कोन औचित्य छल? पूलिस प्रशासन केँ आत्मरक्षार्थ गोली चलेबाक नियम अछि, तखन एना घर-घर आ गली-गली पैसिकय ४ वर्षक अबोध बच्चा तक केँ शिकार करब… ई कोन मानसिकता केँ प्रदर्शन करैत अछि? ऊपर सँ देशक नेतृत्व पर दावी कएनिहार वरिष्ठ नेताक मुँह सँ ई निकलय जे किछु आम झैड़ रहल अछि, आखिर ई केहन राजनैतिक भविष्य केर तरफ देश केँ लय जा रहल अछि? तऽ कि नेपालक नेतृत्वकर्ता सच मे मधेशी केँ दोयम दर्जाक नागरिक मानि सौंसे नेपाल पर घृणा-राजनीति केर वीभत्स सांप्रदायिक दंगा भड़केबाक लेल उत्सुक छथि? एहि नृशंस पूलिसिया कार्रबाई पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सँ लैत न्यायपालिका पर्यन्त अपन राय एकरा रोकबाक लेल परमादेश पास कय चुकल अछि। तखन केकर जिद्द आ इशारा पर एहि तरहक अत्याचार आ कहर तोड़ल जा रहल अछि?
यैह किछु प्रश्नक संग हाल कैल जा रहल विश्लेषण मुताबिक आगामी संविधान घोषणा होयबा सँ पूर्वहि कलंकित भऽ रहल अछि जे मर्माहत करैत अछि। प्रक्रिया केँ रोकि वार्ता मे जेबाक बात भेल, दुइ दिनक समय देल गेल, मुदा आन्दोलनकारीक तरफ सँ देल गेल शर्त नहि मानब आ मनमानीपूर्वक अपन धौंस जमबैत ‘जनादेश’ केर नाम पर मनमौजी देखायब…. एहि शैली सँ हँटिकय गंभीरतापूर्वक पहल होयब जरुरी छल। संगहि, ईहो जरुरी छैक जे देल गेल समय मे संविधान केर घोषणा करू, मुदा एकरा कलंकक टीका सँ नहि विजयी-खुशी जनताक समर्थन सँ आगू आनू तखनहि देश प्रगतिक मार्ग पर अग्रसर होयत। आब समय ओना कम अछि, आन्दोलनकारीक विभिन्न माँग केँ संविधान मे समेटबाक नीति बहुत हद तक कारगर अछि, मुदा हत्या-हिंसाक बाट पर पूलिस प्रशासन केँ बढावा दैत जे सब कैल गेल अछि एकर दाग बहुत दिन धरि देश केँ अहित करत। वरिष्ठ नेता सबहक मुँह सँ जेहेन विभेदकारी कूवचन सब निकलल अछि एकर भुगतान आम नेपाली जनमानस मे सांप्रदायिक भेदभावक रूप मे नहि भुगतय पड़य यैह भय होइत अछि। सब पक्ष कनेक गंभीर बनि राष्ट्रक विकास प्रति संवेदनशील बनबाक आवश्यकता स्पष्ट अछि, ताहि दिशा मे सबहक समुचित ध्यानाकर्षण हो, ताहि अनुरूपे सहमति सँ समाधान निकलय ताहि लेल शुभकामना।