शुक्र दिन १७ मई (जेठ ४ गते) होयत जानकी जन्मोत्सव

विराटनगर, १६ मई २०२४ । मैथिली जिन्दाबाद!!

बैशाख मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पराम्बा जानकी एहि धराधाम मे शिशु कन्याक रूप मे राजा जनक केँ प्राप्त भेल छलीह। मिथिला मे अकाल पड़ि गेल छल आ राजा सँ ऋषि समाज हलेष्ठि यज्ञ करबाक आग्रह कएने रहथि। ताहि क्रम मे जनकपुर समीप (वर्तमान भारतक सीतामढ़ी – पुनौराधाम) सँ जगत जननी जानकी एहि पृथ्वीलोक मे अयलीह। भूमि सँ जन्म लेबाक कारण हुनक नाम भूमिजा सेहो कहल जाइछ। खेत जोतय जायवला हरक सीत केर अग्रभाग सँ ओ घट प्रकट भेल जाहि मे शिशु रूप मे जगज्जननी लक्ष्मी स्वयं रहथि, तेँ हुनकर नाम ‘सीता’ कहायल। राजा दशरथक घर मे श्री राम ठीक एक मास पूर्व जन्म लय चुकल छलाह। एम्हर मिथिला मे सीता अवतार लेलीह। एहि तरहें सीता आ राम द्वारा ‘रामायण’ जेहेन महान लोकगाथा प्रस्तुत भेल। रामायण आ विशेष कय केँ सीताक सम्पूर्ण चरित्र आइ धरि ओतबे अनुकरणीय अछि। लोक तेँ ‘सीताराम सीताराम’ जपैत अपन जीवन साफल करैत रहैत अछि।

मैथिली एसोसिएशन नेपाल केर अध्यक्ष प्रवीण नारायण चौधरी जानकी जन्मोत्सव बारे जानकारी दैत कहलनि अछि जे शुक्र दिन १७ मई (जेठ ४ गते) जानकी महोत्सव मनायल जायत। नेपाल मे मधेश प्रदेश सरकार द्वारा एहि दिवस सार्वजनिक छुट्टी सेहो घोषणा कयल गेल अछि। मैथिली साहित्य परिषद् राजविराज केर अध्यक्ष विज्ञप्ति जारी करैत मधेश प्रदेश सरकार केँ एहि लेल धन्यवाद ज्ञापन कयलनि अछि। संगहि ओ सब निकाय सँ विदा (छुट्टी) क्रियान्वयन करैत काल्हि प.बि.मा.वि. राजविराज सँ भव्य झाँकी प्रदर्शनी आयोजन कयल जायत ताहि मे सब सँ सहभागिता लेल सेहो अपील कयलनि अछि। विराटनगर मे कार्यरत सामाजिक नेतृ वसुन्धरा झा द्वारा सेहो जानकी नवमीक अवसर पर आइ १६ मई सोमवारी हाट मे महोत्सव रूप मे मनेबाक घोषणा कयली अछि। भारतक राजधानी दिल्ली सँ दरभंगा धरि मे कार्यरत अनेकों संस्था सब द्वारा जानकी जन्मोत्सव भव्यताक संग मनेबाक समाचार सोशल मीडिया सँ प्राप्त भेल अछि।

पराम्बा जानकी प्रति बेर-बेर नमन करैत हमरा सब केँ सद्मार्ग पर सदिखन अग्रसर रखबाक विनम्र प्रार्थना करैत छी।

श्री प्रवीण नारायण चौधरी, सम्पादक, मैथिली जिन्दाबाद द्वारा पूजा सम्बन्धी आह्वानः

आम आह्वान
 
जानकी प्राकट्योत्सव (सीतानवमी)
 
बैशाख मास इजोरिया प’खक नवमी तिथि
जेठ ४ गते २०८१ विक्रम संवत साल
शुक्र दिन
सब कियो भव्यता सँ महापर्व रूप मे जरूर मनाबी – से आम आह्वान (अपील) करैत छी।
 
एहि वर्ष जानकी नवमी जेठ ४ गते शुक्र दिन पड़त। ओना त नवमी तिथि ३ गते सँ पड़बाक ज्योतिषीय गणना कहैछ, परञ्च परम्परानुसार नवमी तिथिक सूर्योदय ४ गते पड़बाक कारण लोकपूजा-अर्चनाक तिथि जेठ ४ गते होयबाक मत विद्वान् लोकनि रखलनि अछि। कतेको ठाम सीतानवमी ३ गते सेहो मनायल जायत। मिथिला पञ्चाङ्ग मुताबिक जेठ ४ गते सीतानवमी मनायल जायत।
 
सीतानवमी बहुत शुभ मानल जाइछ। देवी सीताक जन्म एहि शुभ दिन पर भेल छलन्हि। सीतानवमी केँ लोक जानकीनवमीक नाम सँ सेहो जनैत अछि। श्रीराम पुरुषशक्ति थिकाह आ कोनो पुरुषशक्ति बिना नारीशक्ति केँ पूर्ण नहि भ’ पबैछ, तेँ रामनवमी मनेबाक सम्पूर्ण फल सीतानवमी मनेलाक बादे होइछ सेहो विद्वत् मत अछि। तेँ आजुक दिन भक्त खुब उत्साह आ उमंग सँ जगज्जननी जानकीक आराधना करैत छथि।
 
देवी सीताक पूजा केर विधिः
 
भोरे जल्दी उठि पवित्र स्नान करी। एक वेदी (सुन्दर आसन) पर लाल कपड़ा बिछाकय श्री राम दरबारक प्रतिमा स्थापि करी। पंचामृत, गंगाजल आ पवित्र जल आदि सँ अभिषेक करी। सिन्दुर, कुमकुम आ चन्दन आदि सँ तिलक लगाबी। गायक घी केर दीप जराबी। पियर-लाल फूल आदिक माला चढ़ाबी। मखानक खीर, फल, मिठाय सभक प्रसाद केर भोग लगाबी। पान-सुपारी अर्पित करी। सामुहिक भजन-कीर्तन आ रामायणक पाठ अवश्य करी। शोभायात्रा सहित पूरे गाम-समाज मे देवी सीता सहित राघव राम केर झाँकी प्रस्तुत करैत सौहार्द्रता आ भाईचाराक सन्देश दी। आध्यात्मिक उन्नति आ शरणागत रूप मे कृपाक याचना करैत आजुक शुभ दिनक समुचित लाभ उठाबी।
 
हरिः हरः!!