नेपालक राष्ट्रपति नागरिकता विधेयक पर हस्ताक्षर नहि कय संविधानक अवज्ञा कयलीह

आइ नेपालदेश मे एक्के टा चर्चा हरेक जुबान पर अछि – राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी द्वारा नेपालक प्रतिनिधि सभा एवं राष्ट्रीय सभा (लोअर आ अपर हाउस अफ रिप्रेजेन्टेटिव्स) द्वारा बहुमत सँ पारित नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपन हस्ताक्षर नहि कय लाखों अनागरिक नेपालीक भविष्य संग खेलबाड़ कयलीह। राष्ट्रपति केँ संविधानक संरक्षक मानल जाइत छन्हि, लेकिन संविधानक स्पष्ट व्यवस्था (निर्देशन) केँ ओ मनमानीपूर्वक दरकिनार करैत अपन जिद्द पर अड़िकय राष्ट्रपति लेल निर्धारित अधिकार सँ ऊपर जाय उपरोक्त विधेयक पर मोहर नहि लगौलीह।

संवैधानिक व्यवस्था अनुसार राष्ट्रपति लग संसद सँ पास कयल कोनो भी कानून केँ अनुमोदन करबाक लेल १५ दिनक समय भेटैत छन्हि। अर्थ विधेयक केर अतिरिक्त अन्य कोनो विधेयक (कानून) केर अनुमोदन लेल राष्ट्रपति लग विशेषाधिकार छन्हि जे ओ अपन टिप्पणी सहित एक बेर ओकरा संसद (जतय सँ पास कय केँ हिनका लग पठाओल गेल) ओतय वापस पठबथि, मुदा दोसर बेर पुनः यदि वैह विधेयक जनताक चुनल प्रतिनिधि आ संविधान अन्तर्गत काज कय रहल व्यवस्थापिका संसद जँ हुनका पास पठबैत छथि त राष्ट्रपति केँ १५ दिन के भीतर ओकरा पर अपन हस्ताक्षर (स्वीकृति/अनुमोदन) करैत देशक कानून रूप मे लागू होयबाक वास्ते – अर्थात् राजपत्र मे प्रकाशित होयबाक वास्ते काज आगू बढ़बथि। लेकिन, नागरिकता जेहेन महत्वपूर्ण विषय पर नेपालक राष्ट्रपति अपन अधिकारक दायरा सँ बाहर जाकय दोसर बेर संसदक दुनू सदन द्वारा पास कयल विधेयक पर अपन हस्ताक्षर नहि कय मौन बैसि गेलीह आ एहि तरहें नेपाल मे लागू नव संविधान केँ स्वयं राष्ट्रपति द्वारा नकारबाक अत्यन्त भयावह कृत्य कयल जेबाक चर्चा सरेआम भ’ रहल अछि।

फोटोः साभार ई-कान्तिपुर (समाचार के लिंक सहित)

अराजकता सँ लड़बाक लेल संविधानक रक्षा जरूरी अछि। हमरा कान्तिपुर दैनिक केर ई आलेख – समाचार – सूचना – सुझाव बहुत नीक लागल।

https://ekantipur.com/news/2022/09/21/166372370725111063.html

उपरोक्त लिंक पर खूब विस्तार सँ नेपाली भाषा मे एहि प्रकरण केर चर्चा कयल गेल अछि। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, विभिन्न विद्वान् संविधानविद् आदिक राय-सुझाव सेहो समावेश कयल गेल अछि। सभक मान्यता एतबे छन्हि जे सदन द्वारा पारित कोनो कानून पर राष्ट्रपति अपन मनमौजी तथाकथित विवेक आ तर्क आधारित बात-विचार नहि राखि सकैत छथि, तखन जखन एक बेर ओ अपन टिप्पणी पठा चुकली आ पुनः सदन दोसर बेर हुनका पास विधेयक पारित कय केँ राखि देलक।

