शिक्षक दिवस पर विशेष: विद्यागारा मिथिलाभूमिक स्मृति सहित

सन्दर्भ: शिक्षक दिवस – ५ सितम्बर

radhakrishnanसंपूर्ण भारत मे आजुक दिवस ‘५ सितम्बर’ शिक्षक दिवस केर रूप मे मनाओल जाइत अछि। बच्चहि सँ विद्या अध्ययन केनिहार बाल-बालिका मे आजुक दिवसक एक खास महत्व केँ बुझायल जाइत अछि। हमरा लोकनिक स्मृति मे विद्यालय मे बाँटल जायवला ‘शिक्षक दिवस विशेष टिकट’ आ ताहि लेल २५ पैसाक योगदान, शिक्षक प्रति समर्पित संस्कारक विकास आ शिक्षक केर जीवन कल्याण निमित्त विद्यार्थीवर्ग सँ संकलित कोष आदिक बात आइयो बनल अछि। कालान्तर मे शिक्षाक महत्व बढैत गेनाय मुदा व्यवसायीपन केर विकास सँ शिक्षक लोकनिक प्रति घटैत सम्मान – सरकारी विद्यालयक दिन-ब-दिन खसैत मूल्य आ गुणस्तर सँ आम जनमानस मे शिक्षक प्रति नकारात्मकताक बढैत भावना – शिक्षा, शिक्षक आ शैक्षणिक व्यवस्थाक अपसंस्कृतिक रूप मे गानल जा सकैत अछि। राजनीतिकर्ता द्वारा शिक्षा चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था मे पर्यन्त अनेकों छेड़छाड़ सँ ई दुष्परिणाम सोझाँ देखा रहल अछि। मुदा शिक्षाक महत्व दिन-ब-दिन बढल गेल आ ताहि लेल लोक मे खर्च करैत प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान सँ उच्च गुणस्तरीय सेवा प्राप्त करबाक प्रवृत्ति बढि गेल, तथापि व्यवसायीपन यानि उच्च मूल्य केर भुगतानी सँ शिक्षा प्राप्त करब तऽ ओतय शिक्षक केर ओ महत्व आ सम्मान नहि बनि पबैत अछि, ईहो अनुभूति आम जनमानस मे देखल जाइत अछि। आब तऽ शिक्षक आ छात्र-छात्रा बीच शासनाधिकार तक समाप्त अछि, अनुशासनहीनता ओहिना देखाइत अछि। तथापि, आजुक दिनक महत्व केँ छात्रवर्ग सहित समस्त अभिभावकवर्ग आ आम जनमानस बेर-बेर बुझय, ताहि परिकल्पनाक संग मैथिली जिन्दाबाद पर ई आलेख राखल जा रहल अछि जे आखिर ‘शिक्षक दिवस’ मनेबाक पाछाँ खास कारण कि छैक।

मिथिला संसारक विद्यागाराक रूप मे प्रसिद्ध छल। मुदा वर्तमान युग मिथिलाक छात्र हेतु पर्यन्त शिक्षा उपलब्ध करेबाक लेल बीमारीग्रस्त आ अभाव सँ भरल देखा रहल छैक। यैह मिथिलाक प्रत्येक विद्यालयक एकटा अपन इतिहास रहलैक अछि, ओतुका सरकारी विद्यालय आ सरकारी शिक्षक केर अवस्था देखि के नहि कनैत होयत। ई सब अव्यवस्था वर्तमान बिहार राज्य केर शिक्षानीति मे वोट-बैंक केर राजनीति सँ भेलैक अछि। एहि दिशा मे समाजक अगुआ सबकेँ सशक्त डेग उठेबाक चाही, नहि तऽ आगामी ५० वर्ष धरि एहि ठाम गरीब आ असहाय जनमानस मे अशिक्षाक प्रसार सँ भयानक त्रासदीपूर्ण अवस्थाक सृजना होयब तय अछि। एहि ठामक जनता केँ एहि दिशा मे जागब अत्यन्त जरुरी अछि आ राजनीति केर दूरगामी असैर बुझब सेहो जरुरी अछि, नहि तऽ एहि भयंकर शाप सँ एहि क्षेत्र केँ ऊबारब आसान नहि होयत।

