गोपाल मोहन मिश्र केर एकटा कथा :: ओहि महिलाक शुभ कदम
रमेश ऑफिस सँ घर जाईत काल फल आ तरकारी लs कs रोज जाईत छलाह। ओहि दिन शनि दिन छल I ऑफिस सँ निकलैत काल हुंनका याद अयलनि कि आई शनि बजार लागल हेतै तs कियेक नै आई सप्ताह भरि के लेल फल आ तरकारी लs ली I ऑफिस सँ निकलि कs रमेश सबसँ पहिने शनि बजार पहुंचलाह I बजार में एक ठेला पर नजरि पड़ल तs देखलनि ओकरा लग बहुत रास टटका फल आ तरकारी सभ छलाह I रमेश अपन कार सड़क किनार में पार्क कैलनि आ हाथ में थैला लs कs ओहि ठेलावाला के लग पहुंचि गेलाह I
रमेश दोकानदार सँ पूछलनि : केेरा आ सेब के कीs भाव छै ?
दोकानदार : केेरा ५० टका दर्जन आ सेब १५० टका किलो I
ओहि समय एक गरीब सन महिला दोकान में आयल आ कहलक : हमरा एक किलो सेब आ एक दर्जन केेरा चाही, कीs भाव छै भैया ?
दोकानदार : केेरा १५ टका दर्जन और सेब ३५ टका किलो I
महिला कहलक : जल्दी सँ दs दियs I
ठेला के लग पहिने सँ उपस्थित ग्राहक सभ खा जाई वाला नजरि घूरि घूरि कs दोकानदार के देखs लगलाह I एहि सँ पहिने कि ओ सभ किछु कहितैथ,दोकानदार ग्राहक सभ के इशारा करैत किछु देर प्रतीक्षा करबा लेल कहलक I महिला खुशी खुशी खरीदारी कs कै दोकान सँ निकलैत काल बड़बड़ाईत चलि गेल – हे भगवान अहाँ के लाख लाख धन्यवाद, हमर बच्चा सभ आई ई फल सभ खा कs बहुत खुश होयत I
महिला के गेला के बाद, दोकानदार पहिने सँ उपस्थित ग्राहक सभ के तरफ देखैत कहलक : ईश्वर गवाह छैथ, भाई साहेब हम अहाँ सभके कोनो धोखा देबाक कोशिश नहि कैलौं I ई विधवा महिला छैथ, जे चारि छोट-छोट बच्चा के माँ छैथ I केकरो सँ कोनो तरहक मदद लेबा तैयार नहि छैथ I हम कतेक बेर कोशिश कैलौं आ सभ बेर सफल भेलौं I
तखन हमरा यैह तरकीब सूझल कि जखन कखनो ई आबथि तs , हम हुंनका कम सँ कम दाम लगा कs चीज़ दs दी I हम यैह चाहैत छी कि हुंनका भरम बनल रहैन, हुंनका लगैन कि ओ केकरो मोहताज नहि छैथ I
हम एहि तरह सँ भगवान-भगवती के पूजा कs लैत छी I किछु रूकि कs दोकानदार कहलक : ई महिला सप्ताह में एक बेर अबैत छैथ I भगवान गवाह छैथ, जाहि दिन ई अबैत छैथ, ओहि दिन हमर बिक्री बढ़ि जाईत अछि आ ओहि दिन परमात्मा हमरा पर मेहरबान भs जाईत छैथ। रमेश केे आँखि में अश्रु आबि गेल I आई रमेश केे पता चलि गेल खुशी बंटला सँ आर ब़ढैत अछि I