विधेयक तुरन्त राजपत्र मे प्रकाशित कय समाधान करू

सन्दर्भ – नागरिकता संशोधन विधेयक २०७९ (नेपाल)

विधेयक तुरन्त राजपत्र मे प्रकाशित कय समाधान करू

एक गलत नजीर सँ हजार बेर गलती हेबाक अवसर भेटि जाइत छैक। नेपालक सर्वोच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान लियए राष्ट्रपति द्वारा संविधानक घोर अपमानक… अन्यथा आबयवला समय मे संविधानक परिधि सँ बाहर जाय मनमौजी निर्णय लेबाक खतरनाक अभ्यास शुरू भ’ जायत। संघीयता के अर्थ होइत छैक ‘संविधान’ के शासन। आ जँ संविधान मे स्पष्ट व्याख्याक विरूद्ध कियो आचरण करय त एकर अर्थ भेल जे ओकरा संघीयता पसिन नहि छैक। नेपालक वर्तमान राष्ट्रपतिक अनेकों व्यवहार ‘संघीयता’ केर मर्म केँ बेइज्जत करयवला भेल अछि। एहि सँ पूर्व सेहो ओ कय बेेर एहेन काज कयलनि जाहि मे राष्ट्रपतिक भूमिका कम आ दलीय आबद्धता मुताबिक दलक अभिकर्ता (एजेन्ट) बेसी देखेलीह। लेकिन एहि बेर त ओ दल सँ बहुत उपर सदन केर गरिमा आ सार्वभौमिकता केँ पर्यन्त उल्लंघन करैत अपन अविवेकी निर्णय सँ देश केँ दलमलित कय देलीह।

प्रतिक्रिया स्वरूप सत्ताधारी गठबन्धनक दल द्वारा जनता केँ सतर्क रहबाक विज्ञप्ति जारी करैत शिखण्डी केँ कौरव सेनाध्यक्ष भीष्म विरूद्ध प्रयोग करबाक समान नजरि आबि रहल अछि। गठबन्धन दल केर नेता सब केँ एहि तरहक कमजोर प्रतिक्रिया आ प्रतिकार करैत राष्ट्रपतिक अराजक डेग आ संविधानक अवज्ञा केँ अन्ठेबाक प्रवृत्ति मात्र नजरि आबि रहल अछि। कानूनविद् द्वारा देल गेल सुझाव केँ तुरन्त स्वीकार करैत सर्वोच्च न्यायालय मे रिट दाखिल कय विधेयक लागू करबाक दिशा मे डेग उठेबाक चाही, अन्यथा संविधान द्वारा तय कयल गेल बात जे दोसर बेर सदन सँ पारित भेल विधेयक केँ राष्ट्रपति नकारि नहि सकैत छथि, ताहि आधार पर ई स्वतः सिद्ध भेल जे ई विधेयक राष्ट्रपतिक स्वीकृति प्राप्त कय लेलक, तेँ एकरा तुरन्त राजपत्र मे प्रकाशित कय देशक कानून मे शामिल करू। लाखों लोक केँ अनागरिक बनाकय वगैर नागरिकता प्रमाणपत्र कोनो आधारभूत सुविधा तक नहि प्राप्त कय सकबाक स्थिति मे अत्याचार बन्द करब आवश्यक अछि।

हरिः हरः!!