Search

नेपाल, संघीयता आ पुनः राजतांत्रिक प्रजातंत्रक मांग

78 भ्यूज

नेपाल, संघीयता आ पुनः राजतांत्रिक प्रजातंत्रक मांग

नेपालक नव संविधान – नया राजनीतिक संरचना “संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र” प्रति लोक आस्था मे फेर सँ बदलाव आयल देखा रहल अछि । हालहि भेल गोटेक नव आन्दोलन द्वारा ई स्थापित होबय लागल अछि । काठमांडू मे मुख्यतया केन्द्रित आन्दोलन किछु आनहु स्थान पर देखाय लागल अछि । एहि आन्दोलनक मांग छैक जे नेपाल एकटा ‘हिन्दू राष्ट्र’ रूप मे पूर्ववत् जानल जाय । नेपाल केँ धर्मनिरपेक्ष घोषित करब लोक केँ नहि अरैघ रहल छैक । तहिना नेपालक शाहवंशीय राजा केँ फेर सँ राष्ट्र प्रमुखक मान्यता देल जाय, जेना १९९० ई. मे संवैधानिक राजतांत्रिक प्रजातंत्र लागू छल, तेहने व्यवस्था लागू करबाक मांग जोरदार ढंग सँ उठल लागल अछि ।

कारण की ? ई एकटा रहस्यमय सवाल बनि गेल अछि । आखिर संघीयता जाहि मे नेपालक राष्ट्रीयता प्रति व्यापक सहभागिताक सूत्र लागू कयल गेल, राजनीतिक संरचना केँ तीन तह (स्थानीय, प्रादेशिक एवं संघीय स्तर) केर राखल गेल, प्रत्यक्ष निर्वाचन सँ निर्वाचित जनप्रतिनिधिक संगहि ‘समावेशिकता’ लेल विशेष व्यवस्था – क्लस्टर, कोटा, आरक्षण – समानुपातिक समावेशिकता जेहेन अत्यन्त व्यापक सूत्र सभक प्रयोग भेल, वंचित-शोषित-दमित-उत्पीड़ित आदि केँ अवसर प्रदान करैत ‘नेपाल राष्ट्र प्रति प्रत्येक नागरिक’ केँ समान रूप सँ राष्ट्रीयता प्रति आत्मसम्मान आ गौरवबोधक प्रयास कयल गेल – दुनियाक श्रेष्ठतर संविधान मे सँ एक नेपालक संविधान बनेबाक दावी कयल गेल – तखन फेर मात्र १० वर्ष मे जनता मे वितृष्णा कियैक ?

बहुत गहराइ मे सोचबाक आवश्यकता अछि । हमरा लगैत अछि जे संघीयता मे सब केँ समेटबाक सूत्र आ संविधान त सही मे व्यापक बनल, लेकिन व्यवहार मे ‘सत्ताक बाँडफाँड’ (कुर्सी लेल अन्तर्संघर्षक खेलावेला) जेहेन अधलाह चरित्रक खुलेआम प्रदर्शन, सृजित अवसर पर ‘अपन लोक’ (दलीय आधार पर जेकर सत्ता तेकर लोक) जेहेन पक्षपातपूर्ण नियुक्ति (मनोनयन मार्फत) कय केँ आमलोक मे नव व्यवस्था प्रति असन्तोषक सृजना कयल गेल । तहिना, राज्यक कोषक सही उपयोगिता मे सेहो चूक होइत चलि गेल आ कोरोना मे धराशायी भेल नेपाली अर्थतंत्र केँ पुनः पटरी पर कोना आनल जाय – केना राज्यक जनता केँ आर्थिक रूप सँ समृद्धिक अनुभूति कराओल जाय – एहि मे ग्रौस फेल्यर (समग्र असफलता) मात्र हासिल भेल ।

शायद नेपालक कोनो शक्ति मे ई समझ नहि अछि जे एकर अर्थतंत्र केँ कोना आगू लय गेल जाय । नेपालक सीमित संसाधनक समुचित दोहन करैत देशक अर्थतंत्र मे सुधार अननाय अपना आप मे चुनौतीपूर्ण त अछिये, परञ्च आइ वैश्विक अर्थतंत्र मे विकासशील राष्ट्र जेकाँ अपन जमीनी स्थिति अनुरूप परिवर्तनक गुंजाइश कोनो सक्षम आ सुदृढ़ सोच (नेतृत्व) सँ मात्र भ’ सकैत छल – ताहि मे नेपालक विद्यमान राजनीतिक दल, जनमत, राजनीतिक व्यवस्थापन आदि मे कोनो प्रभावकारी कार्य विगत १ दशक मे नहि भ’ सकल अछि । निश्चय, पूर्वक राजतंत्र आ कि बहुदल प्रजातंत्र सँ वर्तमान गणतंत्र बेसी नीक कयलक । मुदा जनताक अपेक्षा पर ठाढ़ नहि भ’ सकल अछि । जनता मे त्रास आ दुविधाक स्थिति बनले अछि ।

क्रमशः….

हरिः हरः!!

नोटः अपने लोकनिक विज्ञ विचारक स्वागत करब । अपने सब सेहो अपन दृष्टि आ सोच अवश्य कमेन्ट करी ।

Related Articles