महान् मिथिलावादी पं. ताराकान्त झा केर पुनर्स्मरण

मिथिलाक पहिचान केँ स्थापित करबाक लेल निरंतर संघर्ष कएनिहार पंडित ताराकान्त झा – हजारों गामक पदयात्रा करैत हर गामक समस्या सँ अवगत होइत जमीनी लड़ाई सँ अधिकारसंपन्नताक अभियान चलबैत भारतीय जनता पार्टीक जैड़ मिथिलाक्षेत्र मे जमेनिहार वरिष्ठ अधिवक्ता, अत्यन्त शालीन एवं प्रखर व्यक्तित्व केर जन्मदिवस पर ‘मैथिली जिन्दाबाद’ किछु ओहेन आलेख एतय राखि रहल अछि जे हुनका संग जुड़ल निजी अनुभवक आधार पर लिखल गेल अछि।

१. तारा बाबु केँ श्रद्धाञ्जलि समर्पण!

(मई १५, २०१४).

pt. tarakant jhaमिथिला एवं मैथिलीक अस्मिता प्रति पूर्ण समर्पित अभियानकीक संग-संग राष्ट्रवादी विचारधारा केर पोषक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केर एक समर्पित प्रचारक तथा भाजपाक एक संस्थापक सदस्य, हालहि बिहार भाजपाक शीर्ष नेतृत्वक कार्यशैलीसँ असन्तुष्ट तथा पैछला वर्ष विधान पार्षदक अपन टर्म पूरा भेला उपरान्त कोनो तरहक सम्मानित कार्यभार तक नहि पाबि सकबाक मनोव्यथासँ जीवनक अन्तिम समयमे आहत वरिष्ठ भाजपा नेता दल बदलि जनता दल युनाइटेड मे शामिल भऽ गेल छलाह तिनकर मृत्युक खबडि हृदय दहलाबयवला छल। हलाँकि वर्तमान उम्रमे हुनका पूर्ण संन्यास-योग धारण करबाक चाहैत छल, मुदा ई हमरा लोकनिक अपन विचारधारा भऽ सकैत अछि आ एक समर्पित नेतृत्वकर्ता लेल वांछित धर्म वैह नीक सँ बुझैत हेबाक कठोर सत्य…. बस, व्यथित लेकिन ईश्वरक संसारमे जीव हेतु अन्तिम सत्य प्रति नमन करैत तारा बाबु केर दिवंगत आत्माक शान्ति हेतु प्रार्थना करैत छी। शोक-संतप्त मिथिलाकेँ एक्कहि टा बात कहय चाहब जे हुनकर सपना ‘मिथिला राज्य’ केर प्राप्ति हुुनका प्रति सही श्रद्धाञ्जलि होयत, एहि लेल हमरा लोकनि तैयार बनी। संगहि, खुशीक प्रतीक्षित पहर पर भाजपा-बिहार लेल सेहो एक संदेश देबय लेल चाहब जे मिथिला क्षेत्रक समर्पित नेतृत्वकर्ताकेँ जाहि तरहें उपेक्षित छोडि देल जाइछ ई उचित बात नहि आ एहि लेल शीर्ष केन्द्रीय नेतृत्व संग समुचित चर्चा जरुर उठायल जायत एहि बातक अपेक्षा करैत छी।

२. पण्डित ताराकान्त झा – मिथिला के महान्‌ नेता – बिहारी मानसिकता के चिर-परिचित दुर्व्यवहारके शिकार! 

(भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधान परिषद् सँ टिकट नहि देबाक निंदनीय घटना पर)

pt. tarakant jha1राजनीतिके अपवित्र खेल – सुशील मोदी के अहंकारी कदम – हिनक विधान परिषद्‌ सऽ टिकट कटबौनाइ आ मिथिला क्षेत्र में अपन जनाधार पर भारी कुठाराघात केनै – ई सभ समग्रमें एकहि बात के द्योतक अछि जे सत्ताके सुख – भोग – विलासिता के मद में चूर बिहारक भाजपा नेतृत्त्व शायद केन्द्र के निर्णायक भूमिका निर्वहन करनिहार तक के अपन प्रभावमें जकड़ने अछि। मुदा सच पुछू तऽ मिथिलावासी हल्लूक महसूस करैत हेता… जहिया सऽ पण्डितजी विधान परिषद्‌के सभापति एहेन गरिमामय पद पर गेलाह, मिथिलावासीके नैतिक रूपसँ बिहारके वा केन्द्रके मिथिलाप्रति उदासीन एवं लांछणापूर्ण व्यवहार के विरुद्ध इन्तजार करय लेल बाध्य कय देने छलैक।

