महात्वाकांक्षा कतय तक सही?
बहुत पहिनहि एकटा किताब कोनो पश्चिमी लेखकक लिखल पढ़ने रही जाहि मे ‘अति महात्वाकांक्षी’ हुअय सँ बचबाक सन्देश छल। एखन सेहो एकटा नीक लेख सोझाँ अभरल – मैनेजिंग योरसेल्फ (स्वयं केर व्यवस्थापन) अन्तर्गत ‘कतेक महात्वाकांक्षी हेबाक चाही’ शीर्षक मे ई कथ्य पर ध्यान गेल।
In excess, ambition damages reputations, relationships, and can lead to catastrophic failure. On the other hand, too little ambition can make the person in question look lazy and unmotivated. Further, it can result in mediocre performance, boredom, and a bleak sense of futility.
“अत्यधिक महत्वाकांक्षा प्रतिष्ठा आ संबंध केँ नोक्सानी पहुंचाबैत छैक, आर विनाशकारी असफलता केर दिश सेहो उन्मुख करैत छैक। दोसर तरफ, बहुत कम महत्वाकांक्षाक सवालक लोक आलसी तथा हतोत्साहित जेकाँ देखल जाइत छैक। आगू, एकर परिणाम औसत दर्जाक प्रदर्शन, उबाहट, आ व्यर्थताक उदास भाव भ सकैत अछि।”
एहेन ‘अति महात्वाकांक्षी’ स्वयं मे, स्वयं केर परिवेश (पास-पड़ोस) आ कतेको मित्र मे अपने सब जरूर देखने होयब।
उपरोक्त लेखक केर भाव मे ‘महात्वाकांक्षा’ एकटा सीमा (मर्यादा) धरि जँ रहय त ओ आवश्यक आ वाञ्छनीय अछि। लेकिन अति महात्वाकांक्षा प्रति दिवानगी जँ बढ़ि गेल त व्यक्ति केर विनाशकारी असफलता तय छैक ताहि मे कतहु दुइ मत नहि।
प्रत्येक मनुष्य केँ अपन जीवन लेल किछु उद्देश्य आ लक्ष्य हेबाके टा चाही। केहनो चुनौती केर सामना कय केँ ओहि गन्तव्य धरि पहुँचबाक लेल प्रयास करिते रहबाक चाही। लेकिन अपन महात्वाकांक्षा केँ पूरा करबाक लेल दोसरक अहित तक करय सँ नहि चूकब, येन-केन-प्रकारेन अपनहि टा हितपूर्ति लेल व्याकुल होयब, ई सब अति-महात्वाकांक्षाक संकेत थिक। एहि चक्कर मे पुरान आ असल मित्र सँ स्वाभाविक दूरी बनि गेल करैत अछि। कारण मोनक भीतर जखनहि चोर आओत त अहाँक दुर्भावना ओहि मित्र केँ कोना न कोना प्रकट भ’ जायत। अहाँक यूज एन्ड थ्रो पौलिशी दोसरक अहित नहि करत बल्कि अहाँक सम्पूर्ण दुष्चरित्र केँ आनक नजरि मे स्थापित कय देत। एहि स्थिति सँ बचब बहुत आवश्यक अछि।
बाकी, अहाँक पुनीत उद्देश्य आ उचित महात्वाकांक्षा प्रति दोसर कथमपि अनादर-तिरस्कार के भावना नहि आनि सकैत अछि, अहाँक बिन मंगनहियो ओ सहयोग आ सद्भावना छोड़ि दोसर अहित के बातो तक नहि सोचि सकैत अछि। ई उच्चभाव केँ पकड़िकय जीवन केँ सफल बनाउ आ एहिना सहज भाव सँ दोसरहु प्रति स्वीकार्यता आ समर्थनक लेल तत्पर रहल करू।
हरिः हरः!!