विवाह पंचमी विशेष शुभकामना

आब राजा जनक जेहेन सम्पन्न शक्तिशाली त कतहु विरले भेटैत अछि… तथापि सब माता-पिता जनक समान बनथि से मूल शुभकामना दियए चाहब।
वास्तविक सम्पत्तिशाली वैह होइछ जेकरा मे दोसरक सम्पत्ति हँसोथबाक (पेबाक) कनिको टा लोभ नहि होइ। मिथिला मे एहेन सम्पत्तिशालीक कतहु अभाव नहि छल, कन्यादान कयनिहार केँ कलप ओकरा कनिको नीक नहि लगैक।
परञ्च धीरे-धीरे ओहेन सम्पत्तिशाली केँ पर्यन्त बनियौटी करयवला कन्यापक्ष लोभी बना देलक…. शुरु-शुरु मे त ओ सम्पत्तिशाली सब यैह सोचिकय भ्रष्ट भेल जे कि करू… ई अपने सँ दय लेल आयल अछि त कियैक नहि हँसोथब…. बाद मे त देनिहारे सब मे माइर होइत देखलक, फेर कि छल, ओ सम्पत्तिशाली सब अपन सम्पत्तिक सोहे बिसरिकय ओ माइर मचेनिहार बेटीवला सब सँ लाखक-लाख हँसोथय लागल। धीरे-धीरे ई प्रथा कुप्रथा बनि गेल।
जेहो नीक लोक छल सबटा चन्ठ बनि गेल। राक्षस प्रवृत्ति हावी भ’ गेल। हिसाब सँ देखल जाय त बड कम दैव विवाह मिथिला मे भ’ रहल अछि, बेसी राक्षसे विवाह देखय मे अबैत अछि। जे वरपक्ष आ कन्यापक्ष टका-पैसा आ सख-मौज केँ प्रधानता दैत अछि, ओ सब राक्षसे विवाह करैत अछि।
हे जगजननी जानकी!!
आइ विवाह पंचमी पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामजीक चरण मे हम बेर-बेर प्रणाम करैत छी। हे पराम्बा! अहाँ साक्षात् एहि मिथिला भूमि मे अवतरित भ’ कतेको चमत्कार देखेलहुँ, दशरथजी आ अयोध्यावासी बरियाती सब मंत्रमुग्ध भ’ गेल रहथि स्वागत-सत्कार देखिकय। अहाँ पुरुषोत्तम केँ कतेक संग देलियनि आ केना-केना राक्षस सँ पृथ्वी रहित कय देलनि राघवजी, लेकिन आइ अहाँक मिथिला मे लोक अहींक फर्मुला बिसरिकय उल्टा रावणी अट्टहास करैत देखा रहल अछि हे माते! आदर्शक नाम पर सेहो कय तरहक नौटंकी करैत अछि माँ! कनियो नयन फेरू हे अम्बे!!
काल्हि तक जेकरा देखलहुँ श्री राम पर फौदारी करैत, ई कहैत जे बड कष्ट देलनि अहाँ केँ वन पठाकय, अहाँ सँ लव-कुश श्री रामहि केर पुत्र थिक से प्रमाण आदि मांगिकय…. सेहो सब आइ ‘विवाह पंचमी’क शुभकामना पठा रहल अछि हे भवानी!! हे जगदाधार जगदम्बे! एकहु क्षण एहेन नहि हो जे नामहु तक विस्मरण होइ हमरा जेहेन तुच्छ सेवक सँ। ‘सीताराम सीताराम’ जपिते रही हम अवलम्बा!
बस, आजुक विशेष शुभ अवसर पर ढ़ोंग-पाखण्डक कनिकबो अवशेष हमरा मे रहय त ओकरो उजागर करबाक साहस देब हे माता! पूरा शुद्ध त हमरा कहियो भेल होयत कि नहि…. कारण क्षणहि-क्षण मे अनेकों कुविचार आ विषयादिक भयावह माइर अपनहि भीतर देखैत रहैत छी… लेकिन जेना छी, अहाँक नाम लैत रहला सँ हमर सबटा कमी-कमजोरी दूर हेब्बे टा करत एक दिन से विश्वास अछि। दया करू हे अम्बे!
हरिः हरः!!