विशेष संपादकीय
आइ भारत देश ६९म स्वतंत्रता दिवस मना रहल अछि। मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ संपूर्ण भारतवासी आ समस्त मैथिल केँ दिवसक विशेष शुभकामना अछि।
आजुक दिन लगभग हरेक तन-मन मे एकटा नव स्फुरणा आयल देखाइत अछि जे औझके दिन अत्याचारी ब्रिटीश हुकूमत सँ देश आजाद भेल छल। एकटा अलगे जोश आ उर्जाक संचरण सगरो होइत अछि। गाम-गाम आ शहरक चप्पा-चप्पा मे छात्र-छात्रा हाथ मे तिरंगा लेने प्रभात फेरी लगबैत रहैत अछि आ दहों-दिशि लोकमानस मे स्वतंत्रता प्राप्तिक अनुभूति करबैत रहैत अछि। विद्यालय मे शिक्षक-शिक्षिका लोकनि सेहो तिरंगा फहरेबाक खास आयोजन मे व्यस्त रहैत छथि। भोरे-भोर जे उत्सव शुरु होइत अछि ओ दिन चढैत बढैत रहैत अछि। महान शहीद लोकनि केँ नाम लैत ‘अमर रहे’ नारा लगैत रहैत अछि। स्वतंत्रता दिवस केर महता पर पैघ-पैघ बात होइत रहैत अछि। ओम्हर लालकिला पर प्रधानमंत्री झंडा फहरेता आ हुनक संबोधन राष्ट्र भरि प्रत्यक्ष प्रसारण कैल जायत। ताहि तरफ समाजक ध्यान लागल रहैत अछि।
मुदा दोसर तरफ एकटा प्रश्न मुंह बौने ठाढ अछि जे आखिर जाहि ‘डिवाइड एण्ड रूल’ केर नीति सँ अंग्रेज भारत पर सैकड़ों वर्ष हुकूमत चलौलक, कि ताहि मे वर्तमान हुकूमत कोनो तरहक सुधार आनि सकल अछि? जाहि बर्बर तंत्र सँ लोकक मुंहक आवाज पर अंग्रेजक समय मे जाबी लगाओल जाइत छलैक, कि ताहि मे आइ पूर्ण स्वतंत्रता भारतक नागरिक केँ हासिल भऽ गेलैक? कि स्थानीय शासन-प्रशासन अंग्रेजक समय जेकाँ दुर्व्यवहार आम जनताक संग नहि करैत छैक? कि आर्थिक समानता देशक हरेक भाग मे आबि सकलैक अछि? कि संविधान मे निहित शिक्षा सँ लैत धर्मक स्वतंत्रताक मौलिक हक तक सब केँ बरोबरि प्राप्त भऽ सकलैक अछि?
एक बेर अबैत छी मिथिला समाज मे – आत्मनिरीक्षण करैत छी वर्तमान जातीय विभाजन सँ टुकड़ा-टुकड़ा भेल समाजक दयनीयताक। अंग्रेजो सब आजुक समान विखंडन नहि उत्पन्न केने छलैक जतेक वर्तमान समयक तथाकथित जन-प्रतिनिधि जातिक नाम पर मिथिला समाज केँ छहोंछित कय देने छैक। चाहे मुखिया-सरपंचक चुनाव हो, चाहे जिला-प्रखंडक पार्षदक चुनाव हो चाहे विधायक-सांसदक चुनाव हो – चुनावक एकमात्र आधार जातीय समीकरण आ ताहि कारणे विकास तथा प्रगतिशीलताक कोनो परवाह नहि कैल जाइत छैक। आइ आजाद भेना देश केँ ७ दशक जतेक बीत गेल, मुदा मिथिलाक्षेत्र दिनानुदिन विपन्नताक शिकार होइत गेल।
