‘हम आबि रहल छी’ – मैथिली उपन्यास पर आधारित धारावाहिक भाग-२

साहित्य

– श्री रबीन्द्र नारायण मिश्र लिखित उपन्यास ‘हम आबि रहल छी’ – भाग २

भाग १ एतय पढ़ू कृपया – https://maithilijindabaad.com/?p=20107

हम आबि रहल छी, उपन्यास भाग २

2

सााँझ पड़ि रहल छल । हम सोफापर घसमोड़ि कए पड़ि गेल रही । भूखसँ छटपट कए रहल छलहुँ । घरमे केओ छल नहि जकरा किछु कहितिऐक । हारि कए अपने उठलहुँ आ लगीचेमे राखल फ्रीजमे सँ ब्रेड निकाललहुँ । जेना-तेना एक-दूटा ब्रेड खेलहुँ, पानि पिलहुँ आ सोफापर ओलरि गेलहुँ ।

थोड़े कालक बाद मोबाइल फोनक घंटी बाजल ।

“गोर लगैत छी बाबू ।”

“नीके रहह ।”

“कोना छी?”

“कोना की रहब । थोड़बे काल पहिने अस्पतालसँ वापस अएलहुँ अछि । संयोगसँ ओतए दीपेंदु भेटि गेल । रस्तामे अपने ओहिठामक आटोबला भेटि गेल । ओएहसभ जेना-तेना डेरा धरि वापस अनलक ।”

“एतेक जल्दी की भए गेल? हमसभ बिदा होइत रही तखन तँ अहाँ केहन बढ़िआँ छलहुँ ।”

“जे भेल, से भेल । आब हमरा अपन गाम पहुँचा दएह । हमरा एहिठाम मोन नहि लागि रहल अछि ।”

“एतेक जल्दी केना चलि जाएब । हमसभ वापस आबि रहल छी। ताधरि दीपेंदुकेँ अहाँक देखभाल हेतु कहिए देने छिऐक।”

“ओ तँ अपना भरि हमर मदति केबो केलक आ कइए रहल अछि । मुदा तूँ छह कतए? फोनमे तँ चिन्हल आबाज सुना रहल अछि ।”

“ठीके बुझलिऐक । गाम आएल छी । ओकीलक आबाज सुनने हेबैक ।”

 “सएह तँ कहि रहल छिअह । मुदा तूँ तँ कहने रहह जे गोआ जा रहल छी ।”

“गोआक उड़ान अचानक रद्द भए गेलैक । तेँ भेल जे जखन निकलिए गेल छी तँ गामेसँ भेने आबी ।”

“मुदा गाम जेबाक एहन कोन ताहिरी रहैक? ओहुना तूँ तँ गाम सालक-साल नहि अबैत छलह ।”

“सभटा बात फोनेपर कए लेब । हम आबिए रहल छी । तखन निचैनसँ गप्प करब ।”

“हमरा मोनमे तरह-तरहक चिंता भए रहल अछि । तूँ फोन ओकील केँ दहक । हम ओकरासँ गप्प करए चाहैत छी ।”

तकर बाद फोन कटि गेल । हम एकसर डेरामे छटपट करैत रहि गेलहुँ ।

**

“हम आबि रहल छी” धारावाहिक जे श्री रबीन्द्र नारायण मिश्रजीक लिखल उपन्यास आधारित अछि – एकर दुइ गोट अध्याय ३ आ ४ आइ प्रकाशित कयल गेल अछि।

मैथिली जिन्दाबादः
https://maithilijindabaad.com/?p=20218

प्रवास क्षेत्र मे दशकों सँ रहल मैथिल समाजक मांग पर ई धारावाहिक निरन्तरता मे अछि। बहुत पैघ समर्थन प्राप्त कय रहल अछि। धन्यवाद।

हरिः हरः!!