पिता उम्मीद, विश्वाश आ परिवार केर आश होइत छथि

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लेख विचार
प्रेषित: कीर्ति नारायण झा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
विषय- परिवार मे पिता केर महत्व

बाढे पूत पिता के धर्मे, खेती उपजे अपने कर्मे अथवा माय गुण धी, पिता गुण घोर, नहिं किछु तँ थोड़बे थोड़…. अपना सभक ओहिठाम एहि प्रकारक कहबी आदि काल सँ कहल जाइत छैक, बपटुग्गर शब्द के व्यवहार ओकरा लेल कयल जाइत छैक जकर पिता नहिं रहैत छथिन्ह ई सभ एहि बात के इंगित करैत अछि जे पिताक महत्व अपन संतान के लेल कतेक बेसी होइत छैक। एहि बात में कोनो संदेह नहि जे एकटा संतान के लेल ओकर माय दुनिया के सभ सँ पैघ सहारा आ रक्षक होइत छैथि मुदा पिता ओहि सहारा अथवा रक्षा के मजबूती प्रदान करैत छैथि। माय कोमल हृदय के होइत छैथि तें कनेको कष्ट भैला पर दहो बहो नोर खसबैत छैथि मुदा पिता ओहि नोर के पीबि जाइत छैथि। अपन शरीर पर पूरान अथवा फाटल वस्त्र के चिंता नहिं करैत अपन धिया पूता के नीक वस्त्र उपलब्ध करवय बला के नाम पिता होइत छैक। पिता के सदिखन अपन धिया पूता के सर्वांगीण विकास केर चिंता लागल रहैत छैन्ह मुदा ओ चुपचाप सभटा व्यवस्था में लागल रहैत छैथि। धिया पूता के आवश्यकता के पूरा करवाक लेल दिन राति मेहनत करय बला प्राणी के पिता कहल जाइत छैक। हमर धिया पूता के इ नीक लगैत छैन्ह आ ओहि वस्तु के प्राप्त करवाक लेल अपन सभ सख मनोरथ के परित्याग कऽ कऽ धिया पूता के सख पूरा कयनिहार प्राणी के पिता कहल जाइत छैक। पिता कखनहु अपन बाल बच्चा के नहिं हारवाक आ सतत् आगू बढवाक लेल प्रेरित करैत रहैत छैथि, दुनिया में पिता सँ नीक कियो आन मार्गदर्शक नहिं भऽ सकैत अछि, सभ धिया पूता अपन पिता सँ शिक्षा पाबि अपन जीवन में आगू बढैत छैथि आ पिता के अनुरूप अनुकूल आ प्रतिकूल प्रभाव सँ प्रेरित रहैत छैथि, दोसर शब्द में जँ पिता मेहनती आ इमानदार होइत छैथि तऽ हुनकर धिया पूता सेहो ओहिना मेहनती आ इमानदार बनैत छैथि अन्यथा पिता के खराब आदति सेहो हुनकर धिया पूता में पड़ैत छैन्ह। पालन पोषण के संग संग धिया पूता के संरक्षण, अनुशासन प्रिय, अर्जन करय बला भावनात्मक संगी पिता होइत छैथि। जेबी में पाइ नहिं रहलाक उपरान्तो जे इच्छा पूर्ति करय ओकरा पिता कहल जाइत छैक, प्रतिकूल परिस्थिति सँ निपटवाक स्थिति बुझवय बला के पिता कहल जाइत छैक। अपन धिया पूता के संग छाया बनि कऽ रहयवला संगी के नाम पिता होइत छैक। पिता के रहैत धिया पूता राजा रहैत अछि आ पिता के नहिं रहला पर ओ एकदम बेसहारा भऽ जाइत अछि। बहुत भाग्यशाली होइत अछि धिया पूता जकरा जिनगी मे दीर्घकाल धरि पिता के छाँह पड़ैत रहैत छैक। अंत में “पिता एकटा उम्मीद छैथि, आस छैथि, परिवार के हिम्मत आ विश्वास छैथि ।