नेपालक नव जनगणनाक तथ्यांक भेल सार्वजनिक, मैथिली कायम अछि दोसर स्थान पर

मैथिली जिन्दाबाद!!

नेपालक जनगणनाक तथ्यांक मुताबिक देश मे बाजल जायवला मातृभाषा (कुल १२४) मध्य मैथिली ‘दोसर’ स्थान पर फेरो आबि गेल अछि। बड़ा भारी भ्रम पसारल गेल छल, कतेक लोक त अपन नेतागिरी चमकेबाक लेल आ वोट बैंक बनेबाक लेल मैथिली भाषा केँ तोड़िकय ओहि मे सँ अनेकों भाषा सभक अलगे कित्ता ठाढ़ करबाक अभियाने चला देने रहथि। खैर… हिनका सभक कुप्रचार के प्रभाव सँ मैथिलीक संख्या बढ़बाक बदला घटि त गेल अछि, लेकिन नोमिनल घटल से सुखद पक्ष भेल। ११.६८% (२०११) सँ ११.०६% (२०२१) के तथ्यांक सार्वजनिक भेल अछि। देखू संलग्न तथ्यांक सारिणी!!

स्पष्ट अछि जे मैथिली सँ ‘मगही’ केँ तोड़ि देल गेल। ‘मगही’ ०.७९% आ २ लाख ३० हजार के हाराहारी मे देखा रहल अछि। जे घर सँ अलग भ’ जाय ओकरा लेल शुभकामना देनाय हम मैथिलीभाषीक मौलिक संस्कार अछि। ‘बौआ रे भिन हेमे त हो, अपन सुरक्षा आ विकास के जिम्मा अपने देखिहें’ वाली बात!

मैथिली भाषा लेल दिन त बड नीक नहिये अछि। जतय घरे-घरे शत्रु अछि अपनहि भाषाक विरूद्ध, जतय नेपाली-हिन्दी बाजय सँ सम्मानक अनुभूति भेटैछ लोक केँ, ततय एतबो संख्या बचल अछि से बहुत भेल। औ जी! कहियो अपन भाषा पर गर्व कय केँ देखू। गुलामी प्रवृत्ति सँ मुक्ति भेटत। मुक्तजीव बनबाक लाभ भेटत।

एकटा बात आर, संख्या बढ़ल या घटल ताहि सँ बड बेसी फायदा नहि अछि, फायदा तखन अछि जखन अपन भाषाक साहित्य मजबूत होयत। साहित्य जतबे मजबूत होइत छैक, ओतबे मजबूत होइत छैक संस्कार। संस्कार जतबे मजबूत होइत छैक, वैह गढैत छैक संस्कृति। संस्कृति जतबे मजबूत होइत छैक, वैह बनबैत छैक चिरकाल धरि जिययवला सभ्यता। सभ्यता जतबे मजबूत होइत छैक, वैह गढैत छैक भूगोल। भूगोल के होइत छैक इतिहास। इतिहास सदिखन मोन पाड़ल जाइत छैक।

मैथिली केँ तोड़िकय बज्जिका बनौलहुँ, बज्जिकाक साहित्यक अवस्था जँ देखब त घोर आश्चर्य मे पड़ि जायब। आर एकर खराब असर केकरा पर पड़ि रहल छैक? वैह, जेकरा अहाँ बज्जिकाभाषी क्षेत्र कहैत छियैक, घर घर मे देखब एतय सँ मातृभाषा सब सँ अधिक लोपोन्मुख होयत। तखन त संख्या बले ओ घमन्ड करिते अछि जेकरा संख्या टा गनबाक रहैत छैक।

धन्यवाद मैथिली सृजनकर्मी! अपन साहित्य प्रति पूर्ण निष्ठा सँ कार्य करैत छी। प्रकाशन आ संचरण मे अहाँ टेक धरि रखने छी। लेकिन, देख लियौक आइ खसभाषी केँ – मात्र गोटेक दशक मे कतय सँ कतय चलि गेल अछि। राज्यक संरक्षण आ सरकारी कामकाज सँ लैत शिक्षा, संचार, फिल्म आ व्यवसाय केर भाषा बनि यैह खसभाषा ‘नेपाली’ आइ कतेक विकसित भ’ गेल जे अहाँक घर पैसि चुकल अछि।

हरिः हरः!!