पण्डितजी अपन स्तर पर बहुत तरहें मिथिलाके हेरायल आत्मसम्मानके वापसी लेल प्रयास कयलन्हि। एतय तक जे स्वयं शुरु कैल मिथिला राज्य के संघर्ष तक पर ठमैक के एक बेर फेर बिहारमें मिथिलाके सम्मानजनक स्थिति लेल सेहो सार्थक उपाय – प्रयास कयलन्हि। लेकिन अन्ततः चोर-उचक्का के उचकपन सऽ आइ एहि उम्रमें हुनका संग एहेन व्यवहार मिथिलावासीके बहुत आहत कयलक अछि। एहि पर शब्दमें मात्र दुःख व्यक्त करय सऽ बहुत बढियां जे कर्मके धारे उपाय ताकल जाय।

एकर भरपाई कोना हेतैक? एहि बेइज्जती आ मिथिलाके उपहास के प्रति समुचित उत्तर कि हेतैक?

पण्डितजी स्वयं एतेक पैघ विद्वान्‌ छथि जिनका जीवनमें हर घड़ी एक ईशके शरणागत्‌ रहैत जीवनमें जे अबैछ तेकरा हँसैत स्वीकार करय के बहुत पैघ सिद्धि प्राप्त छन्हि। हुनका एहि सँ नहि तऽ कोनो विस्मय छन्हि आ नहिये हर्ष। ठगायल छी हम मिथिलावासी! उपेक्षित छी हम मैथिल! एकमात्र ओहदेदार नेता जे सचमें मिथिलाके लेल सदैव चिन्ता करैत आयल छथि तिनका संग बिना कोनो पूर्व मशवरा के एहि तरहक चौंकाबयवाला व्यवहार कथमपि स्वीकार्य नहि भऽ सकैछ। एकर परिणाम बहुत भयावह हेतैक… अहिना मिथिला क्षेत्रमें जातीयता के हवा काफी माथ पर पहुँचेने छल कहियो दाकियानूस तथाकथित समाजवादी धारा – आइयो ई सभ अही फेराक में अछि जे एतय तऽ खूब जाति-पातिके मारि में लोक ओझरा जाइछ… तखन एगो पण्डित – जे अल्पसंख्यक के प्रतिनिधित्व करैत छथि तिनका सऽ कि उखड़तैन… एहि मनोदशा सऽ एहेन अनुचित व्यवहार भेल अछि। एहि मनोधारणा के गलत प्रमाणित करय लेल आ समय के माँग अनुरूप उपरोक्त प्रश्न बहुत महत्त्वपूर्ण बुझा रहल अछि।

पण्डितजी के मिथिला राज्य लेल संघर्ष सऽ बाहर निकालब, मिथिलाके लेल लड़निहार लेल बहुत पैघ अभिशाप बनल छलैक। हमरा बुझने विधना के यैह मंजूर छलैक आ जरुरत सेहो जे आब पण्डितजी मिथिलामें मुख्य नेतृत्वकर्ताके भूमिका निर्वाह करैत पुनः मिथिलाके सम्मान लेल ताजीवन संघर्ष करैथ, माँ मैथिली सँ आशीर्वादित रहैथ आ मिथिलाके अनेको दुश्मनके षड्‌यन्त्रके भण्डाफोर करैथ। ओ सभ कहियो नहि चाहैत छैक जे मिथिला अपन अस्मिता आ ऐश्वर्यके रक्षा करय। लेकिन अल्पसंख्यक रहितो जेना मैथिल पण्डित समस्त संसार के सहारा देलकैक अछि, तहिना अहाँके योगदान मिथिला लेल परमावश्यक छैक।

