मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश – मैथिली अखबार पूरा कयलक १ वर्षक यात्रा

विशेष सम्पादकीय

मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश केर १ वर्ष

अत्यन्त दुर्लभ आ लगभग असम्भव काज केँ सम्भव कयल गेल अछि ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश’ केर प्रकाशन प्रारम्भ सँ। प्रारम्भहि टा नहि अपितु निरन्तरता दैत १ वर्षक कार्यकाल पूरा करब सेहो लगभग असम्भवे मानल जाइत छल मैथिली लेल। कारण मैथिलीभाषी लेल वर्तमान दुर्दिनता स्पष्टे अछि। विरले केकरो अपन भाषा सँ सिनेह आ गौरवबोध हेबाक अवस्था देखल जा रहल छैक। हिन्दी के चला-चलती रहल आ अंग्रेजी सभक माथ पर चढिकय ताण्डव कय रहल अवस्था मे केकरा नशा नहि चढ़ल छैक! ताहि पर सँ एन्ड्राइड मोबाईल आ इन्टरनेट जेहेन सर्वसुलभ माध्यम सभक हाथ मे, सोशल मीडिया द्वारा समाचार सम्प्रेषणक आधुनिक वातावरण, परम्परावादी अखबार विरले किनबाक-पढ़बाक दुरुह परिस्थिति – लेकिन धन्यवाद दियय पड़त ओहि परिकल्पक, संयोजक, समन्वयक व सहयोगीजन केँ जे ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश’ नामक मैथिली अखबार सँ मैथिली भाषाक संचारक्षेत्र मे नव क्रान्ति आनि देलक अछि। बड़-बड़ सूरमा लोकनि एहि प्रतीक्षा बुझेलाह जे ई आब बन्द होयत, आब होयत, तब होयत, आब खिल्ली उड़ायब, तब खिल्ली उड़ायब, आब किछु उपदेश-नसीहत सब छाँटब, तब छाँटब…. मुदा ई मौका ‘टीम मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश’ किनको नहि देलकनि। उल्टा एक-एक सूक्ष्म सँ सूक्ष्मतम विन्दु पर ध्यानकेन्द्रित करैत अपन स्पष्ट दृष्टि व मार्गचित्र पर चलैत ई मैथिलीक एकलौता पुत्र (अखबार) एक वर्ष पूरा कय लेलक अछि। एहि लेल प्रकाशक अजयनाथ शास्त्रीक लोहा हमहुँ मानि लेलहुँ। मैथिली मे कहावत छैक न जे ‘मर्दक बेटा होयत त जरूर करत’, से सच मे असल मर्द के बेटा जेकाँ अजयनाथ शास्त्री एक असम्भव आ अत्यन्त जटिल, चुनौतीपूर्ण व अत्यधिक पूँजीक जरूरत केँ अति-विलक्षण ढंग सँ पूरा कयलनि अछि। समन्वय सम्पादक किसलय कृष्ण सँ एहि मादे बहुतो बेर चर्चा भेल। फाटल आँखि सँ एकर यात्रा पर नजरि बनल रहल। समाचार सामग्री पर सेहो कइएक बेर आलोचनात्मक पक्ष पर प्रकाश देल। लेकिन, हृदय मे खुशी एतबा जे कमजोर पक्ष सब स्वतः झँपाइत-तोपाइत रहल। हालहि करीब १५ दिन पूर्व जखन किसलयजी आगूक यात्रा सहज हेबाक बात कहलनि तखन त हृदयक प्रसन्नता उग-डुम करय लागल। हम त जानकीजी मे विश्वास करनिहार भक्त लोक, हमरा त एहि तरहक सफलता मे सीधे चमत्कार टा देखाय लगैत अछि। बस, जानकीजीक कृपा एहिना बनल रहय।

हमरा बुझने काज वैह सफल होइत छैक जे पहिने सँ बहुत सुनियोजित-सुविचारित रहैत छैक। अवश्य प्रकाशक व सम्पादक लोकनिक टीम वर्क सब चुनौती आ जटिलता सब पर पहिने सँ नीक विमर्श कयलनि। पूँजी व्यवस्थापन सँ लैत संचालन खर्च, अखबार प्रिन्ट सँ लैत वितरण, श्रमदानी केँ सेवाफल आ सम्पूर्ण मिथिला एवं सब सँ खास ‘मैथिल’ पहिचान केँ मेवाफल देबाक सम्पूर्ण योजना विकास आ क्रियान्वयन बहुत सही, सटीक एवं समुचित भेल। आइ एकरे प्रतिफल स्वरूप १ वर्षक कार्यकाल पूरा होयबाक शुभ दिन हम सब देखि रहल छी। आगू के यात्रा लेल सेहो एतबा अनुकूल आ उचित योजना पहिने सँ जेबी मे भरल रहबाक स्थिति त बुझू सोना मे सोहागा के काज कय रहल अछि। एतेक पैघ खुशखबरी सँ भला के मैथिल गर्वबोध नहि करत आ के एहेन दरिद्र होयत जे ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश’ लेल अपन जेबी सँ किछु खर्च करय तत्पर नहि होयत! शुभकामना विज्ञापन उपलब्ध करा हमहुँ अपन हिस्सा के आर्थिक योगदान कयल एना लगैत अछि, आर हमरे समान करोड़ों मैथिल अपन सक्षमता अनुसार एहि अखबार केँ जियाकय रखबाक लेल आवश्यक योगदान दैत रहता से विश्वास अछि।

समाचार-सामग्री मे मैथिलपना आब प्रचूर मात्रा मे देखाय लागल अछि। राजनीतिक समाचार मे एखनहुँ बिहारी बेसी नजरि पड़ैत अछि, मिथिलाक नेता मैथिल सभक साक्षात्कार, समाचार, विचार आ भविष्य मे मैथिल पहिचान केँ केना पुनर्जागरण करता, केना प्रकाशित करता ताहि सब लक्ष्यभेदी समाचार, विचार, सम्पादकीय केर मात्रा बढेबाक अपेक्षा करैत छी। हिन्दी वेब पत्रिका व अन्य सन्दर्भित सामग्री सभक अनुवाद भाग मे हिन्दी शब्दक बहुल्यता सँ मैथिली भाषाक मौलिकता खत्म भ’ रहल अछि। एहि पर सम्पादकक नीक दृष्टि रहनि। बाकी, नव लेखक-लेखिका, स्तम्भकार, विचारक, कवि, आदिक मैथिली भाषा-साहित्यक पृष्ठपोषण करयवला पक्ष बड नीक लगैत अछि। सिर्फ पैघ कहेनिहार केँ नहि अपितु सामान्यजन जे सोशल मीडिया मे लेखन करैत छथि, विशेष रूप सँ महिला एवं युवा, हिनका सब केँ स्थान देल जाइत अछि से बड नीक लगैत अछि। पोंगापन्थी पर आक्रमण, भाषा-साहित्य व जनभावना मे केकरो वर्चस्वक विरूद्ध आवाज उठेनाय आ मिथिला-मैथिलीक सीमा केँ संकुचित करनिहार विरूद्ध के नारा – मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश ठोस अवधारणा पर बढि रहल अछि। हमर शुभकामना, सतत सहयोगक प्रतिबद्धता।

हरिः हरः!!