आब सवाल उठैत छैक जे आगू कि होयत? आगू आम निर्वाचन के तिथि तय अछि। ४ मंसिर २०७९ केँ एहि देश मे आम निर्वाचन होयबाक अछि। निर्वाचन आयोग आ विभिन्न राजनीतिक दल ओहि दिशा मे कार्य प्रारम्भ कय चुकल अछि। पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधि सभाक समयावधि सेहो समाप्त भ’ चुकल अछि। आब वर्तमान सरकार आ कैबिनेट सीमित अधिकार संग देश मे नव सरकार गठन करबाक लोकतांत्रिक प्रक्रिया मे व्यस्त भ’ गेल अछि। तेहेन स्थिति मे राष्ट्रपति भंडारी द्वारा संविधानक अवज्ञाक भयावह कृत्य प्रस्तुत कयला सँ अनिश्चितताक माहौल देखल जा रहल अछि। उपरोक्त लिंक – नेपालक एक प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक कान्तिपुर मे विस्तार सँ पढ़ि सकैत छी जे पूर्व न्यायाधीश काल्हिक दिन केँ प्रजातंत्र समाप्त करयवला ‘कू’ जेहेन काला-दिवस केर रूप मे देखलनि, आ से कोनो बेजा नहि देखलनि। तखन सरकार के पास विकल्प छैक जे ओ राष्ट्रपतिक मौनता विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय सँ निर्णय लैत आगू बढ़य अथवा विश्वक अनेकौं देश मे प्रचलित सिद्धान्त जे राष्ट्रपति दोसर बेर हस्ताक्षर करथि वा नहि करथि, ओ विधेयक स्वतः राजपत्र मे प्रकाशित होयबाक योग्य होइछ आ ओ कानून रूप मे लागू कयल जाइत अछि, से नागरिकता संशोधन विधेयक लागू करैत लाखों अनागरिक केँ त्रस्त जीवन सँ मुक्ति दियबैथ। कारण लोकतंत्र जाहि मे सार्वभौम संसदीय व्यवस्था लागू रहैछ, जतय राष्ट्रपति एक संवैधानिक प्रमुख पद अलंकारिक आ सीमित अधिकार प्रयोग लेल मात्र रहय, ओतय राष्ट्रपतिक हस्ताक्षर (अनुमोदन) उपर कहल गेल परिस्थिति मे दोसर बेर बड जरूरी नहि होइछ। आब देखू जे सरकार आ प्रमुख राजनीतिक दल केर प्रतिक्रिया एहि अराजक निर्णय पर केहेन होइत अछि।

लेकिन एकटा दुरावस्था त आबिये गेल जे राष्ट्रपति अपन मनमानी करैत राजनीतिकर्मी जेकाँ देश आ संविधानक रक्षा नहि कय अपन स्वार्थ आ दलीय हित केर राजनीति करता आ एहि तरहक दुर्घटना बेर-बेर होयत। एकरे अराजकता कहल जाइत छैक। संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र मे एना संविधानक तय दायरा सँ अपना केँ उपर उठेनाय घोर अपराध थिकैक, एहि लेल राष्ट्रपति पर महाभियोग आ कानूनी कार्रबाई तक बनैत छैक, ताहि पर सेहो चर्चा चलि रहल अछि। लेकिन चुनावी माहौल मे कोन बात केना कयल जाय, हर तरहें अनिश्चितता त आबिये गेल अछि। देशक लेल शुभ हो, जनता शान्ति मे रहय आ द्वंद्व केर अवस्था नहि बनय, ई कामना मात्र कयल जा सकैत छैक। हालांकि मधेशवादी राजनीतिक दल द्वारा सड़क सँ संघर्षक चेतावनी जारी कयल गेल अछि, तेँ आशंका आ दुविधा बनल अछि जे आबयवला समय फेर द्वंद्वक भ’ सकैत अछि।

हरिः हरः!!