शिक्षक दिवस वास्तव मे विश्व केर एक महान दार्शनिक, विचारक, शिक्षक, नीति-निर्माणक आ सर्जक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन केर जन्मदिवस केर अवसर पर मनायल जाइत अछि। डा. राधाकृष्णन केर जन्म आ जीवन पर चर्चा निचाँ करबे करब। एक शिक्षक केर रूप मे डा. राधाकृष्णन देश केँ प्रथम सेवा देलनि। तदोपरान्त अपन विशिष्ट लेखनी आदि सँ ओ भारतीय दर्शन केर प्रखर प्रवक्ता बनिकय संसार मे भारतदेशक नाम प्रकाशित केलनि। संगहि एक राजनीतिक विज्ञ केर रूप मे सेहो ओ देशक नीति-निर्माण आ भविष्यक परिकल्पनाकार बनि अपन जन्म ओ जीवन हेतु संपूर्ण अगुआवर्ग मे प्रतिष्ठित भेलाह। हुनकर समस्त प्रभावशाली योगदान केर कदर करैत भारत स्वतंत्रता प्राप्ति उपरान्त हुनकहि जन्मदिन केँ शिक्षकवर्ग प्रति आम जनमानसक समर्पण निर्माण हेतु ‘शिक्षक दिवस’ केर रूप मे मनायल जाय लागल।

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (५ सितम्बर १८८८ – १७ अप्रैल १९७५)

भारतक प्रथम उप-राष्ट्रपति (१९५२ – १९६२) और द्वितीय राष्ट्रपति सेहो रहला। ओ भारतीय संस्कृति केर संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक छलाह। हुनकर यैह गुणक कारण सन् १९५४ मे भारत सरकार द्वारा हुनका सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न सँ अलंकृत कैल गेल छल। हुनक जन्मदिन (५ सितम्बर) भारत मे शिक्षक दिवस केर रूप मे मनाओल जाइत अछि।

संछिप्त जीवनी:

सर्वपल्ली राधाकृष्णन केर जन्म दक्षिण भारतक तिरुत्तनि स्थान मे भेल छल जे चेन्नई सँ ६४ किमी उत्तर-पूर्व मे पड़ैछ। ओ भारतीय संस्कृति सँ ओतप्रोत एक प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक, उत्कृष्ट वक्ता और एक आस्थावान हिन्दू विचारक छलाह। ओ स्वतन्त्र भारत केर दोसर राष्ट्रपति छलाह। ताहि सँ पूर्व ओ उपराष्ट्रपति सेहो रहला। राजनीति मे आबय सँ पहिने ओ अपन जीवनक महत्वपूर्ण ४० वर्ष शिक्षक केर रूप मे व्यतीत केने छलाह। हुनका मे एक आदर्श शिक्षक केर सब गुण मौजूद छल। ओ अपन जन्म दिन अपन व्यक्तिगत नाम सँ नहि अपितु सम्पूर्ण शिक्षक बिरादरी केर सम्मानित करबाक उद्देश्य सँ शिक्षक दिवस केर रूप मे मनेबाक इच्छा व्यक्त केलनि जेकर परिणामस्वरूप आइयो पूरे देश मे हुनकर जन्म दिन (५ सितम्बर) केँ प्रति वर्ष शिक्षक दिवस केर नाम सँ मनायल जाइत अछि।

डॉ॰ राधाकृष्णन समस्त विश्व केँ एकटा शिक्षालय मानैत छलाह। हुनकर मान्यता छलनि जे शिक्षा द्वारे टा मानव मस्तिष्क केर सदुपयोग करब सम्भव अछि। ताहि लेल समस्त विश्व केँ एक इकाई बुझैते शिक्षाक प्रबन्धन कैल जेबाक चाही। एक बेर ब्रिटेनक एडिनबरा विश्वविद्यालय मे भाषण दैत ओ कहलखिन जे मानव केर जाति एक हेबाक चाही। मानव इतिहास केर सम्पूर्ण लक्ष्य मानव जातिक मुक्ति थीक। ई तखनहि सम्भव होयत जखन समस्त देश केर नीति केर आधार विश्व-शान्तिक स्थापना लेल प्रयत्न करब होयत। ओ अपन बुद्धिमतापूर्ण व्याख्या, आनन्ददायी अभिव्यक्ति और हँसेबाक तथा गुदगुदी लागयवाला कहानी सँ अपन छात्र सबकेँ मन्त्रमुग्ध कय देल करैत छलाह। ओ छात्र केँ प्रेरित करैत छलाह कि ओ सब उच्च नैतिक मूल्य केँ अपन आचरण मे उतारय। ओ जे विषय केँ पढ़बैथ, पढ़ेबाक पहिने स्वयं ओकर नीक अध्ययन करैथ। दर्शन जेहेन गम्भीर विषय केँ सेहो ओ अपन शैलीक नवीनता सँ सरल और रोचक बना दैथ।

