राजनीति के खसैत अवस्था
एखन भारतीय मीडिया मे दिन भरि ‘नुपूर शर्माक मोहम्मद साहेब’ पर देल आपत्तिजनक टिप्पणी बवाल काटि रहल अछि। देश-विदेश चारूदिश इस्लाम समर्थक धर्मावलम्बी द्वारा एहि बयान लेल भारतक निन्दा आ नुपूर शर्मा पर कानूनी कार्रवाईक मांग कयल जा रहल अछि। कानून सेहो देर-सबेर अपन काज आरम्भ कय चुकल अछि आ हिन्दुत्ववादी राजनीति केँ आधार माननिहार भारतीय जनता पार्टी सेहो अपन एहि राष्ट्रीय प्रवक्ता ‘नुपूर शर्मा’ पर इस्लाम धर्मक पैगम्बर पर टिप्पणी लेल कार्रवाई करैत प्रवक्ताक पद आ प्राथमिक सदस्यता तक सँ निलम्बित कय एकटा संकेत दय देलक जे भारतीय संविधान आ भारतक सनातन हिन्दू धर्मक व्याख्या कयल मौलिक सिद्धान्त ‘सर्वधर्म समभाव’ केर आधार पर कियो केकरो धर्म आ ओकर आस्थाक केन्द्र व्यक्ति, भगवान, आदि पर कोनो तरहक भड़काऊ टिप्पणी नहि दय सकैत अछि। लेकिन, एहि सब कार्रवाई सँ असन्तुष्ट मुस्लिम समुदाय आ मुस्लिम राष्ट्र सब द्वारा निरन्तर विरोध आ प्रदर्शन आब ‘अतिराजनीति’ के संकेत कय रहल अछि, जे वास्तव मे शान्तिपूर्ण ढंग सँ आर्थिक विकास केर पटरी पर रनरनाइत भारतक माहौल केँ बिगाड़ि एनडीए सरकार केँ अस्थिर करयवला रणनीति केर हिस्सा बुझाइत अछि। भारत सरकार एहि पर चौकन्ना अछि आ समुचित कानून व्यवस्था बना रखबाक लेल उचित उपाय अपनाबैत देखल जा सकैत अछि।
एहि बीच ‘राज्यसभा सदस्य’ केर चुनाव लेल भारतक किछु राज्य मे काल्हि १० जून वोटिंग भेल। ताहि सँ पहिनहि चुनावी गणित मे कांग्रेस के पहिया कतहु धँसबाक अनुमान करैत राज्यसभा सदस्यक चुनाव लड़निहार कांग्रेसी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला द्वारा सीता माताक नाम संग चीरहरण शब्दक प्रयोग केर उपमा दैत भाजपा पर राजनीतिक प्रहार संग भारतीय प्रजातंत्र के चीरहरण वाली बात कहल गेल। मीडिया केँ मानल जाय त ई उक्ति द्रौपदीक चीरहरण संग तुलना करैत देबाक बदले ‘सीता माता’ केर नामक उल्लेख सुरजेवाला द्वारा भेल अछि। एहि पर भाजपा व अन्य आम जन द्वारा सोशल मीडिया मे अलगे बवाल मचल अछि। मिथिलाक लोक मे सेहो एहि तरहक कुत्सित सोच आ टिप्पणी लेल कांग्रेसी नेता सुरजेवाला आ कांग्रेसी मानसिकता पर बेर बेर एहि तरहक निन्दा योग्य बयान केर चर्चा उठब स्वाभाविक बुझल जा सकैत अछि। एहि सँ पहिने कांग्रेसी नेता हरिश रावत सीता केँ विदेशी कहि देने रहथि। सामान्यतया हिन्दू देवी-देवता पर कुत्सित टिप्पणी देबाक कतेको उद्धरण पूर्व मे कांग्रेसी नेता लोकनिक देखल गेल अछि।
यथार्थतः राजनीति केर खसैत रूप के परिचायक थिक उपरोक्त दुनू बात। एक दिश भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ हुनकर सरकार भारतक सकल विकास उत्पाद (जीडीपी) केँ बढ़ेबाक लेल भारत मे एफडीआई सहित अनेकानेक विन्दु पर निरन्तर कार्य कय रहला अछि, लेकिन दोसर दिश वोट बैंक पोलिटिक्स, उग्र हिन्दुत्व, मुस्लिम प्रतिक्रियावादी तत्त्व द्वारा हिन्दू धर्म-समुदाय प्रति असहिष्णु प्रतिक्रिया आ बयानबाजी, हिन्दू-मुसलमान बीच समन्वय आ सौहार्द्रता केँ बढावा देबाक बदला गलत राजनीतिक माहौल बनेबाक विभिन्न राजनीतिक दल केर खतरनाक खेल…. ई सब बात राजनीति के खसैत स्वरूप के परिचय दय रहल अछि। आर गहींर मे सोचल जाय त भारत मे निरन्तर हिन्दुत्व एजेन्डा संग आगू बढ़ि रहल सत्ता-समीकरण केँ उद्वेलित करयवला खेला-वेला भ’ रहल अछि। एहि मे अलगाववादी शक्ति खालिस्तान समर्थक अराजक तत्त्व केर प्रवेश, बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, आदि मे मुस्लिम तुष्टिकरण आ हिन्दू जनभावना केँ भड़काबयवला गतिविधि – समग्र मे वर्तमान भारत सरकारक सत्ता-संयोजक लोकनि केँ छिन्न-भिन्न करबाक कुत्सित प्रयास थिक। एहि सँ देशक भविष्य केँ अंधकारमय बनेबाक खतरनाक विदेशी षड्यन्त्र केर गन्ध सेहो आबि रहल अछि। एहि स्थिति मे जन-जन मे भाईचारा आ संविधान प्रति समर्पणक भाव रहब जरूरी बुझि पड़ैत अछि। एहि खसैत राजनीति आ कुत्सित बयानबाजी सँ अतिरंजना व अराजकता केर प्रवेश भारत मे गृहयुद्ध के स्थिति निर्माण कय रहल अछि, एहि सँ तत्काल निकलबाक आवश्यकता अछि, नहि त खूनक धार बहय मे समय नहि लागत से बुझनाय जरूरी अछि।
हरिः हरः!!