सन्दर्भ: मैथिल पहिचान केर नेपाल तथा भारत मे स्थापित होएबाक विषय पर विचार-मंथन!
राज्य केर लड़ाई राजनीतिक छैक, एहि मे कत्तहु दुइ मत नहि। लेकिन राज्य बिना सीमाक बनाकय राखबाक लेल साधारण सूत्र छैक – शिक्षा, संस्कार, संस्कृति, सभ्यता, समाजिकता, सौहार्द्रता, सुदृढता, सुन्दरता, सक्रियता आ सहजता – एहि १० टा ‘स’ सँ हम मैथिल स्वयंसेवा आ स्वसंरक्षण केर ताकत सँ लैस रहि आयल छी आ सनातनजिवी सुसंस्कृत मैथिल समाज केर रूप मे सुपरिचित छी। आइ मिथिला संवैधानिक स्वरूप मे सच मे नहि अछि, एकर तकलीफ गोटेक सजग सजीव जनता केँ जरुर अछि। मुदा आरोप अछि जे सजग सजीवक संख्या नगण्य अछि आ जनमानस मे एहि पहिचान प्रति कोनो खास लगाव वा चाव अछिये नहि। सचमुच, जाति-धर्म आदिक सौहार्द्र स्थल मिथिला आइ तऽ जाति-धर्मक नाम पर विखंडित समाजक जमावड़ा छी। तखन, आत्मनिरीक्षण कएला सँ पहिने अपन संस्कारक सुधार जरुरी अछि, समाजक सुधार जरुरी अछि, सभ्यताक हेराइत आ अंत होइत सौन्दर्यक रक्षा जरुरी अछि। एहि दिशा मे सेहो सोशियल ईन्जिनियरिंग केर सूत्रक प्रयोग करबाक परम जरुरत अछि।
देश-विदेश सब ठाम हमरा सबहक अलगे पहिचान अछि, यदि अहाँ एहि पहिचान सँ विलगैत छी आ तेकर बाद कोनो तरहक हीनताबोधक शिकार होइत छी तऽ एहि लेल अहाँ मैथिली आ मिथिला केँ दोषी नहि मानि अपन पथभटकाव केँ खुलस्त रूप मे दोषी मानि सकैत छी। हमरा लोकनिक गाम-घर – खेत-खरिहान – बाग-बगीचा – नदी-तालाब आ समस्त प्राकृतिक स्रोत सीमित अछि लेकिन एतेक सुन्दर ढंग सँ फलदायी अछि जेकर अनुमान कि अनुभूति एक-एक मैथिल जन केर हृदय मे बसैत अछि। घर-घर मे कुलदेवताक पूजन-स्मरण हमरा सबहक मूल आध्यात्मिक बल कहि सकैत छी, भले एहि सँ दूर भऽ के अभगदशाक शिकार नहि भेल, आ किऐक नहि होयत। अत: हम अपन संस्कार केर पोषक बनी आ संसार केर कल्याण जहिना करैत आयल छी, तहिना आगुओ एहि लेल प्रतिबद्ध रही।
हम एकरा सौभाग्य मानैत छी जे वर्तमान सोशियल मिडियाक खूल्ला मैदान उपलब्ध भेला सँ, इलेक्ट्रानिक मिडिया पर मैथिलजनक बाहुल्यता सँ लोक मे पुनर्मूल्यांकन होयब शुरु भऽ गेल अछि। ई दौर एखन पहिल पाँच वर्ष केर अन्तिम उत्कर्ष विन्दु पर अछि। हम एकरा जागृतिक अधगेंर मानैत छी। आइ ‘मैथिल’ पहिचान प्रत्येक मिथिलावासीक थीक ई बात मोटामोटी तय भऽ गेल बुझाइत अछि, सेहो मात्र ई-यूजर्स लेल। एखन ९०% जनता जे सामान्य जनजीवनक आदी अछि तेकरा नजरि मे ‘मैथिल’ पहिचान केँ भान करेबाक चुनौतीपूर्ण कार्य बाकी अछि। शायद, सहिये कहल गेल अछि जे २०१५ केर विधानसभा चुनाव सँ बिहारक मिथिला मे आ संविधानक निर्णीत रूप पकड़बाक प्रक्रियाक संग नेपालक मिथिला मे हरेक मैथिलीभाषी केँ अपन मैथिलत्वक भान होयब शुरु भऽ जायत। आगाँ जे कोनो मोड़ आयत ताहि ठाम स्वराज्यक बात सेहो जन-गण-मन मे स्थापित होयत ई बस कल्पना टा करैत छी। आत्मविश्वास ई अछि जे सृजनशीलताक दौर एहि गति सँ बढैत रहल तऽ २०२० ई. धरि संविधान द्वारा ई पहिचान मान्यता पाबि जायत दुनू ठाम।
अस्तु!
हरि: हर:!!