आइ-काल्हि जखन शिक्षाक गुणात्मकता केर ह्रास भेल जा रहल अछि और गुरु-शिष्य सम्बन्धक पवित्रता केँ सेहो ग्रहण लागल जा रहल अछि, हुनक पुण्य स्मरण फेर एकटा नव चेतना उत्पन्न कय सकैत अछि। सन्‌ १९६२ मे जखन ओ राष्ट्रपति बनल छलाह, तखन किछु शिष्य और प्रशंसक हुनका लंग गेल आ हुनका सँ निवेदन केलक जे ओ अपन जन्म दिन केँ शिक्षक दिवस केर रूप मे मनाबय चाहैत अछि। ओ कहलनि – “हमर जन्मदिन केँ शिक्षक दिवस केर रूप मे मनेला सँ निश्चिते हम अपना केँ गौरवान्वित अनुभव करब।” तहिया सँ आइ धरि ५ सितम्बर समूचा देश मे हुनकहि जन्म दिन पर शिक्षक दिवस केर रूप मे मनायल जा रहल अछि।

शिक्षाक क्षेत्र मे डॉ॰ राधाकृष्णन जे अमूल्य योगदान देलनि ओ निश्चिते अविस्मरणीय रहत। ओ बहुमुखी प्रतिभाक धनी छलाह। यद्यपि ओ एकटा जानल-मानल विद्वान्, शिक्षक, वक्ता, प्रशासक, राजनयिक, देशभक्त और शिक्षा शास्त्री छलाह, तथापि अपन जीवन केर उत्तरार्द्ध मे अनेक उच्च पद पर काज करैतो ओ शिक्षाक क्षेत्र मे सतत योगदान करैत रहला। हुनकर मान्यता छलनि जे जँ सही तरीका सऽ शिक्षा देल जाय तऽ समाजक सब खराबी केँ मेटायल जा सकैत अछि।

डॉ॰ राधाकृष्णन कहल करैथ जे खाली जानकारी देनाय शिक्षा नहि थीक। हलाँकि जानकारी केर अपन अलगे महत्व छैक और आधुनिक युग मे तकनीक केर जानकारी महत्वपूर्ण सेहो छैक, मुदा व्यक्ति केर बौद्धिक झुकाव और ओकर लोकतान्त्रिक भावनाक सेहो बड़ पैघ महत्व छैक। ई बात व्यक्ति केँ एकटा उत्तरदायी नागरिक बनबैत छैक। शिक्षा केर लक्ष्य छैक ज्ञान केर प्रति समर्पणक भावना और निरन्तर सीखैत रहबाक प्रवृत्ति। ई एक एहेन प्रक्रिया थिकैक जे लोक केँ ज्ञान और कौशल दुनू प्रदान करैत छैक आर एकर जीवन मे उपयोग करबाक बाट सेहो प्रशस्त करैत छैक। करुणा, प्रेम और श्रेष्ठ परम्परा आदिक विकास सेहो शिक्षाक उद्देश्य थिकैक।

ओ कहैत छलाह जे जाबत धरि शिक्षक शिक्षा प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहि होयत आ शिक्षा केँ एकटा मिशन नहि मानत ताबत धरि नीक शिक्षा केर कल्पना नहि कैल जा सकैछ। ओ अनेकों वर्ष धरि अध्यापन केलनि। एक आदर्श शिक्षक केर सब गुण हुनका मे विद्यमान छल। हुनकर कहब छल जे शिक्षक ओहने लोक केँ बनेबाक चाही जे सबसँ बेसी बुद्धिमान हो। शिक्षक केँ मात्र नीक जेकाँ अध्यापन कय केँ सन्तुष्ट नहि भऽ जेबाक चाही, बल्कि हुनका सबकेँ अपन छात्र सँ स्नेह और आदर सेहो अर्जित करबाक चाही। सम्मान मात्र शिक्षक बनने नहि भेटैत अछि, ओकरा अर्जित करय पड़ैत अछि।

हुनक मृत्यु १७ अप्रैल १९७५ केँ भेलनि।

(डा. राधाकृष्णन केर जीवन बारे आरो बेसी जानकारी लेबाक लेल उपरोक्त जानकारी सबहक मूल-स्रोत विकिपेडिया जरुर देखी)