गोपाल मोहन मिश्र केर कविता “स्वागत अछि श्रीराम”
मानस के ध्वनि कण कण में गुंजित अछि।
क्षिति,जल,पावक,गगन,पवन आनन्दित अछि।
राम आगमन के सुख सँ आब छलकि उठल अछि,
कैयेक बरख सँ जे भाव हदय में सँचित अछि।
आई आस्था पाबि गेल परिणाम ।
स्वागत अछि श्रीराम,स्वागत अछि श्रीराम।
कहबा के सरयू के जल में लीन भेलौं।
राम ! हृदय में हमरा सभके अहाँ आसीन भेलौं।
जगदोद्धारक मर्यादा पुरुषोत्तम छी अहाँ ,
तन,मन,धन सँ हम सभ प्रभु के अधीन भेलौं।
भोर हमर श्रीराम , साँझ हमर श्रीराम।
स्वागत अछि श्रीराम,स्वागत अछि श्रीराम।
जे सर्वंस्व छलाह, हुंनका एहन संत्रास भेटल।
परिचय में हुंनक अस्तित्व के उपहास भेटल।
पाँच सदी के षड्यंत्रक चक्र सँ,
दशरथ नन्दन के फेर सँ वनवास भेटल।
किन्तु आई हम सभ जीत गेलौं सँग्राम।
स्वागत अछि श्रीराम,स्वागत अछि श्रीराम।
आई आसुरी नाग ध़रा में मूर्छित अछि।
अक्षर-अक्षर भक्ति भाव सँ व्यंजित अछि।
रामलला के ठाठ सजत भव्य मंदिर में,
ओहि क्षण के सोचि-सोचि हमर मोन रोमान्चित छी।
स्वर्ग बनि गेल आई अयोध्या धाम।
स्वागत अछि श्रीराम,स्वागत अछि श्रीराम।