दोसर बात जे केन्द्रमें मिथिलाके बात राखय लेल अंतो-अंतो तक डा. सी. पी. ठाकुर छलाह – ओहो अटल बिहारी बाजपेयी जी संगहि कोन दुनियामें हेरा गेलाह से नहि जानि… आजुक नवका पीढीके अनेको नेता सभ छथि मुदा कंठमें चमैन आँगूरे नहि देलकनि जे आवाज सुना सकैथ… बस सभ व्यक्तिवादी ऐश्वर्य लेल मरनिहार मात्र माल-खजाना निर्माणमें लागल छथि नहि कि मिथिलाके लेल – अपन पहिचान के समुचित स्थापना के लेल केन्द्र में सेहो बात राखि सकैथ। यदि पार्टी अपनेक लेल कोनो केन्द्रिय भूमिका के प्रदान करैक लेल अपनेक दू बेर विधान परिषद्‌ के सदस्यता के ध्यानमें रखैत किछु आगाँ सोचलक अछि तऽ आब मिथिलावासीके आवाज दिल्लीमें गुँजत से हम सभ आशा करैत छी।

हर हालमें, जेना अपने कहैत छियैक, होइहें सोइ जो राम रचि राखा… कोकरि तर्क बढाबहिं साखा… से बात सही छैक… लेकिन नेतृत्वकर्ता के चिन्ता यदि कार्यकर्ता आ जनता नहि करतैक तऽ फेर प्रजातंत्र के अस्मिता कोना कायम रहतैक। अहाँ हमरा लोकनिक वास्तविक प्रतिनिधि थिकहुँ आ अहाँ के नेतृत्वके हम सभ सदिखन आकांक्षी छी आ रहब।

मिथिला क्षेत्रमें ओना नेताके कमी नहि छैक, सभ के कल्याण एतहि आबि के होइत छैक… लेकिन जे मिथिला समूचा संसार के राजनीति के सूत्र प्रदान केलक ताहिठाम आइ बहरी षड्‌यन्त्रकारी वोट बैंक के खातिर जातिवादिता के राजनीति करैत छूद्र नोट सऽ वोट किनैत अछि आ अल्पसंख्यक मैथिल ब्राह्मणके बौद्धिक स्तर के लोहा मानितो आपसी विभेद आ भीन घर – भीन धार के कारण खूब मजा सऽ मिथिला पर अपन बर्बरतापूर्ण राज चला रहल अछि। आन तऽ आन – मिथिला के घरबैयामें सेहो अनेको लोक एहेन अछि जे गुणस्तर के सम्मान नहि करैछ बल्कि जातीय विद्वेष सऽ एक-दोसर के आरो बेसी भीन होवयपर मजबूर करैछ। एहि सँ बहरिया के शासन करब आसान होइत छैक। जेना भारतवर्ष पर सैकड़ो वर्ष विदेशिया शासन रहल तहिना मिथिला आइ विदेशिया के शासनमें पड़ल अछि आ मैथिल एहि बात के बुझितो किछु करय सऽ असमर्थ छथि। सभ बौद्धिक स्तर सऽ सक्षम रहितो कोनो जोगरक नहि छथि। मिथिला के माँग अछि बहुत पैघ क्रान्ति जे अवश्य खून के रंग में सनल होयत। यदि चेतना समय सऽ नहि आयत तऽ अखण्ड मिथिला के निर्माण खूनी क्रान्ति सँ होयत। सहनशीलताके सीमा नाँघय सऽ पहिने समाधान निकालब आवश्यक छैक।

जय मैथिली! जय मिथिला! जय नेतृत्वकर्ता!

हरिः हरः!

