गोपाल मोहन मिश्र केर एकटा कहानी “कठिन समय लेल तैयार रहू!”
मुकेश नामक एकटा जवान लड़का छल। ओ पूरा अपन शिक्षा पूरा कैलक आ एकटा पैघ ट्रांसपोर्ट सर्विस देबs वाला कंपनी में मैनेजर केर नौकरी ज्वाइन कैलक।
मुकेश अपन पहिल नौकरी सँ बहुत खुश छल। आब ओ अपन सभटा सपना पूरा कs सकैत छल। ओकरा बचपन सँ अपन स्वयं के एकटा लक्जरी कार केर सपना छल आ आब ई सपना ओकरा आर बेसी सताबs लागल, कियैक तs ट्रांसपोर्ट कंपनीक मैनेजर होईतो ओकरा लग कोई कार नहि छल ! ओ हाले में नौकरी करब शुरू कैने छल, एहि कारण सँ ओकरा लग कार लेबा लेल पर्याप्त पैसा नहि छल। तैयो एक दिन ओ अपन पिता सँ एहि विषय में चर्चा कैलक आ अपन विचार पिता सँ कहलक।
ओकर पिता ओकरा समझयलनि – “बेटा , हम जनैत छी कि तों एकटा कार लेब चाहैत छें, लेकिन अखन खरीदनाई जल्दबाजी हेतौ।”
मुकेश उत्तर देलक – “जल्दबाजी ? हम सोचलौं कि अहाँ हमर एहि फैसला सँ बहुत खुश होयब।”
पिता कहलनि, “हम तोरा लेल बहुत खुश छी बेटा। लेकिन तों हाले में अपन नौकरी शुरू कैने छें। तोरा भविष्य में आबs वाला कठिन समय के लेल किछु पैसा बचेबाक चाही। एहि सँ, कार खरीदबा सँ पहिने किछु समय इंतजार करबाक चाही आ किछु पैसा डाउन पेमेंट के लेल बचेबाक चाही, नै कि पूरा तरह सँ ऋण पर खरीदनाई।
“ओह, पिताजी! अहाँ बहुत ऑर्थोडॉक्स छी। जखन हमरा अखन कार भेंटि सकैत अछि, तs हम इंतजार कियैक करू ? जिंदगी चारि दिन के छै आ ई मात्र एक्के बेर भेटैत छै। हम पैसा बचाबs में समय वेस्ट केनाई आ अपन सपना के छोड़नाई नहि चाहैत छी। आ अहाँ कोन कठिन समय के बात कs रहल छी ? कीs अहाँके लगैत अछि कि हम अपन नौकरी गंवा सकैत छी ? कीs अहाँके हमर काबिलियत पर शक अछि ?”, मुकेश उत्तर देलक।
“नहि बेटा। हमरा तोहर क्षमता पर संदेह नहि अछि। हमरा पूरा विश्वास अछि, तों जीवन में जरूर सफल होयबें। लेकिन हमरा सभके हमेशा सभ सँ कठिन परिस्थिति आ कठिन समय के लेल तैयार रहबाक चाही। हम ई नहि कहि रहल छी कि हमेशा इंतजार करी। किछु वर्ष तक प्रतीक्षा करी आ आपातस्थिति के लेल किछु पैसा बचाबी। सँगहि अपन कार के डाउनपेमेंट के लेल सेहो किछु पैसा बचाबी।”, पिता समझेलनि।
“हमरा समझ नहि आबि रहल अछि कि अहाँ कोन कठिन समय के बात कs रहल छी ? हम कमाई शुरू करबाक लेल वर्षों तक इंतजार कैलहुं, ताकि हम अपन कार खरीदि सकी। हम आब आर इंतजार नहि कs सकैत छी। मुकेश जाई सँ पहिने कहलक।
मुकेश आब कार लोन लेबाक आगू प्रक्रियाक फैसला कैलक। ओ ऋण के लेल आवेदन कैलक आ ओकरा तुरंत मंजूरी दs देल गेल। आब ओ अपन कार केर गौरवान्वित मालिक छल। ओकरा सफलता महसूस भेल। आब ओकर सपना पूरा भेल। एक दिन जखन ओ उठल, तs ओ एक नया वायरस के बारे में समाचार-पत्र में समाचार पढ़लक, जे पूरा दुनिया में फैलनाई शुरू भs गेल। ओ संक्रामक रोग छल, एक मनुक्ख सँ दोसर मनुक्ख में फैलैत छल। एहि नव बीमारीक कोनो इलाज कोई नहि ढूंढ़ि सकल। सभ क्यो डरल छल। धीरे-धीरे ई वायरस सभ देश में फैलs लागल। सरकार यात्रा पर प्रतिबंध लगा देलक। अचानक, यात्रा उद्योग ध्वस्त होबs लागल। एक दिन मालिक मुकेश के नौकरी सँ निकालि देलक। ओ टूटि गेल। ओ कहियो एहि स्थिति के कल्पना नहि कैने छल। ओकरा लग कोई बचत नहि छल। एकरा अतिरिक्त, ओकरा लग अपन कार के ऋणक किश्त भुगतान करबाक लेल सेहो पैसा नहि छल। मुकेश के राति में नींद नहि अबैत छल। अंततः ओकरा अपन कार बेचs पड़ल। स्थिति एतेक खराब छल कि ओकरा अपन जीवन चलाबs लेल अपन दोस्त सभ सँ पैसा उधार लेबs पड़ल। ओकरा अपन पिताक सलाह याद आयल आ ओकरा किछुओ बचत नहि करबाक आ बहुत अधिक कर्ज लेबाक अपन गलती के एहसास भेल।