स्त्रियो के मनुष्यक दर्जा दैत पुनर्विवाहक मान्यता भेटक चाही

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लेख विचार
प्रेषित: नीलम झा निवेधा
श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
#लेखनीक_धार वृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि

विषय-“अपना मिथिलामे लड़काकें पुनर्विवाह जतेक सहज अछि , ओतेक लड़कीकें एखनहुँ सहज नहि अछि ”
पुनर्वियाह यानि वियाह केलाक बाद फेर सँ वियाह। ई पुरूष वर्गक लेल कहियो सँ बन्धेज नहि अछि, कारण पुरूष प्रधान। आदौंकाल सँ पुरूष एकटा पत्नीके रहितो दोसर वियाह करैत छलाह।हुनका लेल कोनहुँ नियम नहि मुदा स्त्री जौं कतबो कम उमेरक छैथ आ हुनका पतिके कोनहुँ कारणवश निधन भ ‘ जाइत छैन त’ ओ आब जिनगी भरि अपन स्वर्गवासी पतिक विधबा पत्नी बनिक जीबाक लेल बाध्य रहैत छथि। हुनका लेल दुनियाक सभ रंग बेदरंगे रहैत छैन। जौं बाल बच्चा एहि वैवाहिक बीतल समयमे भेल छैन त’ एकटा जीबाक नीक साहारा जौं नहि भेलनि त’ धोबियाक कुकुर सन भए जाइत छनि हुनकर ई जीवन नहि ओ घरके नहि घाटके ( अर्थात नहि सासुरमे कियो तेहन नहि नैहरमे )रहैत छथि । स्त्री आ पुरूष दुनू मनुक्ख छथि त’ फेर समूचे जीवनक एतेक महत्वपूर्ण निर्णय काल एतेक अंतर कियैक? पहिने ५ सँ ११ वरखक कन्याक वियाह करादेल जाइत छल आ ओकरा बुझलो नहि रहैत छल जे हमर पति के छलैथ, आ हुनका भरि जिनगी अपन बीन देखल,चिन्हल पतिके विधबा भए जीबए परैत छलैन।

वियाह दु परिवारक , दुगोटाकेँ जिनगी, दुटा शरीरक आ दुटा आत्माका मेल होइत अछि। जे की सामाजिक, परिवारिक आ शारीरिक रूप सँ अनिवार्य मानल जाइत छैक। तखन फेर स्त्रीकेँ जखन समय अबैत छैन त’ कियैक विरोध? अपना सभकियो जनैत छी जे एहि समाजमे एकटा स्त्रीके अस्तित्व मान – सम्मान इज्जत ,प्रतिष्ठा ,हक ,अधिकार एत तक जे ओकर पहिरब -ओढ़ब,खान-पान सभ ओकर पति सँ रहैत छैक।विधबाके सजब -धजब सँ परहेज करबाक चाही। विधबा जौं माछ- मौस पहिने खाइत छली त’ पतिके नहि रहलापर ओ माछ- मौस संग पिआउजो- लहसुन सेहो नै खेती।कोनहुँ शुभ कार्यमै सम्मलित पहिने नहि हेथिन ,मुदा पुरूष जौं विधुर छथि त’ हुनका लेल एहन कोनहुँ परहेज नहि छैन।आखिर ई दु रंगक नियम कियैक? आब त’ तलाकशुदा बेटा-बेटी सेहो बहुत रहैत छथि । एहि तलाकमे पहिने दुनू परिवारक सदस्य सामंजस्य करबाक चाही जौं नहि मिलल त’ अलग भए समयानुसार जौं दुनूकेँ पुनर्वियाह जरूर हेबाक चाही। कतेक ठाम देखल गेल अछि जे कम उमेरक विधवा सभपर समाजक कुदृष्टि सेहो रहैत छैन। ओहि सँ त’ बहुत नीक बात जे अधेरो उमेरक स्त्रीके जौं अपन इच्छा होइत छनि त’ हुनको पुनर्वियाह हेबाक चाही।ओना त’ समाजमे तीन/चारीटा वर्ण छोरिक आरो सभ वर्णमे पुनः वियाह स्त्रियोके होइते आबि रहल अछि सनातन सँ, मुदा जिनका नहि होइत छैन पुनर्वियाह जरूर हेबाक चाही आ आब बहुत लोक हमरा सभहक समाजमे अपन बच्चाके पुनर्वियाह क’ सेहो रहल छथि। एहि कार्यके लेल सरकार, प्रशासन, समाज आ परिवार सभकेँ जागरूक होमए परतैन। तखने ई लोकक पहिल वियाह संग- संग पुनर्वियाह पर सेहो धियान जाएत। ई मानसिकता परिवार संग समाजकेँ सेहो बदलब परम जरूरी थीक।