विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
भारत सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री डा. सुभाष सरकार द्वारा दरभंगाक सांसद गोपाल जी ठाकुर द्वारा पुछल गेल प्रश्न जे सीटीईटी परीक्षा मे अन्य २० भाषाक संग मैथिली मे सेहो परीक्षा कियैक नहि आयोजित होइत अछि, एकर लिखित जवाब मे स्पष्टतः ई बात लिखल गेल अछि जे मैथिली हिन्दीक उप भाषा थिक, मैथिली केर माध्यम सँ कक्षा १ सँ ८ धरि मे कोनो शिक्षा नहि देल जा रहल अछि, तेँ सीटीईटी केर परीक्षा मैथिली मे आयोजित नहि होइत अछि।
एहि जवाब पर मैथिलीभाषी मे आक्रोश होयब स्वाभाविक अछि। जे मैथिली अपन साहित्यिक आधार संग अपन पूर्ण विग्रह यथा शब्दकोश, व्याकरण, लिपि आदिक कारण संविधानक आठम अनुसूची मे सूचीबद्ध अछि ताहि भाषा केँ हिन्दीक उप भाषा कहब या मानब सरासर गलत अछि। लेकिन ई गलती मंत्रीक व्यक्तिगत समझ के वा हुनकर विचार के नहि थिक। मंत्री महोदय त भारत सरकार केर सम्बन्धित अधिनियम आ नीति-नियम बनेनिहार सलाहकार आ कार्यान्वयन समितिक बैसार आ निर्णय के तिथि समेत तोकैत ई जवाब देलनि अछि जाहि मे आपत्तिजनक वाक्य अछि जे मैथिली हिन्दीक उप भाषा थिक। मंत्री केँ सेहो कोनो जवाब दय सँ पहिने एहि विन्दु पर जरूर विचार करबाक चाहैत छलन्हि, जखन स्वयं प्रश्नकर्त्ता सांसद गोपाल जी ठाकुर प्रश्नहि मे एहि बात केँ उजागर कएने छथि जे मैथिली संविधानक आठम अनुसूची मे शामिल भाषा थिक जे हिन्दी, गुजराती, बंगाली, पंजाबी आदि कुल २२ भाषाक सूची मे अछि त फेर मैथिली हिन्दीक उप भाषा कोना संभव अछि से हुनका स्वयं देखबाक चाहैत छलन्हि। तथापि, आब जवाब पर मैथिलीभाषी संसार मे कौआक पाछाँ मात्र भगबाक आ अपन कान लय जेबाक सुनौती बात पर गन्थन-मन्थन के अवस्था देखि ई लिखबाक मोन भेल जे –
सिर्फ मंत्री केँ दोख कियैक?
मंत्री त बाकायदा भारत सरकार के नीति केँ उजागर कयलनि अछि। हुनकर जवाब त देखू पूरा।
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षाक अधिकार (राइट टु एजुकेशन) अधिनियम २००९ केर नीति-नियम बनेनिहार, २०११ सँ एकर परीक्षाक आयोजन केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा अवधारल गेल पद्धति आ सीटीईटी के सलाहकार आ कार्यान्वयन समिति केर २४.०४. २०१४ के बैसारक निर्णय मे मैथिली केँ हिन्दीक उपभाषा मानल जेबाक बात – ई सब केवल एक मंत्रीक नहि बल्कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आ सीटीईटी केर सलाहकार आ कार्यान्वयन समिति सहित उपरोक्त अधिनियम केर समग्र स्थितिक बात थिकैक।
मैथिली जिन्दाबाद पर सविस्तार मीमांसाः
https://maithilijindabaad.com/?p=17705
एहि सँ पहिने आर किछु गम्भीर विन्दु पर ध्यान पहुँचल छल –
श्री चन्द्र किशोर जी आह्वान कएने रहथि जे मिथिलावादी आ विशेष रूप सँ मिथिला राज्य निर्माण सेना केँ एहि तरहक कपट-कुटिचालि केर प्रतिकार करबाक चाही, हुनकर विचार सँ सहमति जतबैत लिखने रही –
अहाँ सँ पूर्ण सहमत। मिरानिसे के महासचिव Rajesh Kumar Jha जी के ध्यान आबनि एहि मांग पर। जोरदार स्वर में एहि विभेदकारी नीति लेल भारत सरकार केर आलोचना हेबाक चाही।
- आखिर कि कारण सँ मैथिली केँ शिक्षा के माध्यम भाषा नहि बनायल जा रहल अछि?
- संविधान में सम्मिलित मैथिली केँ प्रदेश सरकार के घोर उपेक्षा के शिकार बनायल जा रहल अछि?
- न शिक्षा में, न राजकाज में, न संचार में, न सरकारी विज्ञापन में, न टैक्स फ्री करैत फ़िल्म इंडस्ट्री केँ सम्भव बनेबाक काज में, सरकार कथुओ में नहि। कियैक?
- एकटा मैथिली अकादमी बनल ओहो निकम्मा नक्कारा बनाकय राखि देने अछि। कियैक?
- मैथिली शिक्षक के नियुक्ति लम्बित राखिकय मैथिली रोजगार के भाषा नहि वला नीति सँ जानि बुझि कय मैथिली सँ लोक केँ किनार लगेबाक सरकारी प्रायोजित नीति के विरूद्ध बिगुल कियैक नहि बजबाक चाही?
एम्हर मैथिली प्रति घोर आपत्तिजनक बयान आबि रहल अछि आ ओम्हर मैथिली साहित्य महासभा द्वारा बसन्तोत्सव मनेबाक सूचना अबैत अछि। एहि पर सेहो आह्वानमूलक टिप्पणी लिखैत आह्वान कयलहुँ जे एहेन समय मे मंत्री सँ सब कियो भेटिकय मैथिली प्रति विभेदकारी नीति केँ अन्त करबाक प्रयास करथु। विपरीत माहौल मे कविता-गीत केना नीक लागि सकैत अछि? कहलियनि –