३. पंडित ताराकान्त झा – सभापति – बिहार विधान परिषद्‌ द्वारा श्री निलाम्बर मिश्र (सभापति महोदय केर स्थानीय प्रतिनिधि – मधुबनी) अपन संदेश दूरभाष पर: सन्दर्भ ‘जनकपुर मे भेल मिथिला राज्य केर माँगकर्ता पर बम हमला आ ५ शहीदक संग दर्जनों घायल होयबाक दुखद समाचार’

“नेपाल के जनकपुरमें भेल जघन्य हिंसात्मक कार्रबाई जे मिथिला राज्य के माँग लेल अहिंसात्मक आन्दोलन ऊपर कैल गेल तेकर घोर भर्त्सना करैत छी। एहि तरहक आक्रमण सऽ मैथिल समाज कथमपि त्रसित नहि होयत वरन्‌ आरो सबलता एवं उत्साह के संग अपन जायज माँग पर कायम रहैत नेपालमें मिथिला राज्य के स्थापना लेल संघर्ष के निरंतरता देत। शहीद सभके प्रति हार्दिक श्रद्धाञ्जलि एवं घायल सभके शीघ्र स्वास्थ लाभ लेल शुभकामना। एहेन घटना के पुनरावृत्ति नहि हो एकर हरेक पक्ष सँ माँग।”

मिथिला प्रति समर्पित श्रेष्ठ नेतागण केर एहि आशीर्वाद सँ अवश्य मिथिला राज्य लेल शान्तिपूर्ण ढंग सऽ माँग राखनिहार के उत्साहवर्धन हेतनि एहि विश्वास के संग समस्त मित्रमंडली लेल ई सूचना शेयर करैत छी। मिथिला लेल आन्दोलित हर मैथिल तक एहि संवाद के पहुँचाबय में अपनेक मदद लेल आभारी रहब। ई संवाद सभ सँ जरुर शेयर करी।

जय मैथिली! जय मिथिला!

४. सौराठ सभा फेर किऐक?

pt. tarakant jha2वैवाहिक पद्धति मैथिल ब्राह्मण के विश्वमें सभ सँ श्रेष्ठ कोना?

मैथिल ब्राह्मण के कुशाग्रता के मूल रहस्य कि?

आइ-काल्हि संसारमें भ्रष्टाचार के प्रकोप पराकाष्ठा पर किऐक?

बहुत रास प्रश्न छैक जाहि पर हम अहाँ सभ के अपन तरहें अनुसन्धान करैत समय-समय पर किछु जानकारी उपलब्ध करबैत आयल छी आ निम्न पोस्टमें संतानोत्पत्ति में सेहो किछु अत्यन्त महत्त्वपूर्ण बात के जानकारी राखब सभके लेल श्रेष्ठ होयत। एहिमें स्रोत व्यक्ति श्री यशेन्द्र प्रसादजी छथि जे सौराठ सभा पर बहुत गहरा अनुसन्धान सेहो केने छथि आ संसार केँ एहि सँ परिचित कराबय लेल एक हाई-डेफिनिशन फिल्म बनाबय लेल इच्छा रखैत छथि आ एहि में विश्व-स्तरपर प्रचार चाहनिहार यदि केओ होइ तऽ अवश्य हुनका संग सम्पर्क करैत एहि फिल्ममें प्रायोजक के स्थान ग्रहण करी आ एहि सुन्दर योजना के सफलता प्रदान करी। Yashendra Prasad जी संयोगवश फेशबुक पर उपलब्ध छथि। एहि विषयमें मिथिला सुप्रसिद्ध नेतृत्वकर्ता पंडित ताराकान्त झा संग सेहो विस्तृत विचार कैल गेल अछि। अनुसन्धानमें आरो सहयोग लेल मिथिला के महान्‌ विभुति श्री हेतुकर झा संग सेहो भेंटघाँट कैल गेल आ चर्चा कैल गेल। अनेको तरहक पंजी-पुस्तिका सभ पर अध्ययन कैल गेल। तदोपरान्त अमेरिकामें रहैत सौराठ सभा आ पंजी परंपरा पर शोधकर्ता श्री इन्द्रानन्द झा संग सेहो आवश्यक सल्लाह-मशवरा कैल गेल। समस्त संयोजन के काज श्री निलाम्बर मिश्र (रहिका) द्वारा करैत बात बहुत आगू तक बढल अछि। आवश्यकता अछि जे व्यवसायिक रूपमें एहि योजना संग जुड़निहार के खोज करी हमरा लोकनि। एहि में अहुँके सहयोग अपरिहार्य बुझैछ।

आकांक्षी – प्रवीण
एवं समस्त दहेज मुक्त मिथिला परिवार।

पुनश्च: एहि बेर सौराठ सभा २१ जुन सँ|