धर्मक नाम पर कठोर तपस्या – साधना – योग आदि करब लोकक मौलिक स्वतंत्र अधिकार थीक, मुदा अपन धर्म केर वर्चस्व लेल दोसर धर्मक लोक पर आक्रमण करब, केकरो तिरस्कार करब आ प्रतिशोध आदिक भावना सँ कोनो कार्य करब, एहि लेल संविधान अपराध कहि सजाय केर प्रावधान करैत अछि। हिन्दुस्तान मे रहनिहार सब कियो हिन्दू – ई कहनाय अतिश्योक्तिपूर्ण नहि वरन् समाज केँ जोड़नाय समान छैक। एहिठामक इतिहास जोर-जोर सँ मुस्लिम आक्रमण आ अत्याचार केर गाथा मुंह बाबिकय गबैत छैक, आइयो ओ चीख-पुकार आ दहशैत लोक मे कोनो न कोनो रूप मे व्याप्त छैक। एहि मे पश्चिम सँ आइयो आतंककारी ओहिना अबैत छैक जेना पहिने अबैत छलैक। मुदा आइ जे इस्लाम धर्म कबूल कय भारतीय मुसलमान बनि हिन्दुस्तान मे रहि रहल छैक ताहि समुदाय केर हित मे देश-काल-परिस्थिति अनुरूप स्वयं केँ हिन्दू बहुल्य समाज संग भाइचारा निर्वाह करैत अपन मौलिक स्वतंत्र धार्मिक अधिकारक भरपूर उपयोग करैत रहब जरुरी छैक।
भारत आ भारतीय: धर्मक दृष्टिकोण सँ मानवीय एकजुटता अपरिहार्य
विशेष संपादकीय
सन्दर्भ आतंकवादी याकूब मेमन केँ फाँसी, ताहि पर चलि रहल राष्ट्रीय बहस, धर्मक नाम पर विभाजन करबाक कुत्सित प्रयास आ राष्ट्रवादी सरकार केँ अस्थिर करबाक विदेशी ताकतक खेला-वेला…. बाबरी मस्जिद जतय कियो नमाजो तक नहि पढैत छल, जेकरा एकटा क्रान्ति द्वारा कारसेवक सब १९९१ मे ध्वस्त केने छल, तेकर बदला लेबाक लेल किछु सक्षम-समर्थ मुस्लिमजन मुंबई समान महानगर मे सिरियल ब्लास्ट करैत २५७ ज्ञात लोकक जान लेलक, हजारों लोक अपाहिज भेल आ लाखों-करोड़ों लोक प्रभावित भेल। एहि आतंककारी घटनाक मुख्य योजनाकार याकूब मेमन केँ भारतीय न्यायालय द्वारा फाँसीक सजा देला पर सियासी दुनिया मे पुन: हलचल मचल अछि।
अलग-अलग समय पर भारतीय विविधताक फायदा उठबैत विदेशी हुकूमत द्वारा भारत पर शासन व्यवस्था लादल जेबाक गाथा सबकेँ पता अछि। अन्ततोगत्वा भारत ओहि ब्रिटीश हुकुमत सँ आजाद भेल जे एतय ‘हिन्दू-मुसलमान’ केर धार्मिक मतभेद केँ कैश करैत एकटा एहेन घाव पाकिस्तान बनाकय देलकैक जे आरो गंभीर ज्वालामुखी समान छैक। कखन कतय आ कोन तहरक ज्वालामुखी बिस्फोट होयत, एकर गारंटी करब मुस्किल छैक। ताहि पर सँ स्वतंत्र भारत मे सियासी चाइल-चक्र सँ ‘धर्मनिरपेक्षता’ केर अत्यन्त विवादास्पद व्याख्या एहि राष्ट्रक नींब केँ सेहो हिलबयवला प्रमाणित भऽ चुकलैक अछि।
बहुभाषी-बहुसांस्कृतिक-बहुधार्मिक-बहुपंथी-बहुविचार-बहुदर्शन केर विविधता सँ भरल एहि प्राचीन देश भारत मे हिन्दू धर्मावलम्बीक बाहुल्यता रहितो अन्तर्विचार आ जीवनशैलीक फरक-फरक होयबाक कारण कतहु सँ धार्मिक एकजुटता नहि देखाइत छैक; तैँ एकर गलत फायदा कोनो आन धर्मक लोक उठाबय आ सहिष्णु हिन्दू केँ तोड़ैत चलि जाय, तखन प्रतिक्रिया होयब आ धार्मिक एकजुटता कायम होयब प्राकृतिक सिद्धान्त अनुसार तय छैक। यैह कारण छैक जे अन्तिम समय मात्र आंशिक सुधार भेला सँ देश मे हर तरहें जैड़ तक सत्ताक गाछ केँ फूलबैत-फरबैत रहल काँग्रेस केँ उखाड़िकय विपक्षियो बनबाक हैसियत सँ भारतीय हिन्दू जनमानस फेक देलकैक अछि।
लेकिन संयोग देखू जे वर्तमान राष्ट्रवादी विचारधाराक सरकार संग भारतीय मुसलमान सेहो चैन आ आरामक जिनगी जियैत विकासोन्मुख छैक, ताहि समय सियासी खेल, बिकायल मिडियाक हाइप आ विदेशी ताकतक डिवाइडिंग फैक्टर्स सँ भारतक जनता केँ धर्मक नाम पर अलग-अलग युद्ध मे फँसाकय रखबाक कुत्सित मानसिकता आइयो अपन हाथ-पैर मारय सँ रुकल नहि, बल्कि आरो बेसी उग्र रूप मे वर्तमान सरकार केँ अस्थिर बनेबाक प्रयास कय रहल अछि। इतिहास गवाह छैक जे जहिया-जहिया भारत मे एकजुटता भेल, सम्राज्य हिन्दू शासक केर हाथ रहल। जहिया-जहिया मतभेद-मनभेद चरम पर गेल, शासक विदेशी रहल। एखन तऽ राष्ट्रवादी विचारधारा सत्ता हाथ मे लेबे केलकैक अछि। एहन घड़ी मे फूटेनिहार ताकत उछल-कूद बेसी करबे करतैक।
परञ्च परीक्षा जनताक भऽ रहल छैक जे एहि विभाजनकारी शक्ति केर बेईमान मनसा केँ बुझैत धार्मिक-भाषिक-वैचारिक-सैद्धान्तिक विविधता केँ विभिन्नता मे परिणति नहि दय, केवल प्रगतिशीलताक लेल मानवता केँ सर्वोपरि मानि एकजुट रहय। सियासी रंग आ विदेशी षड्यन्त्र आब लगभग स्पष्ट भऽ चुकल छैक। जेना-जेना साक्षरता बढि रहलैक अछि, एहि दिशा मे आरो उल्लेखनीय सफलता भेटि रहलैक अछि। भारतक भविष्य जनताक एकजुटता सँ सुरक्षित आ विकसित होयब तय छैक। विभाजनकारीक हाथे अपन अस्मिताकेँ बेचला सँ देश जहिना पहिले टूटैत रहल तहिना आगुओ टूटत, ई सबकेँ बुझब जरुरी छैक।
हरि: हर:!!