जेहो विकास अंग्रेजक समय मे छल ताहू सँ बदतर वर्तमान स्वतंत्र भारत मे मिथिलाक्षेत्रक आर्थिक हालात अछि। अंग्रेज वायसराय वैभेल १९४३ ई. मे बाढिक स्थायी समाधान हेतु जेहो पाइ (बजट) छुटेलक, तेकरो भारत सरकार स्वतंत्रताक तुरन्त बाद तात्कालीन राजनैतिक तौर पर सजग समाज ‘पंजाब आ बंगाल’ केँ शायद विभाजनक रिसैत खून केँ बन्न करबाक लेल दय देलक। एहि क्षेत्रक लोक आइयो ओतबे बेकल-बेहाल अछि, कारण वैभेल प्रोजेक्टक बदला एतय भेटल कोसी बाँध परियोजना आ कटैया समान पनबिजली कारखाना जे एखन धरि हुकरैत-हकरैत १०० मेगावाट बिजली उत्पादन नहि कय पायल अछि। नहिये कोसी सँ निकालल गेल नहर सँ एहि क्षेत्रक ५% कृषक सँ बेसीकेँ सिंचाईक कोनो सुविधा भेट सकल।
बाँध निर्माणक कार्य एहने अवैज्ञानिक तरीका सँ भेल जे जमीन निचांक जलस्तर आ कुशियार खेती लायक वातावरण मे क्षरण होइत न आब ओ नगरी न आब ओ राजा। जुटक खेती सेहो किछु क्षेत्र मे छोड़ि बाकी सौंसे बर्बाद। माछ-मखान-पान तऽ विलोपान्मुख बनि गेल अछि। प्राकृतिक संसाधन सँ यथासंभव दोहन छोड़ि अनफेवरेवल कंडीशन्स (बाढि-सुखा) सँ निवारण हेतु कोनो – कतहु उपाय नहि।
बिजली, उद्योग – सब नदारद। सड़क केर हाल आब जाय कनेक सुधारोन्मुख भेल से कहल जा सकैत छैक। स्वास्थ्य क्षेत्र आइयो ओतबे पछड़ल। हस्पीटल केर पुरान मकान सब हक्कन कानि रहल अछि। डाक्टरक अता-पता नहि। खजाना सँ भले ओहि अस्पताल वा स्वास्थ्य केन्द्र लेल पाइ केर निकासी भरपूर होइते छैक आइयो, मुदा सुविधा सँ जनता आइयो विमूख-वंचित अछिये। स्वतंत्रताक एहेन बदहाल अवस्था मिथिला समाजक भारतक कोनो आन समाज सँ एतेक पाछू कय देने अछि जेकर चर्चा करैत कोंढ-करेज दहैल जाइत अछि। जतय सबसँ बेसी बौद्धिक खजाना ताहि ठामक विद्यालयक हाल तऽ आरो बेहाल अछि। शिक्षा केँ मानू जानि-बुझि एहि क्षेत्र सँ पलायन करेबाक लेल प्रायोजित ढंग सँ कार्य कैल जाइत अछि, कारण लेबर सप्लाइ जोन बनाकय जे रखबाक छैक। एतुका लेबर आन राज्यक विकास मे योगदान दैत अछि, मुदा एहि ठाम पूर्वाधार निर्माण वा औद्योगिक विकास लेल कतहु किछु नहि।
अन्हा गाम मे कन्हा राजा – बस नेता बनबाक होड़ चलैत अछि एतय। बिहारी खरात लूटबाक लेल ठेकेदार पेस्तोल-बन्दूक-लाठी-बाहुबल केर बदौलत हुकूमत कएनिहार बनैत अछि एतय। तंत्र संविधान अनुरूप, संचालन मे मजमौजी! सुरक्षित सीट पर वैह चुनाव लड़त – धरि पीठ पर हाथ बाहुबली आ पहुँचल फकीरे केर रहतैक। बुद्धिजीवी वर्ग एहि सब सँ ऊबि गेल अछि। ओ सब अपन-अपन घर पर बड़का-बड़का ताला मारिकय दिल्ली-मुम्बई मे फ्लैट कीनि ओतहि रहय लागल अछि। हू-केयर्स! यैह भावना रहैत छैक अपन गाम व मड़ौसी प्रति। गोटेक दिन लेल गाम आओत, कारण भगवती (कुलदेवी) गामहि मे छथि आ निहित कर्मकाण्ड लेल ओतहि आबय पड़त। ई प्रश्न हमरे टा माथ खाइत अछि कि आरो किनको ई सुधि पाठक बतेता, धरि स्वतंत्रता मिथिला समाजक लेल कोन काजक भेल ई बेर-बेर सोचयवला विषय बनि गेल अछि।